लातेहार: शिक्षा के क्षेत्र में नेतरहाट आवासीय विद्यालय ने राष्ट्रीय स्तर पर झारखंड को पहचान दिलाई है. इस विद्यालय से पढ़कर निकले छात्र आज अलग-अलग सेक्टर में छाए हुए हैं. इस विद्यालय के गौरव को बनाने और बताने की जरूरत नहीं है. सिर्फ थोड़ा आकार देने की जरूरत है, ताकि विश्व के पटल पर इसे पहचान दिलाई जा सके. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विद्यालय परिवार की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह में ये बातें कही. मुख्यमंत्री ने कहा कि बस इस पहचान को आगे भी कायम और संरक्षित रखना है. इस विद्यालय की समृद्ध व्यवस्था को बनाए रखने में सरकार पूरा सहयोग करेगी.
यहां आने की दिली ख्वाहिश पूरी हुई
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नेतरहाट आवासीय स्कूल के परिसर में पौधारोपण किया और लाइब्रेरी को भी देखा. अभिनंदन समारोह में प्राचार्य संतोष कुमार सिंह ने विद्यालय परिवार की ओर से मुख्यमंत्री और उनकी धर्मपत्नी कल्पना सोरेन को स्मृति चिन्ह प्रदान किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे अर्से बाद इस विद्यालय में आने का मौका मिला है. काफी समय से यहां आने की दिली ख्वाहिश थी, जो आज पूरी हुई. दूसरी बार यहां आकर काफी अच्छा लग रहा है. वैसे भी नेतरहाट की मनोरम वादियों में जो सैलानी आते हैं, उनकी यात्रा तभी पूरी मानी जाती है, जब उसने नेतरहाट आवासीय विद्यालय को देखा हो. यह विद्यालय झारखंड की शान है.
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अनूठा है नेतरहाट आवासीय विद्यालय
मुख्यमंत्री ने कहा कि नेतरहाट आवासीय विद्यालय अपने आप में अनूठा है. साल 1954 में स्थापना के बाद से ही यह विद्यालय हर क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करता आ रहा है. इस विद्यालय का कैंपस 460 एकड़ में फैला हुआ है, जो कि देश में शायद ही किसी विद्यालय का होगा. यहां विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी पारंगत बनाया जाता है. यहां के विद्यार्थी सिर्फ किताबी कीड़ा नहीं होते हैं, वे जब इस विद्यालय से निकलते हैं तो हाथों में हुनर होता है, जिसकी बदौलत वे विभिन्न क्षेत्रों में ना सिर्फ अपनी अलग पहचान बनाते हैं, बल्कि दूसरों को भी काबिल बनाते हैं. अनुशासन और बेहतर व्यवस्था के लिए के लिए यह विद्यालय जाना जाता है. ऐसे संस्थानों को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी.
सरकारी व्यवस्था की मिसाल है यह विद्यालय
सीएम ने कहा कि लोग अक्सर सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा करते हैं, लेकिन इस स्कूल की व्यवस्था मिसाल है. यहां की व्यवस्था को अपनाकर किसी भी संस्थान में जान फूंका जा सकता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज नेतरहाट जैसे विद्यालयों की जरूरत है. इस विद्यालय की ऊर्जा का इस्तेमाल अन्य विद्यालयों की व्यवस्था को बेहतर और उत्तम बनाने में किया जा सकता है. सरकार इस दिशा में बहुत जल्द बड़ा कदम उठाने जा रही है.