लातेहारः मनरेगा योजना के सहारे मजदूरों को काम देकर उनकी बेरोजगारी मिटाने की योजना लातेहार जिले में फ्लॉप साबित हो रही है. मजदूरों के पैसे बिचौलिए घटक कर जा रहे हैं. ऐसे में मजदूर सरकारी योजना के लाभ से वंचित रह जा रहे हैं.
पीएम आवास योजना में बिचौलिए हावी
सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना को भी मनरेगा योजना से जोड़ कर मजदूरों को काम उपलब्ध कराने की तैयार की. इसके तहत प्रत्येक प्रधानमंत्री आवास योजना में 90 दिनों की मजदूरी भुगतान मनरेगा योजना से आरंभ की गई. पीएम आवास में 5 मजदूर काम कर रहे हैं तो सभी पांचों मजदूरों को 18-18 दिनों की मजदूरी मनरेगा योजना से की जाने लगी, लेकिन यह योजना सिर्फ कागजों की ही शोभा बढ़ कर रह गई. इसका लाभ मजदूरों के जगह बिचौलिए उठाने लगे. पंचायत प्रतिनिधियों और पंचायत के कर्मियों से मिलीभगत कर बिचौलिए फर्जी मजदूरों के नाम से मस्टर रोल भरकर पैसे की निकासी बड़े पैमाने पर किया.
लातेहार में प्रधानमंत्री आवास आवंटित
सदर प्रखंड के सोतम गांव निवासी गोपाल सिंह को प्रधानमंत्री आवास आवंटित किया गया था. आवास का निर्माण भी लगभग पूरा हो गया और सारे पैसे की भी निकासी हो गई, लेकिन गोपाल सिंह के आवास में काम कर रहे मजदूरों को पैसे न मिलकर बिचौलिया ने पंचायत के कर्मियों के मिलीभगत से फर्जी मजदूरों के नाम पर सारे पैसे निकाल लिए. काम होने के बाद भी जब मजदूरी के पैसे गोपाल सिंह और अन्य मजदूरों को नहीं मिला तो मामले की जानकारी लेने वे प्रखंड कार्यालय गए, जहां उन्हें बताया गया कि उनके आवास में काम कर रहे पांच मजदूरों का पूरा पैसा भुगतान कर दिया गया है. जब उन्होंने कागज में मजदूरों का नाम देखा तो आश्चर्यचकित रह गए. क्योंकि जिन मजदूरों के नाम से पैसे की भुगतान हुई, वह मजदूर उनके आवास में कभी काम ही नहीं किए.
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बिचौलियों की कार्यप्रणाली से परेशान
आवास योजना में काम करने वाले मजदूर और लाभुक गोपाल सिंह बिचौलियों की कार्यप्रणाली से बुरी तरह परेशान है. वे लोग अपने पैसे के लिए सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं. इस संबंध में लाभुक गोपाल सिंह ने कहा कि गांव के ही एक बिचौलिए ने उनके आवास निर्माण में लगे मजदूरों के पैसे फर्जी रूप से निकाल लिए. वहीं मजदूर लीला देवी ने कहा कि उन लोगों के मजदूरी का पैसा बिचौलिए गटक कर गए.
लातेहार डीडीसी ने दिए जांच के आदेश
इस संबंध में उप विकास आयुक्त सुरेंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि मनरेगा योजना में मजदूरों के खाते में ही मजदूरी का भुगतान होता है. यदि गड़बड़ी हुई है तो वह प्रखंड विकास पदाधिकारी से जांच करवा ले रहे हैं. उसके बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.