कोडरमा: झारखंड आदिवासियों के कल्याण के लिए बना. लेकिन आदिवासियों का नसीब बदलता नजर नहीं आ रहा है. कोडरमा के डोमचांच प्रखंड के ढोंढाकोला स्थित नाला बिरहोर टोला में आदिवासी समुदाय के लोगों तक सरकारी सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं. नतीजतन यहां आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के लोगों को आदिम हालात में जीना पड़ रहा है. कड़ाके की सर्दी में आवास के अभाव में झोपड़े में रहने वाले बिरहोर जान बचाने के लिए लकड़ियां जलाकर रात बिताने को मजबूर हैं.
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस बिरहोर टोला में करीब 55 लोग रहते हैं. दशकों पहले यहां 11 सरकारी आवास बनाए गए थे, ये भी पूरी तरह से जर्जर हो गए हैं. अब ये रहने के लायक नहीं हैं. इसके कारण बिरहोर समुदाय के लोग घास-फूस और पत्ते के बने कुनबे यानी झोपड़े में रहने को मजबूर है. इधर यहां पड़ रही कड़ाके की सर्दी से उनका जीवन संकट में है. सर्दी के चलते ये आग जलाकर रात में जान बचाने के लिए मजबूर हैं.
बता दें कि नाला बिरहोर टोला में बिरहोर समुदाय के तकरीबन 55 से 60 लोग निवास करते हैं, जिनमें कई बच्चे और वृद्ध महिलाएं भी है. बिरहोर समुदाय के स्थानीय लोगों की मानें तो उन्हें किसी तरह की सुविधाएं नहीं मिल रहीं है और इस ठंड में वे लोग कैसे रह रहे हैं इसकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है. वहीं दूसरी तरफ ठंड से बचने के लिए कई बिरहोर परिवार हर रात आंगनबाड़ी में रात गुजारते हैं.
नाला बिरहोर टोला की एक बिरहोर महिला ने बताया कि सबसे पहले उन्हें रहने के लिए आवास की जरूरत है ताकि उन्हें ठंड से राहत मिल सके. उसने बताया कि 9 जनवरी को नवलशाही में पत्ते के झोपड़ी में रह रही एक बिरहोर महिला की ठंड से मौत हो गई थी.