लातेहार: कहा जाता है कि मानवता का कोई धर्म नहीं होता है. बरवाडीह प्रखंड मुख्यालय के युवाओं ने इसे चरितार्थ कर दिखाया. हिन्दू और मुस्लिम युवाओं ने मिलकर एक बेसहारा बुजुर्ग का सामूहिक रूप से अंतिम संस्कार किया. जो हमेशा धार्मिक उन्माद फैलाकर समाज को परेशान करते हैं, उनके लिए ये एक करार जवाब साबित हुआ. दरअसल बरवाडीह प्रखंड मुख्यालय में एक झोपड़ी बनाकर बालेश्वर राम नाम का शख्स कई सालों से रह रहा था. वो ठेला चलाने के बाद साफ-सफाई का काम करता था. घर में अकेले ही रहता था. रविवार को उसकी तबियत खराब होने के बाद कुछ लोगों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र(community health center) पहुंचाया, लेकिन उसकी मौत हो गई.
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मुस्लिम युवाओं ने पेश की एकता की मिसाल
बुजुर्ग की मौत होने के बाद आसपास रहने वाले कुछ मुस्लिम युवाओं ने बताया कि बालकेश्वर चाचा हमेशा उनसे आग्रह करते थे कि यदि उनका निधन हो जाए, तो उनका अंतिम संस्कार पूरे रीति रिवाज से करवाना. युवाओं ने इसकी जानकारी स्थानीय समाजसेवी शशि शेखर(Local social worker Shashi Shekhar) को भी दी. बाद में युवाओं ने निर्णय लिया कि बुजुर्ग की अंतिम इच्छा को वे लोग अवश्य पूरा करेंगे. इसके बाद बरवाडीह के लोगों ने थाने में लिखित देकर अंतिम संस्कार की इजाजत ली और शव को वाहन से मुक्तिधाम श्मशान घाट पर ले जाया गया. लोगों ने आपस में चंदा इक्ट्ठा किया और सामान खरीदकर हिन्दू रीति रिवाज से बुजुर्ग का अंतिम संस्कार किया. स्थानीय युवा फिजु खान और शशि शेखर ने कहा कि बालकेश्वर चाचा की यही इच्छा थी कि उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार उनके रीति रिवाज से किया जाए.
युवाओं की पहल सराहनीय
इधर युवाओं की ओर से धर्म की सीमाओं को लांघकर मानवता की मिसाल पेश करने की चर्चा आज पूरे प्रखंड में हो रही है. लोगों का कहना है कि जिस प्रकार से यहां के युवाओं ने मानव सेवा का काम किया है, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए वो कम होगी.