कोडरमा: आदिम जनजाति को बचाने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही है. लेकिन इन योजनाओं का लाभ बिरहोर आदिम जनजाति तक नहीं पहुंच पाता है. स्थिति यह है कि बिरहोर जनजाति की स्थिति काफी दयनीय है. हालांकि, अब जिले में आदिन जनजाति को मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी गई है.
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जिले के गझंड़ी पंचायत में रहने वाले बिरहोर जनजाति की स्थिति दयनीय बनी हुई है. दशकों पहले बने आवास जर्जर हो चुके हैं. इसके बावजूद इन जर्जर घरों में बिरहोर रहने को मजबूर है. इसके अलावा आज भी बिरहोर का जीवन स्तर काफी निम्न है. उन्होंने बताया कि अधिकारी स्थिति का जाजया लेने आते हैं. लेकिन किसी तरह का लाभ मुहैया नहीं कराते हैं.
बताया जाता है कि सरकार की ओर से बिरहोर जनजाति को मकान, भोजन और रोजगार आदि सुविधा मुहैया कराई जाती है. लेकिन बिरहोर जनजाति के जीवन स्तर में कोई बदलाव नहीं हो रहा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि सिर्फ सुविधाएं देने से बिरहोर के जीवन स्तर में बदलाव नहीं होगा, बल्कि पूरे समुदाय को जागरूक भी करना होगा.
आधार कार्ड नहीं होने से इन दिनों बिरहोर समुदाय के लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आधार कार्ड नहीं होने की वजह से कई योजनाओं के लाभ से वंचित है. स्थानीय मुखिया के मुताबिक कैंप लगाकर बिरहोरों का आधार कार्ड बनाया जा रहा है. वहीं, उपायुक्त अदित्य रंजन ने बताया कि बिरहोरों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए सरकार भी गंभीर है. जिले में रहने वाले सभी बिरहोर समुदाय के लोगों के मकानों का सर्वे कराया जा रहा है, ताकि नए आवास बनाने की प्रक्रिया शुरू की जा सके.