कोडरमाः आधुनिकता और इंटरनेट के आवरण ने पुरानी चीजों को ढक दिया है. आज रोजमर्रा के चलन में आनेवाली चीजें धीरे-धीरे कम होती जा रही हैं. बात करें डाक और कैश ट्रांजैक्शन तो आज ऑनलाइन पेमेंट की वजह से कैश का लेन देन कम होता है. जिसकी वजह से बाजार में नए नोट कब आते हैं और कब पुराने नोट बदल जाते हैं इसका एहसास तक नहीं होता है. एक दौर हुआ करता था जब बचपन में रंगीन और देश विदेश की करंसी, सिक्के और डाक टिकट जमा करने का शौक बच्चों को हुआ करता था. लेकिन आज निजी तौर पर व्यक्तिगत जीवन में पत्र लिखने और डाक टिकट जमा करने का क्रेज कम हो गया है. हालांकि जिनमें ये शौक आज भी मौजूद है उनका जुनून कम नहीं हुआ है. कुछ ऐसे ही हैं कोडरमा के व्यवसायी विकास पाटनी. ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानिए, उनकी आदत से शौक बनने की कहानी.
बचपन का शौक कब आदत बन जाए और कब यही आदत कब आपको वर्ल्ड फेमस बना दे कोई नहीं जानता. लेकिन कुछ ऐसे ही राह पर चल पड़े हैं कोडरमा के विकास पाटनी. डाक टिकट, पुराने नोट सिक्कों के संग्रह के कारण आज विकास को एक नई पहचान मिल रही है. झुमरी तिलैया के रहने वाले व्यवसायी विकास पाटनी. आज हम इनका परिचय आप से इसलिए करा रहे हैं. क्योंकि इंटरनेट मीडिया, सोशल मीडिया और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के जमाने में विकास पाटनी डाक टिकट, पुराने नोट और सिक्के के रेयर कलेक्शन के जरिये सभ्यता और संस्कृत की पहचान को समेटे हुए हैं. पांचवी क्लास से डाक टिकटों के संग्रह का शौक कब उनकी आदत बन गई विकास को पता ही नहीं चला.
8 हजार से ज्यादा डाक टिकटः विकास पाटनी 1990 से डाक टिकटों का संग्रह करते आ रहे हैं. अब तक उनके पास देश विदेश के 8000 से ज्यादा टिकटों का संग्रह हो चुका है. इसके अलावा विकास के पास पुराने और दुर्लभ नोट और सिक्कों का कलेक्शन भी मौजूद है. अपने पति विकास के शौक को लेकर उनकी पत्नी शिल्पा बताती हैं कि शुरुआत में पति की ये आदत उन्हें बेकार लगता था पर अब इन्हीं बदौलत उनके पति को नई पहचान मिल रही है. अब पूरे परिवार को यह उम्मीद है कि पति की यह आदत के कारण अब उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जरूर दर्ज होगा.
पिता के कलेक्शन पर बेटियों को गर्वः विकास की दो बेटी है, उनकी दोनों बेटियां पापा के इस कलेक्शन का जिक्र हमेशा करती हैं. अपने पिता के पास डाक टिकटों, सिक्के और नोट का रेयर कलेक्शन होने से विकास की बेटियों को गर्व है. वो बताती है कि आज सोशल मीडिया और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के दौर में लोगों को यह दुर्लभ संग्रह कहीं देखने को नहीं मिलता है. लेकिन उनके पिता के इस धरोहर और संस्कृति को अपने पास संजोकर रखे हैं, उनके पास डाक टिकटों का संग्रह होने से वो खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं. इंटरनेट के जमाने में संदेशों का आदान प्रदान और पैसों का लेनदेन कैश ट्रांजैक्शन आज भले ही कम हो गया हो. लेकिन विकास पाटनी के पास रेयर कलेक्शन में पुराने डाक टिकटों के साथ-साथ पुराने नोट और सिक्कों का संग्रह आज भी उपलब्ध है.
क्या कहलाता है डाक टिकट जमा करने का शौकः इंटरनेट के जमाने में आज हर हाथ फोन है, एक क्लिक से मैजेस ट्रांसफर, एक क्लिक पर वीडियो कॉल हो रहे हैं. ऐसे में आज खाली समय में किसी अपने को बैठकर खत में अपने मन की बात उतारने का चलन लगभग खत्म हो चला है. ऐसे में डाक टिकट के बारे में भी लोगों को जानकारियां कम रहती हैं. लेकिन जिनमें ये शौक रहता है वह इसी काम में लगे रहते हैं. डाक टिकट के जमा करने के इस शौक को फिलैटिली कहा जाता है. जिसमें व्यक्ति लगातार किसी ना किसी माध्यम से देश विदेश के डाक टिकट जमा करने के हमेशा लालयित रहता है. इन डाक टिकटों से अलग-अलग काल खंड में जारी हुए टिकटों के बारे जानकारी मिलती है. इसके अलावा देश विदेश के बारे में कई प्रकार की रोचक जानकारियां भी मिलती है.
डाक विभाग में फिलैटिली डिवीजनः आधुनिकता के इस दौर में ऐसे शौक रखने वाले लोगों को भारत सरकार की ओर से बढ़ावा दिया जा रहा है. इस शौक को जिंदा रखने के लिए केंद्र सरकार के डाक विभाग में फिलैटिली डिवीजन बनाया गया है. इस विभाग में डाक टिकट जमा करने का शौक रखने वाले लोग अलग अलग देशों के टिकट जमा करते हैं. इसके अलावा वो इनको कैटलॉग करके खूब आकार देकर उन्हें सुंदर से सजाते भी हैं. इतना ही नहीं इसे बढ़ावा देने के लिए डाक विभाग की ओर से देश के विभिन्न शहरों में समय समय पर डाक टिकटों की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है, जिसमें विभिन्न लोगों द्वारा जमा डाक टिकटों का प्रदर्शन किया जाता है.