कोडरमा: बिहार झारखंड को जोड़ने वाली कोडरमा घाटी एक्सीडेंटल जोन (Koderma Valley Accidental Zone) के रूप में जाना जाता है. इस घाटी में अमूमन सड़क दुर्घटनायें होती है. कभी कभी गंभीर रूप से घायलों को ससमय अस्पताल नहीं पहुंचाये जाने से मौत हो जाती है. बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए कोडरमा जिला प्रशासन ने घाटी में ट्रामा सेंटर बनाने की योजना बनाई है, ताकि दुर्घटना में घायलों को समुचित इलाज की सुविधा मुहैया कराने के साथ साथ जान बचाई जा सके.
यह भी पढ़ेंः कोडरमा घाटी में ट्रक और हाइवा की जोरदार टक्कर, हाइवा चालक की मौत
22 किलोमीटर लंबे इस कोडरमा घाटी में कई तीखे मोड़ हैं, जहां विपरीत दिशा से आने वाले वाहनों का पता नहीं चलता. इससे हमेशा दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. इस स्थिति में थोड़ी चूक या लापरवाही जानलेवा साबित हो जाती है. कोडरमा घाटी में सड़क दुर्घटना के शिकार घायलों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है. इसकी वजह है कि नजदीक में बेहतर अस्पताल नहीं है. दुर्घटना में घायलों को आनन-फानन में नजदीक के अस्पताल में पहुंचाया जाता है, जहां प्राथमिक उपचार के बाद मरीज को रेफर कर दिया जाता है. दूसरे बड़े अस्पताल तक पहुंचते-पहुंचते कई घायलों की जान भी चली जाती है.
कोडरमा घाटी के एक्सीडेंटल जोन को देखते हुए कोडरमा सदर अस्पताल में अत्याधुनिक इमरजेंसी वार्ड तैयार किया गया है, जहां 24 घंटे डॉक्टरों की टीम ड्यूटी पर तैनात होते हैं. इसके अलावा जिला प्रशासन ने राज्य सरकार के पास ट्रामा सेंटर के निर्माण से संबंधित प्रस्ताव भेजा है. उपायुक्त अदित्य रंजन ने बताया कि ट्रामा सेंटर के प्रस्ताव को राज्य सरकार की मंजूरी मिल जाती है तो कोडरमा घाटी से सटे मेघातरी या घाटी के बीचोबीच ट्रामा सेंटर निर्माण कराया जाएगा, ताकि घायलों को शीघ्र इलाज की सुविधा मिल सके. उन्होंने कहा कि ट्रामा सेंटर बन जाएगा तो मरीज को रेफर करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.