कोडरमा: झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में शामिल कोडरमा विधानसभा क्षेत्र खासा महत्व रखता है. जिला मुख्यालय, विधानसभा क्षेत्र और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र होने के चलते यह इलाका राज्य की सियासत में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वहीं इसकी महत्ता का दूसरा कारण है इस क्षेत्र में अभ्रक की भरमार. पूरी दुनिया में कोडरमा को अभ्रक की खदानों के लिए जाना जाता है. यहां पर अभ्रक की इतनी खदानें हैं कि इसे अभ्रक नगरी के नाम से भी जाना जाता है.
कोडरमा क्यों है खास
अभ्रक की खदानों से इतर कोडरमा की पर्यटन स्थल के रूप में भी खासी पहचान है. यहां का मां चंचला देवी शक्तिपीठ देशभर में जाना जाता है. यह शक्तिपीठ दुर्गा मां को समर्पित है. शक्तिपीठ के अलावा भी यहां देखने के लिए बहुत कुछ है. उरवन टूरिस्ट कॉम्पलेक्स, ध्वजागिरी पहाड़ी, तिलैया बांध, कोडरमा वन्यजीव अभयारण्य और सतगांवा पेट्रो झरना इसके प्रमुख पर्यटक स्थल हैं.
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इतिहास की दृष्टि में कोडरमा
कोडरमा अंग्रेजों के शासन में आदिवासियों के विद्रोह का गवाह रहा है. फिलहाल यह इलाका नक्सल प्रभावित है. कोडरमा विधानसभा सीट के साथ ही साथ लोकसभा सीट भी है. कोडरमा लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा (कोडरमा, बरकट्ठा, धनवार, बगोदर, जमुआ और गांडेय ) सीटें आती हैं.
कोडरमा है अनारक्षित सीट
कोडरमा विधानसभा क्षेत्र बिहार के नवादा और गया जिले की सीमाओं से सटा हुआ है. इसके अलावा झारखंड का गिरडीह और हजारीबाग जिला भी इस क्षेत्र की सीमा से सटा हुआ है. यहां की ज्यादातर आबादी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की है. हालांकि कोडरमा सीट अनारक्षित है.
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राजनीतिक दृष्टि में कोडरमा
राजनीतिक दृष्टि से कोडरमा के इतिहास में काफी फेरबदल हुए हैं. यहां हर बार चेहरों के साथ-साथ पार्टियां भी बदलती आई हैं. यहां पहली बार 1952 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अवध बिहारी दीक्षित विजेता होकर विधायक बने तो वहीं 1957 में जनता पार्टी के जीपी त्रिपाठी ने जीत हासिल की. 1962 में कांग्रेस के अवध बिहारी दीक्षित यहां से जीतकर लौटे. इसके बाद 1967 से लेकर1985 तक यहां पर हुए चुनाव काफी दिलचस्प रहे. इस दौरान यहां से कभी विश्वनाथ मोदी ने बाजी मारी तो कभी कांग्रेस के राजेंद्र नाथ दां ने, कोडरमा से सबसे ज्यादा बार किसी ने सीट जीता तो वह हैं अन्नपूर्णा देवी. उन्होंने लगातार चार बार इस सीट से जीत हासिल की. 2014 चुनाव के पहले बीजेपी ने एक बार भी यहां से जीत दर्ज नहीं की. ये हैं वर्षवार कोडरमा के विधायक-
वर्ष | विधायक | पार्टी |
1952 | अवध बिहारी दीक्षित | कांग्रेस |
1957 | जीपी त्रिपाठी | सीएनपीएसपीजेपी |
1962 | अवध बिहारी दीक्षित | कांग्रेस |
1967 | विश्वनाथ मोदी | एसएसपी |
1969 | विश्वनाथ मोदी | एसएसपी |
1972 | राजेंद्र नाथ दां | कांग्रेस |
1977 | विश्वनाथ मोदी | जेएनपी |
1980 | राजेंद्र नाथ दां | कांग्रेस |
1985 | राजेंद्र नाथ दां | कांग्रेस |
1990 | रमेश प्रसाद यादव | जनता दल |
1995 | रमेश प्रसाद यादव | जनता दल |
1998 | अन्नपूर्णा देवी | आरजेडी |
2000 | अन्नपूर्णा देवी | आरजेडी |
2005 | अन्नपूर्णा देवी | आरजेडी |
2009 | अन्नपूर्णा देवी | आरजेडी |
2014 | नीरा यादव | बीजेपी |
झारखंड बनने के बाद कोडरमा विधानसभा
2000 में झारखंड निर्माण के बाद यहां 2005 में हुए पहले चुनाव में आरजेडी की अन्नपूर्णा देवी यादव ने जीत हासिल की. 2009 में अन्नपूर्णा देवी ने एक बार फिर इस सीट पर जीत दर्ज करने में सफलता पाई. 1998, 2000, 2005 और 2009 चार विधानसभा चुनावों में हर बार अन्नपूर्णा देवी जीत दर्ज करती आई. ऐसे में यह क्षेत्र आरजेडी का गढ़ कहा जाने लगा. इस आरजेडी के गढ़ में पहली बार सेंध लगाई बीजेपी ने. बीजेपी ने इस गढ़ में सेंध लगाकर पहली बार ही इस जीत से जीत भी दर्ज की. यह कारनामा हुआ 2014 में. 2014 में बीजेपी की नीरा यादव ने आरजेडी की अन्नपूर्णा देवी को शिकस्त दी और इसके साथ ही कोडरमा विधानसभा में पहली बार कमल खिला. वर्तमान में नीरा यादव कोडरमा की विधायक हैं. इसके साथ ही वे मानव संसाधन मंत्री भी है. झारखंड गठन के बाद कोडरमा के विधायक-
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बदलता समीकरण
जिला परिषद उपाध्यक्ष से नीरा यादव अचानक से बीजेपी की उम्मीदवार बनी और डॉ नीरा यादव ने वर्षों से एक ही सत्ताशासन के खिलाफ उपजे आक्रोश का फायदा उठाया और व जातीय समीकरण को तोड़ते हुए 13,525 मत के भारी अंतर से 2014 में जीत हासिल की. इस जीत के साथ नीरा यादव और अन्नपूर्णा देवी के बीच पक्ष-विपक्ष की तनातनी जारी रही. लेकिन लोकसभा चुनाव में यह समीकरण तेजी से बदला और अन्नपूर्णा देवी ने बीजेपी का दामन थाम लिया. अन्नपूर्णा देवी फिलहाल कोडरमा से बीजेपी की सांसद है.
5 साल के कार्यकाल में विधायक का दावा
विधायक और मंत्री नीरा यादव का दावा है कि उनके कार्यकाल में कोडरमा में विकास की गंगा बही है. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पेयजल आपूर्ति सभी क्षेत्र में काम किया है. वहीं भ्रष्टाचार दूर करने का काम भी किया है. नीरा यादव का दावा है कि उनके कार्यकाल में चौमुखी विकास हुआ है.
विपक्ष का दावा
कांग्रेस के सैय्यद नसीम का कहना है कि नीरा यादव के विकास के दावे खोखले हैं. शिक्षा मंत्री रहते हुए भी उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कोई काम नहीं किया. सरकार के महत्वाकांक्षा कार्यक्रम मोमेंटम झारखंड के तहत कोडरमा के एक भी युवा को रोजगार नहीं मिला. शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई, सड़क बदहाल हैं तो वहीं अस्पताल की हालत जर्जर है. जेवीएम के रमेश हर्षधर भी इसमें सहमति जताते नजर आते हैं. उनका भी कहना है कि पावर प्लांट लगाने की बात हुई लेकिन बिजली मिली नहीं. विकास के नाम पर सिर्फ जनता को ठगा गया.
जनता की राय
कोडरमा विधानसभा की जनता से ईटीवी भारत ने जब विधायक नीरा यादव से जाना कि उनके कार्यकाल को जनता कितना आंकती है तो जवाब सकारात्मक मिला. निरा यादव के काम से जनता खुश नजर आई. जनता का कहना है कि उनके कार्यकाल में सड़क दुरस्त हुई, कॉलेज, अस्पताल सुधरे. हालांकि उनके कई काम जो अधूरे रह गए उसके लिए जनता उनसे थोड़ी नाराज भी नजर आई. कुल मिलाकर उन्हें जनता ने 10 में से औसत 7 मार्क्स दिए हैं जो बताता है कि वह जनता का दिल जीतने में कामयाब हो गई है. जनता का भरोसा उनपर बरकरार है. वहीं जनता के साथ-साथ ही पार्टी ने भी उनपर भरोसा जताते हुए उन्हें दोबारा टिकट दिया है. अब देखना यह होगा की वे चुनाव जीतकर इस भरोसे पर कितनी खरी उतरती है.