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SPECIAL: चमगादड़ को संरक्षित करेगा वन विभाग, जानिए क्या-क्या हैं फायदे ?

कोडरमा के झुमरीतिलैया श्रम कल्याण परिसर में बड़ी संख्या में अलग-अलग प्रजाति के चमगादड़ हैं. वाइल्ड लाइफ के डीएफओ आरएन मिश्रा कहते हैं कि इसके लार से हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों के अलावा कई जीवन रक्षक दवाइयां भी बनाई जाती है.

forest department will preserve bats in koderma
forest department will preserve bats in koderma
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Published : Oct 10, 2020, 6:13 AM IST

कोडरमा: जिले के झुमरीतिलैया श्रम कल्याण परिसर में बड़ी संख्या में अलग-अलग प्रजाति के चमगादड़ मौजूद हैं. बड़ी संख्या में चमगादड़ की मौजूदगी के संज्ञान में आने के बाद वन विभाग अब इन चमगादड़ को संरक्षित करेगा. ताकि इनकी विलुप्त हो रही प्रजाति को बचाया जा सके.

देखें स्पेशल स्टोरी

पूरे विश्व में चमगादड़ की 1,116 प्रजातियां

पूरे विश्व में चमगादड़ की 1,116 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें से 109 प्रजाती सिर्फ भारत मे प्रवास करती है. लेकिन सबसे दुखद पहलू यह है कि इसकी सख्यां में लगातार कमी आ रही है और अगर गिद्व, गौरया की तरह यह भी लुप्त हो जाए. तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है. कोडरमा के श्रम कल्याण परिसर में लगे पेड़ों में इनकी सख्यां देखने लायक है. इन पेड़ों में इनकी संख्या कभी लाखों में हुआ करती थी. लेकिन यह सख्यां दिन प्रतिदिन घटती जा रही है. खासकर इस मौसम मे इनकी मौत का सिलसिला तो बदस्तुर जारी है. जानकारो की माने तो श्रम कल्याण केंद्र में निवास कर रहे इन चमगादड़ों को सरंक्षण मानव जीवन के लिहाज से जरूरी है.

चमगादड़ में हैं काफी खूबियां

वहीं दूसरी तरफ इनसे होने वाले फायदों की बात करें, तो एक-एक चमगादड़ प्रतिदिन लाखों कीड़े-मकोड़ों को अपना भोजन बनाते हैं. जो मनुष्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं. पर्यावरण शुद्व करने की दिशा में यह सबसे पहले उन फलों को खाता है, जो सड़-गल रहे हो. साथ ही लगभग 500 प्रजाती के पेड़-पौधे के प्रांगड़ में इनका महत्वपूर्ण योगदान होता है. इस प्रकार 90 प्रतिशत जंगल का निर्माण चमगादड़ के ऊपर निर्भर करता है. वन्य प्राणियों के जानकार भी यह मानते हैं कि चमगादड़ मनुष्य के लिए काफि लाभकारी जीव है. इसके लार से कई जीवन रक्षक दवांए भी बनायी जाती है.

यह भी पढ़ेंः झारखंड हाई कोर्ट से लालू यादव को राहत, चारा घोटाला के चाईबासा मामले में मिली जमानत

क्या कहते हैं डीएफओ

कोडरमा के श्रम कल्याण केंद्र में बसे इन चमगादड़ों के सरंक्षण के सवाल पर वाइल्ड लाइफ के डीएफओ आर एन मिश्रा ने बताया कि सबसे पहले विभाग की ओर से इन चमगादड़ों की प्रजाति की पहचान करायी जायेगी. उसके बाद संरक्षण की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है. उन्होंने माना की वन्य प्राणियों के सरंक्षण के लिए लोगों में जागरूकता भी आनी चाहिए. ताकि जीव जंतुओं की प्रजाति विलुप्त न हो.

कोडरमा: जिले के झुमरीतिलैया श्रम कल्याण परिसर में बड़ी संख्या में अलग-अलग प्रजाति के चमगादड़ मौजूद हैं. बड़ी संख्या में चमगादड़ की मौजूदगी के संज्ञान में आने के बाद वन विभाग अब इन चमगादड़ को संरक्षित करेगा. ताकि इनकी विलुप्त हो रही प्रजाति को बचाया जा सके.

देखें स्पेशल स्टोरी

पूरे विश्व में चमगादड़ की 1,116 प्रजातियां

पूरे विश्व में चमगादड़ की 1,116 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें से 109 प्रजाती सिर्फ भारत मे प्रवास करती है. लेकिन सबसे दुखद पहलू यह है कि इसकी सख्यां में लगातार कमी आ रही है और अगर गिद्व, गौरया की तरह यह भी लुप्त हो जाए. तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है. कोडरमा के श्रम कल्याण परिसर में लगे पेड़ों में इनकी सख्यां देखने लायक है. इन पेड़ों में इनकी संख्या कभी लाखों में हुआ करती थी. लेकिन यह सख्यां दिन प्रतिदिन घटती जा रही है. खासकर इस मौसम मे इनकी मौत का सिलसिला तो बदस्तुर जारी है. जानकारो की माने तो श्रम कल्याण केंद्र में निवास कर रहे इन चमगादड़ों को सरंक्षण मानव जीवन के लिहाज से जरूरी है.

चमगादड़ में हैं काफी खूबियां

वहीं दूसरी तरफ इनसे होने वाले फायदों की बात करें, तो एक-एक चमगादड़ प्रतिदिन लाखों कीड़े-मकोड़ों को अपना भोजन बनाते हैं. जो मनुष्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं. पर्यावरण शुद्व करने की दिशा में यह सबसे पहले उन फलों को खाता है, जो सड़-गल रहे हो. साथ ही लगभग 500 प्रजाती के पेड़-पौधे के प्रांगड़ में इनका महत्वपूर्ण योगदान होता है. इस प्रकार 90 प्रतिशत जंगल का निर्माण चमगादड़ के ऊपर निर्भर करता है. वन्य प्राणियों के जानकार भी यह मानते हैं कि चमगादड़ मनुष्य के लिए काफि लाभकारी जीव है. इसके लार से कई जीवन रक्षक दवांए भी बनायी जाती है.

यह भी पढ़ेंः झारखंड हाई कोर्ट से लालू यादव को राहत, चारा घोटाला के चाईबासा मामले में मिली जमानत

क्या कहते हैं डीएफओ

कोडरमा के श्रम कल्याण केंद्र में बसे इन चमगादड़ों के सरंक्षण के सवाल पर वाइल्ड लाइफ के डीएफओ आर एन मिश्रा ने बताया कि सबसे पहले विभाग की ओर से इन चमगादड़ों की प्रजाति की पहचान करायी जायेगी. उसके बाद संरक्षण की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है. उन्होंने माना की वन्य प्राणियों के सरंक्षण के लिए लोगों में जागरूकता भी आनी चाहिए. ताकि जीव जंतुओं की प्रजाति विलुप्त न हो.

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