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स्वयं सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं हो रही हैं आत्मनिर्भर, रोजगार से जुड़कर परिवार का कर रही हैं गुजारा - महिलाएं आत्मनिर्भर

कहते हैं जब हम एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो केवल एक व्यक्ति ही शिक्षित होता है लेकिन जब एक महिला को शिक्षित करते हैं, तो एक पीढ़ी शिक्षित होती है. आज हम आपको कोडरमा की एक ऐसी महिला की कहानी बताएंगे जिसने सरकारी पहल से सामाजिक बंधनों को पीछे छोड़ खुद को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ दूसरी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के गुर सिखा रही है.

स्वयं सहायता समूह
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Published : Sep 27, 2019, 9:55 PM IST

कोडरमाः जिले में महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अपने परिवार का गुजारा करने में समर्थ बन रहीं हैं. महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर समाज के लिए मिसाल पेश कर रही हैं. सरकार के सवयं सहायता योजना महिलाओं को स्वरोजगार दिलाकर सशक्त करने का प्रयास है.

देखें पूरी खबर

महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर

राज्य सरकार की पहल से महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं, बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी पेश कर रही हैं. कोडरमा के सतगावां प्रखंड के पचमोह गांव की संगीता कुमारी, आर्थिक अभाव के कारण कई परेशानियों से जूझ रही थीं. गांव की महिलाओं ने संगीता को महिला मंडल से जुड़ने की सलाह दी. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के सहयोग से संगीता स्वयं सहायता समूह से जुड़ी. समूह से बचत की आदत सीख संगीता ने महिला मंडल से लोन लेकर दुकान खोला और अच्छे से अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं.

यह भी पढ़ें- जन आशीर्वाद यात्रा का दूसरा चरण, सीएम रघुवर दास 5सौ किलोमीटर की यात्रा में करेंगे 40 जनसभा

गरीबों की शादी में करती हैं सहयोग

संगीता जिस समूह से जुड़ी, उसका नाम लक्ष्मी आजीविका महिला मंडल है. फिलहाल इस स्वयं सहायता समूह से 11 महिलाएं जुड़ी हैं. सभी महिलाएं हर सप्ताह नियमित बैठक करती हैं और 10-10 रुपए जमा भी करती हैं. ऐसे में महिलाएं जरूरत के समय किसी को ऋण देती है. इसके अलावा एक-एक मुट्ठी जमा किया गया चावल गरीबों की शादी में मदद के रुप में दिया जाता है. समूह के जरिए ही संगीता लोन लेकर दुकान खोली और सिलाई बुनाई करती हैं. वह सतगावां प्रखंड के कुछ महिलाओं को सिलाई भी सिखाती हैं. महिलाएं बताती हैं की समूह की जब बैठक होती है तब महिलाएं एक दूसरे की समस्याओं पर भी चर्चा करती हैं.

कोडरमाः जिले में महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अपने परिवार का गुजारा करने में समर्थ बन रहीं हैं. महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर समाज के लिए मिसाल पेश कर रही हैं. सरकार के सवयं सहायता योजना महिलाओं को स्वरोजगार दिलाकर सशक्त करने का प्रयास है.

देखें पूरी खबर

महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर

राज्य सरकार की पहल से महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं, बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी पेश कर रही हैं. कोडरमा के सतगावां प्रखंड के पचमोह गांव की संगीता कुमारी, आर्थिक अभाव के कारण कई परेशानियों से जूझ रही थीं. गांव की महिलाओं ने संगीता को महिला मंडल से जुड़ने की सलाह दी. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के सहयोग से संगीता स्वयं सहायता समूह से जुड़ी. समूह से बचत की आदत सीख संगीता ने महिला मंडल से लोन लेकर दुकान खोला और अच्छे से अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं.

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गरीबों की शादी में करती हैं सहयोग

संगीता जिस समूह से जुड़ी, उसका नाम लक्ष्मी आजीविका महिला मंडल है. फिलहाल इस स्वयं सहायता समूह से 11 महिलाएं जुड़ी हैं. सभी महिलाएं हर सप्ताह नियमित बैठक करती हैं और 10-10 रुपए जमा भी करती हैं. ऐसे में महिलाएं जरूरत के समय किसी को ऋण देती है. इसके अलावा एक-एक मुट्ठी जमा किया गया चावल गरीबों की शादी में मदद के रुप में दिया जाता है. समूह के जरिए ही संगीता लोन लेकर दुकान खोली और सिलाई बुनाई करती हैं. वह सतगावां प्रखंड के कुछ महिलाओं को सिलाई भी सिखाती हैं. महिलाएं बताती हैं की समूह की जब बैठक होती है तब महिलाएं एक दूसरे की समस्याओं पर भी चर्चा करती हैं.

Intro:सरकार के पहल से महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी पेश कर रही है । आज हम आपको कोडरमा की एक ऐसी महिला की कहानी दिखाएंगे जिसने सरकारी पहल पर सामाजिक बंधनों को पीछे छोड़ खुद को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ दूसरी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के गुर सिखा रही है।

Body:यह है कोडरमा के सतगावां प्रखंड के पचमोह गांव की संगीता कुमारी। आर्थिक अभाव के कारण संगीता को कई परेशानिओ से जूझना पड़ता था। गांव की महिलाओ ने संगीता को महिला मंडल से जुड़ने की सलाह दी। झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के सहयोग से संगीता स्वयं सहायता समूह से जुडी। समूह से बचत की आदत सीख संगीता ने महिला मंडल से लोन लेकर दुकान खोला और आज अच्छे से अपने परिवार का भरण पोषण कर रही है।
बाइट - संगीता कुमारी, आत्मनिर्भर महिला- मरून और ग्रीन साड़ी में

संगीता जिस समूह से जुडी उसका नाम लक्ष्मी आजीविका महिला मंडल है फ़िलहाल इस स्वयं सहायता समूह से 11 महिलाएं जुड़ी हैं। सभी महिलाएं हर सप्ताह नियत समय पर बैठक करती हैं और 10-10 रुपए जमा भी करती है। ऐसे में महिलाएं जरूरत के समय किसी को ऋण देती है तो एक एक मुट्ठी जमा किया गया चावल गरीबों की शादी ब्याह में काम आता है।
बाइट :- अनीता देवी, अध्यक्ष, महिला मंडल- गुलाबी साडी में

जिस समूह से संगीता जुड़ी है उस समूह की महिलाएं संगीता से खासी प्रभावित है। समूह के जरिए ही संगीता ने लोन लेकर दुकान खोली और सिलाई बुनाई करती हैं और सतगावां प्रखंड के कुछ महिलाओं को सिलाई भी सिखाती है। महिलाएं बताती हैं की समूह की जब बैठक होती है महिलाएं एक दूसरे की समस्याओं पर भी चर्चा करती है। गांव की समस्याओं को भी लेकर महिलाएं बैठक में चर्चा करते हुए उसका निबटारा करती है।
बाइट :- राधा देवी, सदस्य महिला मंडल - पिली साड़ी में

Conclusion: संगीता महिलाओ के साथ मिलकर स्कुल ड्रेस बनती है और हाल में उसे मिटटी की डॉक्टर की ट्रेंनिग भी दी गई है। जिस तरह से मजबूरी और बंदिशों से लड़ती हुई कोडरमा की संगीता आज अपनी राहें आसान कर ली है वही गांव की महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी है। स्वय सहायता समूह के जरिये सरकार का प्रयास है की महिलाओ में बचत की आदत जगे और कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखने वाली महिलाये आत्मनिर्भर बने।
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