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लातेहार: महिलाओं के हाथ रेलवे की कमान, परिचालन में निभा रही अहम योगदान

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Published : Mar 7, 2020, 2:54 PM IST

बरवाडीह रेलवे में काम कर रही महिला कर्मी. धनबाद रेल मंडल के अति संवेदनशील और महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन के रूप में विख्यात बरवाडीह रेलवे स्टेशन में रेल परिचालन में लगभग 5 महिला कर्मी अपना अहम योगदान दे रही हैं.

women in railway operations in latehar
रेलवे में महिलाओं का योगदान

लातेहार: नारी के बारे में किसी ने सच ही कहा है कि नारी कोमल है पर कमजोर नहीं. इस चरितार्थ को बखूबी साबित कर रही है जिले के बरवाडीह रेलवे में काम कर रही महिला कर्मी. धनबाद रेल मंडल के अति संवेदनशील और महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन के रूप में विख्यात बरवाडीह रेलवे स्टेशन में रेल परिचालन में लगभग 5 महिला कर्मी अपना अहम योगदान दे रही हैं.

देखिए पूरी खबर

दो चतुर्थवर्गीय कर्मी के साथ-साथ सहायक रेल चालक के रूप में वर्षा कुमारी, क्लर्क रूप में मीना कुमारी और रेलवे के सीएमएस में आउटसोर्सिंग के माध्यम से बतौर ऑपरेटर आभा कुमारी काम कर रही हैं. यह महिलाकर्मी पुरुषकर्मियों के मुकाबले कहीं से भी कम नहीं है. वहीं, संवेदनशील शिक्षण में सहायक चालक के रूप में काम कर रही वर्षा कुमारी की माने तो उनके दादा और परदादा रेलवे में लोको पायलट (रेल चालक) के रूप में काम कर चुके हैं. उन्हीं से प्रेरणा लेकर लोको पायलट बनने का सपना देखा था जो यहां पूरा हुआ.

इसके साथ ही साथ वर्षा की माने तो इस संवेदनशील क्षेत्र होने के बाद भी किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता और अन्य कर्मियों का भी भरपूर सहयोग मिलता है. वहीं, आउटसोर्सिंग की ऑपरेटर आभा कुमारी ने बताया कि आज के दौर में महिलाएं किसी काम में पीछे नहीं है और सभी एक दूसरे की प्रेरणा है.

लातेहार: नारी के बारे में किसी ने सच ही कहा है कि नारी कोमल है पर कमजोर नहीं. इस चरितार्थ को बखूबी साबित कर रही है जिले के बरवाडीह रेलवे में काम कर रही महिला कर्मी. धनबाद रेल मंडल के अति संवेदनशील और महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन के रूप में विख्यात बरवाडीह रेलवे स्टेशन में रेल परिचालन में लगभग 5 महिला कर्मी अपना अहम योगदान दे रही हैं.

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दो चतुर्थवर्गीय कर्मी के साथ-साथ सहायक रेल चालक के रूप में वर्षा कुमारी, क्लर्क रूप में मीना कुमारी और रेलवे के सीएमएस में आउटसोर्सिंग के माध्यम से बतौर ऑपरेटर आभा कुमारी काम कर रही हैं. यह महिलाकर्मी पुरुषकर्मियों के मुकाबले कहीं से भी कम नहीं है. वहीं, संवेदनशील शिक्षण में सहायक चालक के रूप में काम कर रही वर्षा कुमारी की माने तो उनके दादा और परदादा रेलवे में लोको पायलट (रेल चालक) के रूप में काम कर चुके हैं. उन्हीं से प्रेरणा लेकर लोको पायलट बनने का सपना देखा था जो यहां पूरा हुआ.

इसके साथ ही साथ वर्षा की माने तो इस संवेदनशील क्षेत्र होने के बाद भी किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता और अन्य कर्मियों का भी भरपूर सहयोग मिलता है. वहीं, आउटसोर्सिंग की ऑपरेटर आभा कुमारी ने बताया कि आज के दौर में महिलाएं किसी काम में पीछे नहीं है और सभी एक दूसरे की प्रेरणा है.

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