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छोरियां छोरों से कम हैं के: लड़कों के साथ कोडरमा की लड़कियां कुश्ती की ले रहीं ट्रेनिंग, ओलंपिक मेडल है लक्ष्य - कोडरमा के खिलाड़ी

कबड्डी में पंजाब और हरियाणा के खिलाड़ियों का दबदबा है. लेकिन अब उन्हें टक्कर देने के लिए कोडरमा के खिलाड़ी भी तैयारी कर रहे हैं. इनका मेन टारगेट ओलंपिक में गोल्ड हासिल करना है.

Girls of Koderma are taking wrestling training
Girls of Koderma are taking wrestling training
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Published : Sep 21, 2021, 5:55 PM IST

कोडरमा: क्रिकेट और फुटबॉल की बढ़ती लोकप्रियता के बीच देसी खेल के रूप में ख्याति हासिल कर चुके कुश्ती को लेकर कोडरमा में व्यापक तैयारी की जा रही है. जिले में कुश्ती प्रशिक्षण को लेकर नया आयाम दिया जा रहा है, जिसमें न सिर्फ लड़के बल्कि लड़कियां भी प्रशिक्षण हासिल कर रहीं हैं.



ओलंपिक खेलों में कुश्ती के शानदार प्रदर्शन के बाद कोडरमा जिले में कुश्ती प्रशिक्षण को नया आयाम दिया जा रहा है. जिला कुश्ती संघ की ओर से वास्तविक अखाड़े में कुश्ती की ट्रेनिंग हो रही है. जिसमें लड़कियां भी प्रशिक्षण हासिल कर रहीं हैं. जिला कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र में 4 बैच में बच्चों को ट्रेनिंग दी जा रही है. 3 बैच में लड़के और एक बैच लड़कियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग में सभी को कुश्ती के हर दावं पेंच से रूबरू कराया जा रहा है. कुश्ती सीखने वाले तमाम बच्चों का एक ही टारगेट है ओलंपिक में देश के लिए पदक लाना.

देखें वीडियो

लगातार बढ़ रही ही कुश्ती की लोकप्रियता
2015 में कोडरमा जिले में नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता आयोजित की गई थी. उसके बाद से लगातार जिले में कुश्ती की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. हालांकि, आज से पहले साधन नहीं होने के कारण कुश्ती खिलाड़ियों को सही प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा था. लेकिन अब उनके पास अखाड़ा है, मैट है और तमाम वो साधन हैं जिसके जरिए वे कुश्ती में पारंगत हो सकते हैं. संघ के सचिव और कोच आकाश सेठ ने बताया कि जो भी बच्चे ट्रेनिंग हासिल कर रहे हैं उन्हें कुश्ती के हर दांव-पेंच सिखाए जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: कोडरमा में फ्री कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर की शुरुआत, इन लोगों को दिया जाएगा निःशुल्क प्रशिक्षण

कबड्डी को भी मिले प्रोत्साहन

खिलाड़ियों का कहना है कि क्रिकेट और फुटबॉल के साथ अब कबड्डी और कुश्ती जैसे देसी खेलों की भी लोकप्रियता बढ़ती जा रहा है. ऐसे में जरूरत है देसी खेल में हाथ आजमाने वाले खिलाड़ियों को भी सुविधाएं और साधन मुहैया कराई जाए, ताकि प्रतिभा को निखारा जा सके.

कोडरमा: क्रिकेट और फुटबॉल की बढ़ती लोकप्रियता के बीच देसी खेल के रूप में ख्याति हासिल कर चुके कुश्ती को लेकर कोडरमा में व्यापक तैयारी की जा रही है. जिले में कुश्ती प्रशिक्षण को लेकर नया आयाम दिया जा रहा है, जिसमें न सिर्फ लड़के बल्कि लड़कियां भी प्रशिक्षण हासिल कर रहीं हैं.



ओलंपिक खेलों में कुश्ती के शानदार प्रदर्शन के बाद कोडरमा जिले में कुश्ती प्रशिक्षण को नया आयाम दिया जा रहा है. जिला कुश्ती संघ की ओर से वास्तविक अखाड़े में कुश्ती की ट्रेनिंग हो रही है. जिसमें लड़कियां भी प्रशिक्षण हासिल कर रहीं हैं. जिला कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र में 4 बैच में बच्चों को ट्रेनिंग दी जा रही है. 3 बैच में लड़के और एक बैच लड़कियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग में सभी को कुश्ती के हर दावं पेंच से रूबरू कराया जा रहा है. कुश्ती सीखने वाले तमाम बच्चों का एक ही टारगेट है ओलंपिक में देश के लिए पदक लाना.

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लगातार बढ़ रही ही कुश्ती की लोकप्रियता
2015 में कोडरमा जिले में नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता आयोजित की गई थी. उसके बाद से लगातार जिले में कुश्ती की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. हालांकि, आज से पहले साधन नहीं होने के कारण कुश्ती खिलाड़ियों को सही प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा था. लेकिन अब उनके पास अखाड़ा है, मैट है और तमाम वो साधन हैं जिसके जरिए वे कुश्ती में पारंगत हो सकते हैं. संघ के सचिव और कोच आकाश सेठ ने बताया कि जो भी बच्चे ट्रेनिंग हासिल कर रहे हैं उन्हें कुश्ती के हर दांव-पेंच सिखाए जा रहे हैं.

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कबड्डी को भी मिले प्रोत्साहन

खिलाड़ियों का कहना है कि क्रिकेट और फुटबॉल के साथ अब कबड्डी और कुश्ती जैसे देसी खेलों की भी लोकप्रियता बढ़ती जा रहा है. ऐसे में जरूरत है देसी खेल में हाथ आजमाने वाले खिलाड़ियों को भी सुविधाएं और साधन मुहैया कराई जाए, ताकि प्रतिभा को निखारा जा सके.

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