लातेहारः सर्व शिक्षा अभियान जिसका ध्येय है, सब पढ़े सब पढ़े, हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार देना और उसे योजनाओं के तहत जोड़ना है. शिक्षा विभाग के बैनर-पोस्टर में तमाम बातें लिखी जरुर हैं लेकिन उनका उद्देश्य कितना पूरा हो रहा है. जमीनी स्तर की सच्चाई इस स्लोगन से काफी दूर होती दिखाई दे रही है. जिला का नैना गांव के स्कूल को बंद कर गांव से 7 किलोमीटर दूर दूसरे स्कूल में मर्ज कर दिया. तब से नौनिहाल इस जर्जर भवन को बस देखकर ही रह जाते हैं. क्योंकि स्कूल बंद होने की वजह से 2 साल से बच्चे शिक्षा से महरूम हैं.
2 साल से बंद स्कूल की खुलने की आस लोगों को अभी-भी है क्योंकि अभिभावकों को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता है, लेकिन पहाड़ी और जंगल के दुर्गम रास्ते से अपने बच्चों को कोई भेजना नहीं चाहता है. लोगों की लगातार मांग है कि इस स्कूल को जल्द से जल्द खुलवाया जाए ताकि उनके बच्चों का भविष्य खराब ना हो. स्कूल में नामांकन नहीं होने के कारण यहां के बच्चों को किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा भी नहीं मिलने लगा.
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नियम का नहीं किया गया पालन
नैना गांव के विद्यालय को मर्ज करने के दौरान नियम का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन किया गया. मर्जर का नियम यह था कि उसी विद्यालय को मर्ज करना है जिसके 1 किलोमीटर की परिधि में कोई दूसरा विद्यालय हो. और जहां बच्चों की संख्या 20 से कम हो. परंतु नैना गांव के स्कूल से 7 किलोमीटर की दूरी तक कोई दूसरा विद्यालय नहीं था. इतना ही नहीं बल्कि नैना में 20 से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे थे.
क्या कहते हैं अधिकारी ?
इस संबंध में जिला शिक्षा अधीक्षक छ्ठू विजय सिंह ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में नहीं था. अधिकारी को भेजकर मामले की जांच करवा ले रहे हैं उसके बाद आवश्यकता अनुसार कार्रवाई की जाएगी.
सब पढ़े-सब बढ़े का स्लोगन भले ही शिक्षा विभाग के फाइलों की शोभा बढ़ाती हो. परंतु इस स्लोगन की सच्चाई देखना हो तो लातेहार जिले के नैना गांव जाकर कभी भी आसानी से देखा जा सकता है. नैना गांव के बच्चे प्राथमिक शिक्षा से पूरी तरह वंचित हो गए हैं. गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय को 2 वर्ष पहले ही बंद करते हुए गांव से 7 किलोमीटर दूर नेतरहाट मध्य विद्यालय में मर्ज कर दिया गया.