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अंग्रेजों के जमाने से मशहूर है कोडरमा का 'कलाकंद', विदेशों में भी है डिमांड - कलाकंद मिठाई

कोडरमा में कलाकंद मिठाई की शुरुआत हुई है. यहां के कलाकंद के विशेष स्वाद और शुद्धता के कारण ये न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी काफी पसंद किये जाते हैं.

झुमरी तिलैया के बने कलाकंद
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Published : Aug 16, 2019, 2:33 PM IST

कोडरमाः जिले के झुमरी तिलैया का कलाकंद, एक ऐसी मिठाई है जिसके बारे में लोग जानते भी है और पहचानते भी. लेकिन कम ही लोग इसके असली जायके से वाकिफ होंगे. कोडरमा का कलाकंद, अंग्रेजों के शासन काल से ही यहां की पहचान है. कलाकंद बनाने की शुरुआत यहीं से हुई थी. जिसके बाद पूरे देश में कलाकंद विख्यात हुआ.

देखिए स्पेशल स्टोरी

झुमरी तिलैया कलाकंद की जननी

झुमरी तिलैया में केसरिया और सादा कलाकंद के कई सुप्रसिद्ध दुकानें हैं. कलाकंद मिठाई से न सिर्फ भारत के लोग वाकिफ हैं, बल्कि विदेशों में भी झुमरी तिलैया के कलाकंद की अपनी पहचान है. अंग्रेजों के शासनकाल में झुमरी तिलैया का यह कलाकंद और इसकी मिठास ब्रिटिश अधिकारियों की पहली पसंद थी. कोडरमा के झुमरी तिलैया शहर में ही सबसे पहले कलाकंद मिठाई बनना शुरू हुआ था. हालांकि 1960 के बाद से लगातार कलाकंद को लेकर यहां का कारोबार आगे बढ़ रहा है.

काफी समय से कलाकंद के व्यवसाय से जुड़े ओम खेतान बताते हैं कि आज भी जिनके घरवाले विदेश में रहते हैं, वे यहां से कलाकंद जरूर ले जाते हैं. ओम खेतान की माने तो यहां की आबो हवा कलाकंद के स्वाद को अनोखा बनाती है.

पूरे देश में सबसे अलग है यहां के कलाकंद का स्वाद

हालांकि कई दशक पहले कोडरमा में कलाकंद का बनना शुरू हुआ था. जिसके बाद देश के दूसरे हिस्सों में भी अब कलाकंद बननी और बिकनी शुरू हो गई है. लेकिन जो जायका कोडरमा के कलाकंद में है, वह अपने आप में अनोखा है. इसे लेकर लोगों के अपने-अपने अनुभव भी हैं. पुणे में नौकरी करने वाले महेश बताते हैं कि वे जब भी यहां आते हैं, यहां का कलाकंद पुणे ले जाकर अपने दोस्तों को खिलाते हैं.

ये भी पढ़ें- धूमधाम से मनाया गया आजादी का जश्न, एक से बढ़कर एक झांकी की हुई प्रस्तुति

त्योहारों में सबसे अधिक कलाकंद की डिमांड

त्योहारों में इसकी बिक्री तो परवान पर होती है. कई लोग तो एडवांस में इसकी खरीदारी कर ले जाते हैं. लोगों का कहना है कि यहां के कलाकंद का स्वाद कहीं और नहीं मिल सकता. झुमरी तिलैया के सुप्रसिद्ध कलाकंद की मिठास लोगों के दिलों में बसी है. कलाकंद शुद्ध दूध से तैयार किया जाता है और इसमें चीनी की मात्रा भी काफी कम होती है. बावजूद इसके इसका अनोखा स्वाद कई दशकों से लगातार बरकारार है.

कोडरमाः जिले के झुमरी तिलैया का कलाकंद, एक ऐसी मिठाई है जिसके बारे में लोग जानते भी है और पहचानते भी. लेकिन कम ही लोग इसके असली जायके से वाकिफ होंगे. कोडरमा का कलाकंद, अंग्रेजों के शासन काल से ही यहां की पहचान है. कलाकंद बनाने की शुरुआत यहीं से हुई थी. जिसके बाद पूरे देश में कलाकंद विख्यात हुआ.

देखिए स्पेशल स्टोरी

झुमरी तिलैया कलाकंद की जननी

झुमरी तिलैया में केसरिया और सादा कलाकंद के कई सुप्रसिद्ध दुकानें हैं. कलाकंद मिठाई से न सिर्फ भारत के लोग वाकिफ हैं, बल्कि विदेशों में भी झुमरी तिलैया के कलाकंद की अपनी पहचान है. अंग्रेजों के शासनकाल में झुमरी तिलैया का यह कलाकंद और इसकी मिठास ब्रिटिश अधिकारियों की पहली पसंद थी. कोडरमा के झुमरी तिलैया शहर में ही सबसे पहले कलाकंद मिठाई बनना शुरू हुआ था. हालांकि 1960 के बाद से लगातार कलाकंद को लेकर यहां का कारोबार आगे बढ़ रहा है.

काफी समय से कलाकंद के व्यवसाय से जुड़े ओम खेतान बताते हैं कि आज भी जिनके घरवाले विदेश में रहते हैं, वे यहां से कलाकंद जरूर ले जाते हैं. ओम खेतान की माने तो यहां की आबो हवा कलाकंद के स्वाद को अनोखा बनाती है.

पूरे देश में सबसे अलग है यहां के कलाकंद का स्वाद

हालांकि कई दशक पहले कोडरमा में कलाकंद का बनना शुरू हुआ था. जिसके बाद देश के दूसरे हिस्सों में भी अब कलाकंद बननी और बिकनी शुरू हो गई है. लेकिन जो जायका कोडरमा के कलाकंद में है, वह अपने आप में अनोखा है. इसे लेकर लोगों के अपने-अपने अनुभव भी हैं. पुणे में नौकरी करने वाले महेश बताते हैं कि वे जब भी यहां आते हैं, यहां का कलाकंद पुणे ले जाकर अपने दोस्तों को खिलाते हैं.

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त्योहारों में सबसे अधिक कलाकंद की डिमांड

त्योहारों में इसकी बिक्री तो परवान पर होती है. कई लोग तो एडवांस में इसकी खरीदारी कर ले जाते हैं. लोगों का कहना है कि यहां के कलाकंद का स्वाद कहीं और नहीं मिल सकता. झुमरी तिलैया के सुप्रसिद्ध कलाकंद की मिठास लोगों के दिलों में बसी है. कलाकंद शुद्ध दूध से तैयार किया जाता है और इसमें चीनी की मात्रा भी काफी कम होती है. बावजूद इसके इसका अनोखा स्वाद कई दशकों से लगातार बरकारार है.

Intro:कोडरमा के झुमरी तिलैया का कलाकंद एक ऐसी मिठाई जिसके बारे में लोग जानते भी हैं और इस मिठाई को पहचानते भी लेकिन कम ही लोग इसके असली जायके से वाकिफ होंगे। कोडरमा का कलाकंद अंग्रेजों के शासन काल से ही यहां की पहचान हैं ।


Body: केसरिया कलाकंद सादा कलाकंद, कोडरमा के झुमरी तिलैया शहर में सुप्रसिद्ध कलाकंद के लिए कई दुकानें है। कलाकंद मिठाई से न सिर्फ भारत के ही लोग वाकिफ हैं बल्कि विदेशों में झुमरी तिलैया का कलाकंद अपनी पहचान बनाए रखा है। अंग्रेजों के शासनकाल से झुमरी तिलैया शहर का यह कलाकंद और इसकी मिठास ब्रिटिश अधिकारीयो की पहली पसंद थी। कोडरमा के झुमरी तिलैया शहर में कलाकंद मिठाई का आविष्कार किया गया था, हालांकि 1960 के बाद से लगातार कलाकंद को लेकर यहां का कारोबार आगे बढ़ रहा है। शुरू से कलाकन्द के व्यवसाय से जुड़े ओम खेतान बताते हैं कि आज भी जिनके लोग विदेशों में रहते हैं यहां से कलाकंद जरूर ले जाते हैं। ओम खेतान की माने तो यहाँ की आबो हवा कलाकंद के स्वाद को अनोखा बनता है।
बाइट :- ओम खेतान, कलाकन्द व्यवसाई

हालांकि कई दशकों पहले कोडरमा में कलाकंद मिठाई के उद्भव के बाद देश के दूसरे हिस्सों में भी अब कलाकंद बननी और बिकनी शुरू हो गई है। लेकिन जो जायका कोडरमा के कलाकंद में है वह अपने आप में अनोखा है और इसे लेकर लोगों के अपने अपने अनुभव भी। पुणे में नौकरी करने वाले महेश बताते हैं कि वे जब भी यहां आते हैं यहां का कलाकन्द पुणे ले जाकर अपने दोस्तों को खिलाते हैं।
बाइट :- महेश, कलाकन्द के शौक़ीन

कल राखी है और राखी को लेकर कलाकंद की बिक्री परवान पर है। कई लोग आज से ही राखी के लिए कलाकंद मिठाई की खरीदारी शुरू कर दिए हैं। लोगों का कहना है यहां के कलाकंद का स्वाद कहीं और नहीं मिल सकता।
बाइट :- अजय झा, कलाकन्द के शौक़ीनConclusion:झुमरी तिलैया का सुप्रसिद्ध कलाकंद की मिठास लोगो के दिलों जान पर बसा है। कलाकंद शुद्ध दूध से तैयार किया जाता है और इसमें चीनी की मात्रा भी काफी कम होती है। बावजूद इसके इसका अनोखा स्वाद कई दशकों से लगातार बरक़रार है।
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