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चंद पैसों की खातिर 5 साल से अटकी है लाखों की योजना, सूखे खेत किसानों को कर रहे मायूस

कोडरमा के नीमाडीह गांव में सिंचाई योजना बेकार पड़ी हुई है. जिससे लोग खासा परेशान हैं. यहां तक कि लोग पलायन करने को मजबूर हैं लेकिन इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है.

irrigation project incomplete in koderma
सिंचाई परियोजना
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Published : Aug 16, 2021, 10:15 AM IST

Updated : Aug 16, 2021, 10:42 AM IST

कोडरमा: डोमचांच प्रखंड के नीमाडीह गांव में मामूली खराबी के चलते 35 लाख रुपये की सिंचाई योजना बेकार पड़ी हुई है. टेस्टिंग के दौरान ही पाइप से लीकेज होने के कारण योजना शुरू नहीं हो पाई. जबकि महज कुछ हजार खर्च कर पाइप की मरम्मती के बाद योजना को शुरू किया जा सकता था लेकिन विभागीय उदासीनता और संवेदक की लापरवाही के कारण योजना पिछले 5 सालों से अधूरी पड़ी है.

ये भी पढ़ें- पानी की जद्दोजहद के कारण नहीं होती कुवारों की शादी, चुआं खोदकर प्यास बुझाते हैं ग्रामीण

लिफ्ट इरिगेशन के तहत 2011-12 में सिंचाई योजना का चयन किया गया था और 2016 में केशो नदी के तलहटी में पाइपलाइन और इंटकवेल का निर्माण कर योजना तैयार भी की गई लेकिन टेस्टिंग के दौरान ही कई जगह पर पाइप फट गये और फिर से उसकी मरम्मत नहीं की जा सकी. पंचायत प्रतिनिधि द्वारिका प्रसाद राणा ने बताया कि मामूली खराबी के कारण योजना शुरू नहीं हो पाई. अगर यह योजना शुरू हो जाती तो लोगों को नीमाडीह गांव के ऊपरी इलाकों में सिंचाई की परेशानी नहीं होती.

देखें पूरी खबर

लोग पलायन को मजबूर

वहीं, गांव के युवाओं ने बताया कि गांव में सिंचाई का साधन नहीं होने के कारण भी लोग पलायन को मजबूर हैं. अगर गांव में ही सिंचाई का साधन मुहैया करा दिये जाते तो उन्हें महानगरों में भटकने की आवश्यकता नहीं पड़ती.

irrigation project incomplete in koderma
बंजर भूमि

वर्षा जल पर निर्भर है खेती

योजना के तहत 35 लाख खर्च कर केशो नदी की तलहटी में इंटकवेल बनाया गया और वहां से मोटर के जरिए खेतों तक जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाई गई, लेकिन योजना के शुरू नहीं होने से गांव के खेत यूं ही परती पड़े हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि गांव में खेती पूरी तरह से वर्षा जल पर ही निर्भर है. वहीं, इस पूरे मामले पर उपायुक्त आदित्य रंजन ने विभागीय अधिकारियों से बात कर योजना को फिर से शुरू करने की बात कही.

कोडरमा: डोमचांच प्रखंड के नीमाडीह गांव में मामूली खराबी के चलते 35 लाख रुपये की सिंचाई योजना बेकार पड़ी हुई है. टेस्टिंग के दौरान ही पाइप से लीकेज होने के कारण योजना शुरू नहीं हो पाई. जबकि महज कुछ हजार खर्च कर पाइप की मरम्मती के बाद योजना को शुरू किया जा सकता था लेकिन विभागीय उदासीनता और संवेदक की लापरवाही के कारण योजना पिछले 5 सालों से अधूरी पड़ी है.

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लिफ्ट इरिगेशन के तहत 2011-12 में सिंचाई योजना का चयन किया गया था और 2016 में केशो नदी के तलहटी में पाइपलाइन और इंटकवेल का निर्माण कर योजना तैयार भी की गई लेकिन टेस्टिंग के दौरान ही कई जगह पर पाइप फट गये और फिर से उसकी मरम्मत नहीं की जा सकी. पंचायत प्रतिनिधि द्वारिका प्रसाद राणा ने बताया कि मामूली खराबी के कारण योजना शुरू नहीं हो पाई. अगर यह योजना शुरू हो जाती तो लोगों को नीमाडीह गांव के ऊपरी इलाकों में सिंचाई की परेशानी नहीं होती.

देखें पूरी खबर

लोग पलायन को मजबूर

वहीं, गांव के युवाओं ने बताया कि गांव में सिंचाई का साधन नहीं होने के कारण भी लोग पलायन को मजबूर हैं. अगर गांव में ही सिंचाई का साधन मुहैया करा दिये जाते तो उन्हें महानगरों में भटकने की आवश्यकता नहीं पड़ती.

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बंजर भूमि

वर्षा जल पर निर्भर है खेती

योजना के तहत 35 लाख खर्च कर केशो नदी की तलहटी में इंटकवेल बनाया गया और वहां से मोटर के जरिए खेतों तक जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाई गई, लेकिन योजना के शुरू नहीं होने से गांव के खेत यूं ही परती पड़े हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि गांव में खेती पूरी तरह से वर्षा जल पर ही निर्भर है. वहीं, इस पूरे मामले पर उपायुक्त आदित्य रंजन ने विभागीय अधिकारियों से बात कर योजना को फिर से शुरू करने की बात कही.

Last Updated : Aug 16, 2021, 10:42 AM IST
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