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बाल विवाह के खिलाफ राधा ने तोड़ी चुप्पी, लड़के वालों से कहा- अभी शादी नहीं पढ़ाई जरूरी - minor girl refused child marriage

कोडरमा के डोमचांच की रहने वाली राधा कुमारी (Radha Kumari) ने उम्र से पहले शादी से इनकार कर समाज की दूसरी लड़कियों के लिए मिसाल पेश किया है. 17 साल की राधा कुमारी के लिए शादी की जगह पढ़ाई ज्यादा जरूरी थी. इसके लिए उसने शादी रोकने लिए वो कदम उठाया जिससे वो जिले की आइकॉन बन गई.

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राधा कुमारी
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Published : Jul 4, 2021, 1:24 PM IST

Updated : Jul 4, 2021, 2:18 PM IST

कोडरमा: एक तरफ दुनिया में झारखंड की लड़कियां घर की दहलीज लांघकर सफलता की नित नई कहानी लिख रही हैं. फिर चाहे दीपिका कुमारी हो, सलीमा टेटे हो या फिर अरूणिमा सिन्हा जो हिमालय तक को लांघ जाने की क्षमता रखती हैं. वहीं झारखंड के कोडरमा में एक ऐसा गांव है. जहां आज भी कुछ तबके में रूढ़िवादी सोच कायम है. सोच लड़कियों को जकड़कर रखने की है. इस गांव में लड़कियों को मूल शिक्षा से वंचित रख उनकी कम उम्र में ही शादी करा दी जाती है. हम बात कर रहे हैं कोडरमा के डोमचांच की रहने वाली राधा की. जिसने कम उम्र में ही समाज की रूढ़िवादी सोच पर ऐसा प्रहार किया कि वो देश और समाज के लिए मिसाल बन गई.

ये भी पढ़िए- 'बाल विवाह एक अभिशाप'...बाल विवाह के दंश में फंस रहा बचपन, देश में तीसरे स्थान पर है झारखंड

शादी नहीं पढ़ाई जरूरी

दरअसल कोडरमा के डोमचांच की रहने वाली 17 साल की राधा की आर्थिक तंगी के कारण कम उम्र में ही शादी तय कर दी गई. शादी की बात से अंजान राधा अपनी पढ़ाई में लगी हुई थी. जब उसके घर में तिलक और शादी के लिए तैयारी होने लगी तब उसे अपनी शादी का अहसास हुआ. बहरहाल राधा ने पहले तो अपने घर वालों को समझाने की कोशिश की. लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई.

देखिए पूरी खबर

राधा ने की सुसराल वालों से बात

घर वालों के बात नहीं मानने पर राधा ने एक ऐसा कदम उठाया जिसे रूढ़िवादी समाज में सही नहीं माना जाता है. शादी से पहले उसने अपने ससुराल वालों को फोन करके शादी से इनकार कर दिया. उसने कहा अभी उसकी उम्र शादी की नहीं पढ़ाई की है. उसकी तमन्ना पढ़ लिखकर कुछ बनने की है. उसके इस इनकार ने दिखा दिया कि अगर हौसला और जज्बा हो तो कोई भी बंधन आसानी से तोड़ा जा सकता है. उसने अपने इसी हौसले से खुद को बाल-विवाह की जकड़न से आजाद कर लिया.

समाज की आइकॉन बनी राधा

राधा के इस साहसी फैसले की अब हर तरफ चर्चा हो रही है. जिले के उपायुक्त (District Commissioner) रमेश घोलप उसके इस कदम से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उसके हौसले को सलाम किया और उसे जिले का ब्रांड एंबेसडर (Brand Ambassador) बनाने की घोषणा कर दी. समाज की दूसरी बेटियां भी अगर राधा की तरह अपने हौसले को मजबूत रखेंगी तो निसंदेह समाज से बाल विवाह प्रथा का पूरी तरह उन्मूलन हो जाएगा.

Radha becomes the brand ambassador of Koderma
कोडरमा की ब्रांड एंबेसडर बनी राधा

क्या है बाल विवाह?

जब किसी लड़के की शादी 21 साल से पहले और लड़की की शादी 18 साल से पहले की जाती है तो इसे बाल-विवाह माना जाता है. इस शादी के कई दुष्परिणाम होते हैं. जिसमें सबसे घातक शिशु और माता की मृत्यु दर (Mortality rate) में वृद्धि, इसके अलावे शारीरिक और मानसिक विकास पूर्ण नहीं हो पाता है. इसमें लड़के और लड़कियों की शादी समय से पहले हो जाती है. इसलिए वे अपनी जिम्मेवारियों को निभाने में भी असमर्थ होते हैं. कम उम्र में मां बनने से गर्भाशय कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी बना रहता है.

DC Ramesh Gholap honoring Radha
राधा को सम्मानित करते डीसी रमेश घोलप

कानूनन गलत है बाल-विवाह

देश के कानून की नजर में इस शादी को गलत माना गया है और ऐसे लोगों के लिए सजा का प्रावधान है. जो इस विवाह को बढ़ावा देते हैं या फिर ऐसा करने के लिए बहकाते हैं. इस कानून का मुख्य उद्देश्य पीड़ित को राहत और सुरक्षा देना है.

कोडरमा: एक तरफ दुनिया में झारखंड की लड़कियां घर की दहलीज लांघकर सफलता की नित नई कहानी लिख रही हैं. फिर चाहे दीपिका कुमारी हो, सलीमा टेटे हो या फिर अरूणिमा सिन्हा जो हिमालय तक को लांघ जाने की क्षमता रखती हैं. वहीं झारखंड के कोडरमा में एक ऐसा गांव है. जहां आज भी कुछ तबके में रूढ़िवादी सोच कायम है. सोच लड़कियों को जकड़कर रखने की है. इस गांव में लड़कियों को मूल शिक्षा से वंचित रख उनकी कम उम्र में ही शादी करा दी जाती है. हम बात कर रहे हैं कोडरमा के डोमचांच की रहने वाली राधा की. जिसने कम उम्र में ही समाज की रूढ़िवादी सोच पर ऐसा प्रहार किया कि वो देश और समाज के लिए मिसाल बन गई.

ये भी पढ़िए- 'बाल विवाह एक अभिशाप'...बाल विवाह के दंश में फंस रहा बचपन, देश में तीसरे स्थान पर है झारखंड

शादी नहीं पढ़ाई जरूरी

दरअसल कोडरमा के डोमचांच की रहने वाली 17 साल की राधा की आर्थिक तंगी के कारण कम उम्र में ही शादी तय कर दी गई. शादी की बात से अंजान राधा अपनी पढ़ाई में लगी हुई थी. जब उसके घर में तिलक और शादी के लिए तैयारी होने लगी तब उसे अपनी शादी का अहसास हुआ. बहरहाल राधा ने पहले तो अपने घर वालों को समझाने की कोशिश की. लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई.

देखिए पूरी खबर

राधा ने की सुसराल वालों से बात

घर वालों के बात नहीं मानने पर राधा ने एक ऐसा कदम उठाया जिसे रूढ़िवादी समाज में सही नहीं माना जाता है. शादी से पहले उसने अपने ससुराल वालों को फोन करके शादी से इनकार कर दिया. उसने कहा अभी उसकी उम्र शादी की नहीं पढ़ाई की है. उसकी तमन्ना पढ़ लिखकर कुछ बनने की है. उसके इस इनकार ने दिखा दिया कि अगर हौसला और जज्बा हो तो कोई भी बंधन आसानी से तोड़ा जा सकता है. उसने अपने इसी हौसले से खुद को बाल-विवाह की जकड़न से आजाद कर लिया.

समाज की आइकॉन बनी राधा

राधा के इस साहसी फैसले की अब हर तरफ चर्चा हो रही है. जिले के उपायुक्त (District Commissioner) रमेश घोलप उसके इस कदम से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उसके हौसले को सलाम किया और उसे जिले का ब्रांड एंबेसडर (Brand Ambassador) बनाने की घोषणा कर दी. समाज की दूसरी बेटियां भी अगर राधा की तरह अपने हौसले को मजबूत रखेंगी तो निसंदेह समाज से बाल विवाह प्रथा का पूरी तरह उन्मूलन हो जाएगा.

Radha becomes the brand ambassador of Koderma
कोडरमा की ब्रांड एंबेसडर बनी राधा

क्या है बाल विवाह?

जब किसी लड़के की शादी 21 साल से पहले और लड़की की शादी 18 साल से पहले की जाती है तो इसे बाल-विवाह माना जाता है. इस शादी के कई दुष्परिणाम होते हैं. जिसमें सबसे घातक शिशु और माता की मृत्यु दर (Mortality rate) में वृद्धि, इसके अलावे शारीरिक और मानसिक विकास पूर्ण नहीं हो पाता है. इसमें लड़के और लड़कियों की शादी समय से पहले हो जाती है. इसलिए वे अपनी जिम्मेवारियों को निभाने में भी असमर्थ होते हैं. कम उम्र में मां बनने से गर्भाशय कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी बना रहता है.

DC Ramesh Gholap honoring Radha
राधा को सम्मानित करते डीसी रमेश घोलप

कानूनन गलत है बाल-विवाह

देश के कानून की नजर में इस शादी को गलत माना गया है और ऐसे लोगों के लिए सजा का प्रावधान है. जो इस विवाह को बढ़ावा देते हैं या फिर ऐसा करने के लिए बहकाते हैं. इस कानून का मुख्य उद्देश्य पीड़ित को राहत और सुरक्षा देना है.

Last Updated : Jul 4, 2021, 2:18 PM IST
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