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कोडरमा में इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण में हो रही थी बाल मजदूरी, प्रशासनिक कार्रवाई पर उठे सवाल

निर्माणधीन इंजीनियरिंग कॉलेज में बाल मजदूरी का मामला सामने आया. मामले की जानकारी मिलते ही डीसी ने जांच के आदेश दिए. इसके बाद भी बच्चों को रेस्क्यू नहीं किया गया.

बाल मजदूरी का मामला सामने आया
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Published : May 22, 2019, 12:24 PM IST

कोडरमा: जिले के बागीतांड में तकरीबन सौ करोड़ की लागत से बन रहे इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण में बड़ी संख्या में बाल मजदूरी की बात सामने आई है. जिसकी शिकायत पर जिला प्रशासन के आला अधिकारियों ने निर्माणधीन इंजीनियरिंग कॉलेज का निरीक्षण किया. लेकिन अधिकारी कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करते नजर आए.

बाल मजदूरी का मामला सामने आया

दरअसल, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की सूचना पर उपायुक्त ने जिला आपूर्ति पदाधिकारी राजेश साहू की अगुवाई में जांच टीम कार्रवाई के लिए कॉलेज भेजा. इस दौरान वहां दर्जनभर से ज्यादा बाल मजदूर दिखे. लेकिन इन बच्चों को रेस्क्यू करने के बजाय सिर्फ उनका नाम और पता नोट कर अधिकारी वापस लौट गए.

इधर, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के कोडरमा को-ऑर्डिनेटर गोविंद खनाल ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन निर्माण में बड़ी संख्या में बाल मजदूरी कराने की सूचना मिली थी. जांच के दौरान भी कई बच्चे मजदूरी करते पाए गए.

वहीं, इस पूरे मामले पर निर्माणाधीन इंजीनियरिंग कॉलेज के साइट इंचार्ज अश्विनी कुमार ने बताया कि जो बच्चे बाल मजदूर के रूप में चिन्हित किए गए हैं. वो दरअसल अपने अभिभावक के साथ यहां आए थे. जो किसी तरह की मजदूरी का काम नहीं करते हैं. वहीं, दूसरी तरफ जांच टीम के बाद जब बच्चों को रेस्क्यू करने के लिए टीम पहुंची, तो सारे बच्चे वहां से भाग खड़े हुए और रेस्क्यू टीम को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा.

कोडरमा: जिले के बागीतांड में तकरीबन सौ करोड़ की लागत से बन रहे इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण में बड़ी संख्या में बाल मजदूरी की बात सामने आई है. जिसकी शिकायत पर जिला प्रशासन के आला अधिकारियों ने निर्माणधीन इंजीनियरिंग कॉलेज का निरीक्षण किया. लेकिन अधिकारी कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करते नजर आए.

बाल मजदूरी का मामला सामने आया

दरअसल, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की सूचना पर उपायुक्त ने जिला आपूर्ति पदाधिकारी राजेश साहू की अगुवाई में जांच टीम कार्रवाई के लिए कॉलेज भेजा. इस दौरान वहां दर्जनभर से ज्यादा बाल मजदूर दिखे. लेकिन इन बच्चों को रेस्क्यू करने के बजाय सिर्फ उनका नाम और पता नोट कर अधिकारी वापस लौट गए.

इधर, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के कोडरमा को-ऑर्डिनेटर गोविंद खनाल ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन निर्माण में बड़ी संख्या में बाल मजदूरी कराने की सूचना मिली थी. जांच के दौरान भी कई बच्चे मजदूरी करते पाए गए.

वहीं, इस पूरे मामले पर निर्माणाधीन इंजीनियरिंग कॉलेज के साइट इंचार्ज अश्विनी कुमार ने बताया कि जो बच्चे बाल मजदूर के रूप में चिन्हित किए गए हैं. वो दरअसल अपने अभिभावक के साथ यहां आए थे. जो किसी तरह की मजदूरी का काम नहीं करते हैं. वहीं, दूसरी तरफ जांच टीम के बाद जब बच्चों को रेस्क्यू करने के लिए टीम पहुंची, तो सारे बच्चे वहां से भाग खड़े हुए और रेस्क्यू टीम को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा.

Intro:कोडरमा के बागीतांड में तकरीबन 100 करोड़ की लागत से बन रहे इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण भवन में बड़ी संख्या में बाल मजदूरी की बात सामने आई जिसके बाद कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की शिकायत पर जिला प्रशासन के आला अधिकारियों ने निर्माणधीन इंजीनियरिंग कॉलेज का निरीक्षण किया लेकिन अधिकारी कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करते दिखे । दरअसल कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की सूचना पर उपायुक्त जिला आपूर्ति पदाधिकारी राजेश साहू की अगुवाई में जांच टीम कार्रवाई के लिए निर्माणाधीन इंजीनियरिंग कॉलेज भेजा था इस दौरान खाद आपूर्ति पदाधिकारी को दर्जनभर से ज्यादा बाल मजदूर दिखे लेकिन इन बच्चों को रेस्क्यू करने के बजाय सिर्फ इसका नाम और पता नोट कर अधिकारी वापस लौट गए ।


Body:कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के कोडरमा कोऑर्डिनेटर गोविंद खनाल ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन निर्माण में बड़ी संख्या में बाल मजदूरी के काम किए जाने की सूचना उन्हें मिली थी और आज के जांच के दौरान भी कई बच्चे बाल मजदूरी करते पाए गए वही इस पूरे मामले पर निर्माणाधीन इंजीनियरिंग कॉलेज के साइड इंचार्ज अश्वनी कुमार का कहना है कि जो बच्चे बाल मजदूरी के रूप में चिन्हित किए गए हैं दरअसल वे अपने अभिभावक के साथ यहां आए थे और किसी तरह से यहां मजदूरी का काम नहीं करते हैं , वहीं दूसरी तरफ जांच टीम के बाद जब बच्चों को रेस्क्यू करने के लिए टीम पहुंची तो सारे बच्चे वहां से भाग खड़े हुए और रेस्क्यू टीम को खाली हाथ बैरंग वापस लौटना पड़ा ।


Conclusion:गौरतलब है कि कोडरमा में कई निर्माणधीन भवनों व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में इन दिनों बाल मजदूरों को काम करते देखा जा सकता हैं ।हालांकि समय समय पर चाइल्ड लाइन और बचाओ जैसे सामाजिक संगठनों के द्वारा अभियान चलाया जाता हैं और बच्चों को रेस्क्यू करा उन्हें उनके परिजनों को सौपा जाता हैं वाबजूद बेरोजगारी का आलम ये हैं कि इन दिनों बाल मजदूरों को खुले आम बाल मजदूरी करते देखा जा सकता हैं ।जरूरत हैं कि बाल श्रम कानून को सख्ती से लागू किया जाए ताकि बाल मजदूरी को खत्म किया जा सकें ।
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