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कोडरमा में दांव पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा, बाबूलाल मरांडी, अन्नपूर्णा और राजकुमार यादव के बीच मुकाबला

कोडरमा में मुकाबला त्रिकोणीय है. जहां एक पूर्व मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर है. वहीं देखना होगा कि वहां भगवा झंडा लहराता है या फिर लाल झंडा.

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Published : May 22, 2019, 1:45 PM IST

रांची/हैदराबादः कोडरमा लोकसभा सीट हाई प्रोफाइल सीट है. यहां पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है. एकबार फिर बाबूलाल मरांडी इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं अन्नपूर्णा देवी बीजेपी प्रत्याशी हैं. जबकि लेफ्ट पार्टी का दावा भी काफी मजबूत है.

देखिए पूरी रिपोर्ट

कोडरमा संसदीय क्षेत्र
अभ्रक की धरती कोडरमा झारखंड का प्रवेश द्वार माना जाता है. यह लोकसभा क्षेत्र कोडरमा, हजारीबाग और गिरिडीह के कुछ भागों को मिलाकर बना है. कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र कोडरमा, बरकट्टा, धनवार, गांडेय, जमुआ और बगोदर आते हैं.

2019 का रण
2019 के चुनाव में कोडरमा सीट काफी हॉट सीट बन गई है. यहां बीजेपी ने अन्नपूर्णा देवी को मैदान में उतारा है. महागठबंधन की तरफ से बाबूलाल मरांडी मैदान में हैं. वहीं सीपीआई एमएल एल की ओर से राजकुमार यादव चुनाव लड़ रहे हैं.

बीजेपी से प्रत्याशी हैं अन्नपूर्णा देवी
अन्नपूर्णा देवी झारखंड की कद्दावर महिला नेता हैं. 60 वर्षीय अन्नपूर्णा देवी, कर्पूरी ठाकुर, जयप्रकाश नारायण और लोहिया के विचारों से प्रेरित रही हैं. उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है. जबकि रांची यूनिवर्सिटी से इतिहास विषय में पोस्ट ग्रेजुएट किया है.

अन्नपूर्णा देवी की प्रोफाइल

अन्नपूर्णा देवी अपने पति की मौत के बाद सक्रिय राजनीति में आयीं. 1998 में हुए कोडरमा उपचुनाव में आरजेडी की टिकट पर उन्होंने चुनाव लड़ा. जीत कर पहली बार विधायक बनी. 2000 विधानसभा चुनाव में भी उन्हें जीत हासिल हुई. 2005 में भी कोडरमा सीट से वो चुनाव लड़ीं और जीत दर्ज की. 2009 में वो एकबार फिर से विधायक बनीं. 2014 विधानसभा चुनाव में उन्हें शिकस्त मिली. उन्हें झारखंड आरजेडी का अध्यक्ष भी बनाया गया. 2019 में वो आरजेडी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गईं.

जेवीएम से प्रत्याशी हैं बाबूलाल मरांडी
बाबूलाल मरांडी झारखंड के वरिष्ठ नेता हैं. उनका जन्म जनवरी 1958 को गिरिडीह मे हुआ था. गिरिडीह कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री ली. उन्होंने एक साल तक प्राथमिक शिक्षक के रूप में काम किया. इसके बाद वो आरएसएस से जुड़े. साल 1983 में उन्हें संथाल परगना के विश्व हिंदू परिषद के संगठन मंत्री की जिम्मेदारी मिली. साल 1991 में वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए.

बाबूलाल मरांडी की पूरी प्रोफाइल
लोकसभा चुनाव 1991 में उन्होंने दुमका सीट से चुनाव लड़ा. लेकिन वो हार गए. 1996 लोकसभा चुनाव में वो फिर दुमका सीट से उम्मीदवार बने. इसबार वो महज 5 हजार वोट से दोबारा हारे. साल 1996 में बीजेपी ने उन्हें वनांचल क्षेत्र का अध्यक्ष बनाया. इसके बाद साल 1998 में उन्होंने दुमका सीट पर जीत दर्ज की. 1999 में वो फिर जीतकर सांसद बने. अटल सरकार में वो वन पर्यावरण राज्यमंत्री बने.

साल 2000 में वो झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने. 2003 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. 2004 में वो कोडरमा सीट से चुनाव लड़े और जीते. 2006 में बीजेपी छोड़कर नई पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया. 2006 में कोडरमा सीट पर हुए उपचुनाव वो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़े और जीत हासिल की. 2009 में कोडरमा सीट से बतौर जेवीएम उम्मीदवार लड़े और जीत हासिल की. 2014 में उन्होंने दुमका सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. 2014 विधानसभा चुनाव में भी उन्हें हार मिली.

सीपीआई(एमएल) एल प्रत्याशी हैं राजकुमार यादव
राजकुमार यादव झारखंड में माले के कद्दावर नेता हैं. 46 वर्षीय राजकुमार यादव गिरिडीह के बिशनी टीकर गांव के निवासी हैं. उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई की है. जनता के बीच उनकी छवि जुझारू नेता के रूप में रही है. साल 2000 में वो धनवार विधानसभा सीट से लड़े, लेकिन चुनाव हार गए.

राज कुमार यादव की पूरी प्रोफाइल

2004 में वो पहली बार कोडरमा सीट से लोकसभा चुनाव लड़े. लेकिन जीत नहीं सके. 2005 में उन्हें एकबार फिर विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. 2009 में वो फिर कोडरमा लोकसभा सीट से चुनाव लड़े, उन्हें फिर हार मिली. 2009 विधानसभा चुनाव में भी उन्हें हार मिली. इन हारों के बावजूद हर चुनाव में उनका जनाधार बढ़ता गया. 2014 लोकसभा चुनाव में वो दूसरे स्थान पर रहे. 2014 विधानसभा चुनाव में धनवार सीट से उन्हें जीत मिली. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को हराया.

रांची/हैदराबादः कोडरमा लोकसभा सीट हाई प्रोफाइल सीट है. यहां पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है. एकबार फिर बाबूलाल मरांडी इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं अन्नपूर्णा देवी बीजेपी प्रत्याशी हैं. जबकि लेफ्ट पार्टी का दावा भी काफी मजबूत है.

देखिए पूरी रिपोर्ट

कोडरमा संसदीय क्षेत्र
अभ्रक की धरती कोडरमा झारखंड का प्रवेश द्वार माना जाता है. यह लोकसभा क्षेत्र कोडरमा, हजारीबाग और गिरिडीह के कुछ भागों को मिलाकर बना है. कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र कोडरमा, बरकट्टा, धनवार, गांडेय, जमुआ और बगोदर आते हैं.

2019 का रण
2019 के चुनाव में कोडरमा सीट काफी हॉट सीट बन गई है. यहां बीजेपी ने अन्नपूर्णा देवी को मैदान में उतारा है. महागठबंधन की तरफ से बाबूलाल मरांडी मैदान में हैं. वहीं सीपीआई एमएल एल की ओर से राजकुमार यादव चुनाव लड़ रहे हैं.

बीजेपी से प्रत्याशी हैं अन्नपूर्णा देवी
अन्नपूर्णा देवी झारखंड की कद्दावर महिला नेता हैं. 60 वर्षीय अन्नपूर्णा देवी, कर्पूरी ठाकुर, जयप्रकाश नारायण और लोहिया के विचारों से प्रेरित रही हैं. उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है. जबकि रांची यूनिवर्सिटी से इतिहास विषय में पोस्ट ग्रेजुएट किया है.

अन्नपूर्णा देवी की प्रोफाइल

अन्नपूर्णा देवी अपने पति की मौत के बाद सक्रिय राजनीति में आयीं. 1998 में हुए कोडरमा उपचुनाव में आरजेडी की टिकट पर उन्होंने चुनाव लड़ा. जीत कर पहली बार विधायक बनी. 2000 विधानसभा चुनाव में भी उन्हें जीत हासिल हुई. 2005 में भी कोडरमा सीट से वो चुनाव लड़ीं और जीत दर्ज की. 2009 में वो एकबार फिर से विधायक बनीं. 2014 विधानसभा चुनाव में उन्हें शिकस्त मिली. उन्हें झारखंड आरजेडी का अध्यक्ष भी बनाया गया. 2019 में वो आरजेडी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गईं.

जेवीएम से प्रत्याशी हैं बाबूलाल मरांडी
बाबूलाल मरांडी झारखंड के वरिष्ठ नेता हैं. उनका जन्म जनवरी 1958 को गिरिडीह मे हुआ था. गिरिडीह कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री ली. उन्होंने एक साल तक प्राथमिक शिक्षक के रूप में काम किया. इसके बाद वो आरएसएस से जुड़े. साल 1983 में उन्हें संथाल परगना के विश्व हिंदू परिषद के संगठन मंत्री की जिम्मेदारी मिली. साल 1991 में वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए.

बाबूलाल मरांडी की पूरी प्रोफाइल
लोकसभा चुनाव 1991 में उन्होंने दुमका सीट से चुनाव लड़ा. लेकिन वो हार गए. 1996 लोकसभा चुनाव में वो फिर दुमका सीट से उम्मीदवार बने. इसबार वो महज 5 हजार वोट से दोबारा हारे. साल 1996 में बीजेपी ने उन्हें वनांचल क्षेत्र का अध्यक्ष बनाया. इसके बाद साल 1998 में उन्होंने दुमका सीट पर जीत दर्ज की. 1999 में वो फिर जीतकर सांसद बने. अटल सरकार में वो वन पर्यावरण राज्यमंत्री बने.

साल 2000 में वो झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने. 2003 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. 2004 में वो कोडरमा सीट से चुनाव लड़े और जीते. 2006 में बीजेपी छोड़कर नई पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया. 2006 में कोडरमा सीट पर हुए उपचुनाव वो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़े और जीत हासिल की. 2009 में कोडरमा सीट से बतौर जेवीएम उम्मीदवार लड़े और जीत हासिल की. 2014 में उन्होंने दुमका सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. 2014 विधानसभा चुनाव में भी उन्हें हार मिली.

सीपीआई(एमएल) एल प्रत्याशी हैं राजकुमार यादव
राजकुमार यादव झारखंड में माले के कद्दावर नेता हैं. 46 वर्षीय राजकुमार यादव गिरिडीह के बिशनी टीकर गांव के निवासी हैं. उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई की है. जनता के बीच उनकी छवि जुझारू नेता के रूप में रही है. साल 2000 में वो धनवार विधानसभा सीट से लड़े, लेकिन चुनाव हार गए.

राज कुमार यादव की पूरी प्रोफाइल

2004 में वो पहली बार कोडरमा सीट से लोकसभा चुनाव लड़े. लेकिन जीत नहीं सके. 2005 में उन्हें एकबार फिर विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. 2009 में वो फिर कोडरमा लोकसभा सीट से चुनाव लड़े, उन्हें फिर हार मिली. 2009 विधानसभा चुनाव में भी उन्हें हार मिली. इन हारों के बावजूद हर चुनाव में उनका जनाधार बढ़ता गया. 2014 लोकसभा चुनाव में वो दूसरे स्थान पर रहे. 2014 विधानसभा चुनाव में धनवार सीट से उन्हें जीत मिली. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को हराया.

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