कोडरमा: बिरसा सांस्कृतिक भवन में सुरक्षित बचपन और सुरक्षित कोडरमा को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस दौरान ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे बड़ी संख्या में शामिल हुए. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कोडरमा उपायुक्त रमेश घोलप मैजूद रहे और बच्चों से सीधा संवाद किया.
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बच्चों ने उपायुक्त को बताई समस्या
कार्यक्रम में शामिल बच्चों ने उपायुक्त से अपनी समस्या बताई और कहा कि आज भी ग्रामीण परिवेश के बच्चे बाल मजदूरी करने को विवश है. कैलास सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में बच्चों की शिक्षा पर जोर दिया गया. कार्यक्रम में इस बात को लेकर चर्चा की गई कि कैसे बाल मजदूरी से बच्चों को हटाकर शिक्षा से जोड़ा जाए.
ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों के लिए पूर्ण शिक्षा व्यवस्था नहीं
कार्यक्रम में मैजूद बच्चों के अभिभावकों ने उपायुक्त का ध्यान आकृष्ट कराते हुए बताया कि आज भी ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों की पूर्ण शिक्षा की व्यवस्था नहीं है. बच्चों के अभिभावकों ने उपायुक्त से निवेदन करते हुए कहा कि ढाब और मेघातरी में उच्च विद्यालय खोला जाए ताकि इस क्षेत्र के बच्चों को भी गांव में ही उच्च शिक्षा प्राप्त हो सके. कार्यक्रम में उपस्थित अन्य वक्ताओं ने कहा कि बच्चे समाज की रीढ़ होते हैं और उन्हें अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराना समाज की जिम्मेवारी है.
उपायुक्त रमेश घोलप ने बताया कि लॉकडाउन के बाद देखा जा रहा था कि ग्रामीण क्षेत्र के गरीब परिवार के बच्चे बाल मजदूरी की ओर अग्रसर हो रहें हैं. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को मजदूरी से हटाकर शिक्षा की ओर कैसे जोड़ा जाए, इसको लेकर बच्चो के अभिभावकों और बचपन-बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं के साथ चर्चा हुई. बच्चों को मोटिवेट करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया गया.