लातेहारः जिले के किसानों को एक बार फिर से मौसम में दगा दे दिया है. जो परिस्थिति बनी हुई है, उससे लातेहार जिला एक बार फिर से सुखाड़ की ओर बढ़ता दिख रहा है. लगातार दूसरे वर्ष भी सुखाड़ की आशंका के कारण स्थानीय किसानों के चेहरे पीले पड़ने लगे हैं. हालांकि कृषि विभाग का कहना है कि 31 जुलाई तक अगर अच्छी बारिश हो गई तो किसानों को नुकसान नहीं होगा.
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जिले में इस वर्ष बारिश की स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है. जुलाई माह में अब तक मात्र 33 मिलीमीटर बारिश हुई है जबकि 15 जुलाई तक 200 मिलीमीटर से अधिक बारिश हो जानी चाहिए थी. बारिश नहीं होने के कारण किसान अपने खेत में बिचड़े भी नहीं लगा सके हैं. किसानों का कहना है कि सामान्य वर्षों में जब बारिश की स्थिति अच्छी होती थी तो 15 जुलाई तक 50 फीसदी किसान अपने खेतों में धान की रोपनी कर लेते थे. लेकिन पिछले 2 साल में स्थिति इतनी खराब हो गई है कि कई प्रखंडों में तो धान की रोपनी आरंभ भी नहीं हुई है. किसानों का कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो पूरा जिला एक बार फिर से अकाल के गाल में समा जाएगा.
मात्र 6 प्रतिशत ही हुई है धान की रोपनीः जिले में 15 जुलाई तक मात्र 6 फीसदी ही धान की रोपनी हो सकी है. किसानों के द्वारा तालाबों या डैम से खेतों में पटवन कर रोपनी कर रहे हैं. अगर बारिश के भरोसे धान की रोपनी की बात की जाए तो जिले में अभी कहीं भी इतनी बारिश नहीं हुई कि रोपनी हो सके. किसान अजय सिंह, भीम सिंह, जवाहर प्रसाद का कहना है कि वर्तमान स्थिति में तो बारिश के जो हालात हैं, उससे मकई की खेती भी होना संभव नहीं लग रहा है. किसानों का कहना है कि गत वर्ष तो किसान अपने खेतों में बिचड़े भी लगा चुके थे, परंतु इस वर्ष तो बिचड़े भी नहीं लगे हैं.
रविवार को हुई थी बारिशः हालांकि लातेहार जिले में शनिवार की रात और रविवार को कुछ बारिश जरूर हुई है. लेकिन इतना पानी धान की खेती के लिए पर्याप्त नहीं है. हालांकि किसानों का कहना है कि अगर थोड़ी और बारिश हो जाए तो खेतों में किसान बिचड़े जरूर लगा सकेंगे.
31 जुलाई तक बारिश होने पर अच्छी खेती की संभावनाः हालांकि इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी अमृतेश कुमार सिंह ने कहा कि अगर 31 जुलाई तक भी अच्छी बारिश हो जाए तो किसान धान की खेती कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि 31 जुलाई तक अच्छी बारिश नहीं हुई तो फिर विभाग के द्वारा किसानों को वैकल्पिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और उन्हें वैकल्पिक खेती के बीज उपलब्ध कराए जाएंगे. उन्होंने कहा कि बारिश कम हो तो अरहर, मक्का, मड़ुआ की खेती करना किसानों के लिए फायदेमंद होगा. उन्होंने किसानों को मोटे अनाज उपजाने के प्रति भी जागरूक करने की बात कही.
मौसम की मार ने किसानों को एक बार फिर से बेहाल कर दिया है. जरूरत इस बात की है कि सरकार किसानों के लिए कोई ठोस योजना बनाएं ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके.