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कोडरमा में तैयार हो रही हैं मां सरस्वती की इको फ्रेंडली मूर्तियां, 50 रुपये से लेकर 5000 तक की हैं मूर्तियां

30 जनवरी को बसंत पंचमी है और इसी दिन सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाएगा. सरस्वती पूजा को लेकर कोडरमा में इको फ्रेंडली मूर्तियां तैयार की जा रही हैं. इन मूर्तियों की कीमत 50 रुपये से लेकर 5000 तक है.

कोडरमा में तैयार हो रही हैं मां सरस्वती की इको फ्रेंडली मूर्तियां, 50 रुपये से लेकर 5000 तक की हैं मूर्तियां
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Published : Jan 23, 2020, 6:04 PM IST

कोडरमा: बसंत पंचमी की धूम शुरू हो गई है और 30 जनवरी को सरस्वती पूजा मनाई जाएगी. सरस्वती पूजा को लेकर कोडरमा में इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाई जा रही हैं. राजस्थान के पाली जिले से आया एक परिवार कोडरमा में एनएच 31 के किनारे बड़े पैमाने पर मां सरस्वती की मूर्तियां तैयार कर रहा है.

देखें पूरी खबर

और पढ़ें- यह परिवार है पत्थलगड़ी का मास्टरमाइंड, अड़की के कुरुंगा कोचांग में बसता है 'कुंटुंब परिवार'

हर साल आता है राजस्थान से मूर्तिकार परिवार

प्लास्टर ऑफ पेरिस की मदद से तैयार की गई यह मूर्तियां पूरी तरह से इको फ्रेंडली है और इसमें पर्यावरण को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया जाता है. इसके अलावा मूर्तियों में जो रंग भरा जा रहा है वह भी एको फ्रेंडली है. महिला मूर्तिकार बरजु बाई ने बताया कि हर सामान की खरीदारी अलग-अलग इलाकों से की जाती है और परिवार के हर सदस्य की भूमिका भी अलग-अलग होती है. फिलहाल पचास रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक की मूर्तियां तैयार है और लोग उसकी बुकिंग भी करा रहे हैं. पिछले 4 सालों से लगातार राजस्थान से आया यह परिवार कोडरमा में सड़क के किनारे प्लास्टर ऑफ पेरिस की अलग-अलग मूर्तियां तैयार करता है. मूर्तिकार अशोक की मानें तो राजस्थान में हर घर में इस तरह की मूर्तियां तैयार की जाती है इसलिए वहां बिक्री कम होती है, लेकिन झारखंड में इन मूर्तियों की अच्छी डिमांड है.

कोडरमा: बसंत पंचमी की धूम शुरू हो गई है और 30 जनवरी को सरस्वती पूजा मनाई जाएगी. सरस्वती पूजा को लेकर कोडरमा में इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाई जा रही हैं. राजस्थान के पाली जिले से आया एक परिवार कोडरमा में एनएच 31 के किनारे बड़े पैमाने पर मां सरस्वती की मूर्तियां तैयार कर रहा है.

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हर साल आता है राजस्थान से मूर्तिकार परिवार

प्लास्टर ऑफ पेरिस की मदद से तैयार की गई यह मूर्तियां पूरी तरह से इको फ्रेंडली है और इसमें पर्यावरण को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया जाता है. इसके अलावा मूर्तियों में जो रंग भरा जा रहा है वह भी एको फ्रेंडली है. महिला मूर्तिकार बरजु बाई ने बताया कि हर सामान की खरीदारी अलग-अलग इलाकों से की जाती है और परिवार के हर सदस्य की भूमिका भी अलग-अलग होती है. फिलहाल पचास रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक की मूर्तियां तैयार है और लोग उसकी बुकिंग भी करा रहे हैं. पिछले 4 सालों से लगातार राजस्थान से आया यह परिवार कोडरमा में सड़क के किनारे प्लास्टर ऑफ पेरिस की अलग-अलग मूर्तियां तैयार करता है. मूर्तिकार अशोक की मानें तो राजस्थान में हर घर में इस तरह की मूर्तियां तैयार की जाती है इसलिए वहां बिक्री कम होती है, लेकिन झारखंड में इन मूर्तियों की अच्छी डिमांड है.

Intro:30 जनवरी को बसंत पंचमी है और इसी दिन सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाएगा । सरस्वती पूजा को लेकर कोडरमा में इको फ्रेंडली मूर्तियां तैयार की जा रही है ।


Body:बसंत पंचमी की धूम शुरू हो गई है और 30 जनवरी को सरस्वती पूजा मनाई जाएगी । सरस्वती पूजा को लेकर कोडरमा में इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाई जा रही है । राजस्थान के पाली जिले से आया एक परिवार कोडरमा में एनएच 31 के किनारे बड़े पैमाने पर मां सरस्वती की मूर्तियां तैयार कर रहा है ।

बाईट:-जमुना ,मूर्तिकार ।

प्लास्टर ऑफ पेरिस की मदद से तैयार की गई यह मूर्तियां पूरी तरह से इको फ्रेंडली है और इसमें पर्यावरण को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया जाता है । इसके अलावे मूर्तियों में जो रंग भरा जा रहा है वह भी एको फ्रेंडली है । महिला मूर्तिकार बरजु बाई ने बताया कि हर सामान की खरीदारी अलग-अलग इलाकों से की जाती है और परिवार के हर सदस्य की भूमिका भी अलग अलग होती है ।

बाईट:-बरजु बाई , महिला मूर्तिकार ।

फिलहाल यहां पचास रुपये से लेकर पाँच हज़ार रुपये तक की मूर्तियां तैयार है और लोग उसकी बुकिंग भी करा रहे हैं । पिछले 4 सालों से लगातार राजस्थान से आया यह परिवार कोडरमा में सड़क के किनारे प्लास्टर ऑफ पेरिस की अलग-अलग मूर्तियां तैयार करता है । मूर्तिकार अशोक की मानें तो राजस्थान में हर घर में इस तरह की मूर्तियां तैयार की जाती है इसलिए वहां बिक्री कम होती है लेकिन झारखंड में इन मूर्तियों की अच्छी डिमांड है ।

बाईट:-अशोक ,मूर्तिकार ।



Conclusion:पर्यावरण के मध्य नजर इको फ्रेंडली मूर्तियों की डिमांड ज्यादा है । बहरहाल राजस्थान में घर-घर में इस तरह की मूर्तियां तैयार होती है वहां के कलाकार अब झारखंड में आकर मूर्तियों में रंग भर रहे हैं और अनुपम कलाकृति बिखेर रहे हैं ।
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