कोडरमा: जिला व्यवहार न्ययालय ने दहेज हत्या के एक मामले की सुनवाई करते हुए दो दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. जानकारी के अनुसार कोडरमा के जयनगर में दो लाख रुपये दहेज के खातिर एक नवविवाहिता की हत्या कर दी गई थी. आरोपियों ने साक्ष्य छुपाने के उद्देश्य से नवविवाहिता के शव को कुएं में फेंक दिया था.
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मामले की सुनवाई के पश्चात कोडरमा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय अजय कुमार सिंह की अदालत ने मृतक के पति जुबेर अंसारी एवं सास नुरेशा खातून को 304 बी के तहत दोषी माना और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. न्यायालय ने धारा 498 ए में पीड़िता सकीना खातून को प्रताड़ित करने के आरोप में आरोपियों को दोषी पाते हुए 3 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई. साथ ही 10000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. जुर्माने की राशि नहीं देने पर आरोपियों को छह माह अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा भुगतनी होगी. वहीं न्यायालय ने आईपीसी की धारा 201 के तहत साक्ष्य छुपाने का दोषी पाते हुए आरोपियों को 3 वर्ष सश्रम कारावास और 10000 रुपये का जुर्माना लगाया. जुर्माना की राशि नहीं देने पर आरोपियों को 6 माह अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी.
आपको बता दें कि मामला 2014 का है. जहां घटना के सूचक मृतक के पिता सलीम अंसारी ने जयनगर थाना पुलिस को दिए बयान में कहा था कि उनकी पुत्री सकीना खातून की शादी वर्ष 2011 में जयनगर निवासी जुबेर अंसारी के साथ मुस्लिम रीति रिवाज से हुई थी. शादी के 6 माह तक मेरी पुत्री को ससुराल में ठीक-ठाक से रखा गया. उसके बाद उससे 2लाख रुपये दहेज की राशि जेसीबी खरीदने के लिए मांग की जाने जाने लगी. दहेज की राशि नहीं दिए जाने पर उसे प्रताड़ित किया जाने लगा. इसे लेकर तीन-चार बार गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा. उसके बाद 10 सितंबर 2014 को ग्रामीणों के द्वारा उन्हें सूचना मिली कि उनकी पुत्री की लाश कुएं में पाई गई है. सूचना पाकर वे जब अपने परिजनों के साथ बेटी के ससुराल पहुंचे तो अपनी बेटी का शव कुएं में पाया.
इधर घटना के बाद मृतक के ससुराल वाले गांव छोड़कर फरार हो गए थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके दामाद जुबेर अंसारी, ससुर सिराज मियां, सास नुरेशा खातून एवं अन्य लोगों ने दहेज के खातिर उनकी पुत्री की हत्या कर दी और साक्ष्य छुपाने के उद्देश्य से उसके शव को कुएं में फेंक दिया. केश दर्ज होने के बाद सभी फरार आरोपी ने न्यायालय के निर्देश के बाद पुलिस के दबाव में करीब 2 साल बाद कोर्ट में सरेंडर किया था. अभियोजन का संचालन लोक अभियोजक पीपी मंडल ने करते हुए अभियुक्तों को अधिक से अधिक सजा देने की मांग न्यायालय से की थी. वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता जगदीश यादव ने दलीलें पेश की. इस दौरान सभी 12 गवाहों का परीक्षण कराया गया. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने एवं अभिलेख पर उपस्थित साक्ष्यों का अवलोकन करने के उपरांत आरोपियों को दोषी पाते हुए सजा मुकर्रर की.