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कम बारिश का असर धान की खेती पर, नुकसान से बचने के लिए किसान अपना रहे हॉर्टिकल्चर

इस बार झारखंड में औसत से कम बारिश के कारण धान की खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है. जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है. उसी नुकसान की भरपाई के लिए किसान हॉर्टिकल्चर में जुट गए हैं. Farmers adopting horticulture

Farmers adopting horticulture
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Published : Aug 28, 2022, 11:32 AM IST

कोडरमा: जिला में औसत से भी कम बारिश होने के कारण धानरोपनी प्रभावित हो गई. अब खेतों में लगाए गए धान के बिचड़े जानवरों के चारा के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. जून और जुलाई महीने में बारिश की स्थिति खराब रहने से जिले में महज 13 फीसदी खेतों में ही धानरोपनी का कार्य हो पाया था. इधर धान और मक्का का उत्पादन प्रभावित होने की संभावना को देखते हुए प्रगतिशील किसान एग्रीकल्चर की जगह हॉर्टिकल्चर (Farmers adopting horticulture) यानि सब्जी और फल की खेती कर नुकसान की भरपाई करने में जुटे हैं.

इसे भी पढ़ें: कम बारिश से किसानों को आफत, सरकार ने अब तब नहीं दी कोई राहत

हॉर्टिकल्चर के लिए प्रेरित कर रहे उद्यान मित्र: चंदवारा प्रखंड के सरदारोंडीह के किसान अजय साव ने अपने 5 एकड़ के भूभाग पर बरबटी, परवल, भिंडी, मिर्ची, टमाटर और बाजरा की फसल लगाई है और बड़े पैमाने पर यहां से सब्जियां बाजारों में भेजी जा रही. सब्जियों के उत्पादन के जरिए अजय साव धान की फसल में हुए नुकसान की भरपाई करने में जुटे हैं. अजय साव ने बताया कि उद्यान मित्र होने के नाते वह किसानों को हॉर्टिकल्चर के लिए प्रेरित कर रहे हैं. इससे सब्जी के अलावा फल उत्पादन कर किसान धान से होने वाले नुकसान की भरपाई किसान कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हॉर्टिकल्चर को लेकर सरकार कई तरह की योजनाएं भी चला रही है, जिसका लाभ लेने के लिए किसानों को आगे आना चाहिए.

देखें पूरी खबर

वैकल्पिक खेती कर नुकसान भरपाई की सलाह: वहीं दूसरी तरफ 25-30 सालों से लगातार खेती करते आ रहे किसान सेवा साव ने बताया कि बारिश नहीं होने से किसानों को निराश नहीं होना चाहिए बल्कि वैकल्पिक खेती कर नुकसान की भरपाई करने में जुटना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह कुदरत की लीला है. आधा देश बाढ़ की चपेट में है तो आधा सुखाड़ की चपेट में. ऐसे हालात पहले भी आए हैं, लेकिन जो किसान हैं वह कभी अपने खेतों को छोड़कर नहीं भागेंगे.

कोडरमा: जिला में औसत से भी कम बारिश होने के कारण धानरोपनी प्रभावित हो गई. अब खेतों में लगाए गए धान के बिचड़े जानवरों के चारा के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. जून और जुलाई महीने में बारिश की स्थिति खराब रहने से जिले में महज 13 फीसदी खेतों में ही धानरोपनी का कार्य हो पाया था. इधर धान और मक्का का उत्पादन प्रभावित होने की संभावना को देखते हुए प्रगतिशील किसान एग्रीकल्चर की जगह हॉर्टिकल्चर (Farmers adopting horticulture) यानि सब्जी और फल की खेती कर नुकसान की भरपाई करने में जुटे हैं.

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हॉर्टिकल्चर के लिए प्रेरित कर रहे उद्यान मित्र: चंदवारा प्रखंड के सरदारोंडीह के किसान अजय साव ने अपने 5 एकड़ के भूभाग पर बरबटी, परवल, भिंडी, मिर्ची, टमाटर और बाजरा की फसल लगाई है और बड़े पैमाने पर यहां से सब्जियां बाजारों में भेजी जा रही. सब्जियों के उत्पादन के जरिए अजय साव धान की फसल में हुए नुकसान की भरपाई करने में जुटे हैं. अजय साव ने बताया कि उद्यान मित्र होने के नाते वह किसानों को हॉर्टिकल्चर के लिए प्रेरित कर रहे हैं. इससे सब्जी के अलावा फल उत्पादन कर किसान धान से होने वाले नुकसान की भरपाई किसान कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हॉर्टिकल्चर को लेकर सरकार कई तरह की योजनाएं भी चला रही है, जिसका लाभ लेने के लिए किसानों को आगे आना चाहिए.

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वैकल्पिक खेती कर नुकसान भरपाई की सलाह: वहीं दूसरी तरफ 25-30 सालों से लगातार खेती करते आ रहे किसान सेवा साव ने बताया कि बारिश नहीं होने से किसानों को निराश नहीं होना चाहिए बल्कि वैकल्पिक खेती कर नुकसान की भरपाई करने में जुटना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह कुदरत की लीला है. आधा देश बाढ़ की चपेट में है तो आधा सुखाड़ की चपेट में. ऐसे हालात पहले भी आए हैं, लेकिन जो किसान हैं वह कभी अपने खेतों को छोड़कर नहीं भागेंगे.

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