कोडरमाः जिले में बरही से जेजे कॉलेज तक एनएच 31 के फोरलेन निर्माण का कार्य किया जा रहा है, लेकिन इस निर्माण कार्य की आड़ में तिलैया डैम और इसके आसपास की खूबसूरत पहाड़ियों को नेस्तनाबूद किया जा रहा है. इतना ही नहीं पहाड़ों से तोड़ा गया पत्थर सड़क निर्माण करने वाली कंपनी के द्वारा बिहार भेजा जा रहा है(Rules ignored in Barhi Koderma four lane road). विधानसभा के समिति सदस्य के रूप में कोडरमा पहुंचे बरही विधायक उमाशंकर अकेला ने इस मामले को उजागर करते हुए जांच की मांग की है.
बरही से लेकर जवाहर घाटी तक यह पूरा इलाका पहाड़ों से घिरा पड़ा है और इन्हीं पहाड़ों के बीच से एनएच 31 के साथ-साथ कोडरमा बरकाकाना रेलखंड पर ट्रेन का परिचालन किया जाता है. पहाड़ के एक तरफ चमचमाती हुई रफ्तार भरी सड़क का निर्माण किया जा रहा है, तो दूसरी तरफ कोडरमा बरकाकाना-रेलखंड स्थित है और जब रेलखंड से सटे पहाड़ को ध्वस्त करने के लिए ब्लास्टिंग की जाती है तो उसका खामियाजा इस रेलखंड को भी भुगतना पड़ता है. हाल ही में इस ट्रैक पर ब्लास्टिंग के बाद पत्थरों का मलबा गिर गया था, जिसके कारण रेल परिचालन बाधित हुआ था.
जवाहर घाटी में इन पहाड़ों को तोड़ने के लिए आरकेएस कंपनी के द्वारा न तो किसी तरह का लाइसेंस लिया गया और न ही पत्थरों के परिवहन के लिए खनन विभाग की ओर से चालान जारी किया गया था. बहरहाल पिछले दिनों जिला प्रशासन ने इन पत्थरों को तोड़े जाने के आरोप में आरकेएस कंपनी से ढाई करोड़ रुपए जुर्माना भी वसूला था. उपायुक्त आदित्य रंजन ने बताया कि जुर्माने के साथ पहाड़ काटने पर रोक लगाई गई थी लेकिन, अगर पहाड़ों को फिर से तोड़ा जा रहा है तो एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.
बरही और कोडरमा के जवाहर घाटी के बीच इन पहाड़ों के तोड़े जाने के कारण यहां की प्राकृतिक खूबसूरती का नजारा भी छिनता जा रहा है, इसके साथ ही पहाड़ तोड़े जाने में सरकारी नियमों की अनदेखी के कारण सरकार को करोड़ों का राजस्व का नुकसान भी हो रहा है.