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खूंटी में जलापूर्ति योजना पर लगा है ग्रहण, पांच साल बाद भी 70 प्रतिशत काम ही हुआ पूरा - Khunti news

खूंटी में पीने के पानी की समस्या (Drinking water problem in khunti) गंभीर है. इस समस्या की स्थाई निदान को लेकर जलापूर्ति योजना बनाई गई, जिसपर पांच साल पहले काम शुरू भी किया गया. लेकिन अब तक निर्माणाधीन ही है.

Water supply scheme in Khunti
खूंटी में जलापूर्ति योजना
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Published : Dec 23, 2022, 9:45 AM IST

क्या कहते हैं स्थानीय और डीसी

खूंटीः नगर पंचायत क्षेत्र में रहने वाले लोग पीने के पानी की समस्या (Drinking water problem in khunti) को लेकर दिन-रात परेशान होते हैं. इस परेशानी को देखते हुए पांच साल पहले शहरी जलापूर्ति योजना बनाई गई, जिसे 60 करोड़ की लागत से पूरा करना है. लेकिन पांच साल बीत जाने के बावजूद अब तक 70 प्रतिशत भी काम पूरा हो सका है. स्थिति यह है कि शहरी क्षेत्र के अधिकतर इलाके के लोग पीने के पानी को लेकर इधर-उधर भटकने के लिए मजबूर हैं.

यह भी पढ़ेंः खूंटी में नहीं दूर हो रही पेयजल की समस्या, विशाल जलमीनार भी नहीं बुझा पा रहा लोगों की प्यास

इस योजना की निगरानी जुडको और सूडा कर रही है. हाल के दिनों में सूडा के निदेशक योजना की समीक्षा को लेकर खूंटी पहुंचे थे. इसके बावजूद अब तक जलापूर्ति योजना का कार्य पूर्ण नहीं हो सका है. हालांकि, डीसी का दावा है कि जनवरी 2023 तक जलापूर्ति योजना पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद शहरवासियों को स्वच्छ पीने के पानी मिलेगा.

बता दें कि खूंटी ड्राई जोन में आता है. शहरी क्षेत्रों में भूमिगत जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है. स्थिति यह है कि कई बोरिंग फेल हो चुके हैं. डीप बोरिंग के बावजूद नगर पंचायत क्षेत्र में पेयजल संकट बना हुआ है. इस संकट के स्थायी निदान को लेकर 60 करोड़ की लागत से तजना जलाशय में शहरी जलापूर्ति योजना को लेकर आधारभूत संरचना विकसित की जा रही है, जो पांच वर्षों से निर्माणाधीन है. जिला प्रशासन का मानना है कि कोविड के कारण दो साल निर्माण प्रक्रिया बाधित रही. लेकिन जनवरी 2023 तक जलापूर्ति योजना पूर्ण कर ली जाएगी.

रघुवर सरकार ने खूंटीवासियों को बड़ी योजना दी थी. लेकिन सिस्टम की अनदेखी और लापरवाह ठेकेदारों ने इस योजना पर ग्रहण लगा दिया है. 25 जनवरी 2019 को तत्कालीन शहरी विकास मंत्री सीपी सिंह, ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, पूर्व सांसद कड़िया मुंडा आदि नेताओं ने इस योजना का शिलान्यास किया था. 60 करोड़ की लागत से बनने वाली योजना को जनवरी 2021 में ही बनकर तैयार होना था. लेकिन दिसंबर 2022 तक योजना निर्माणाधीन है.

जलापूर्ति योजना के तहत 19 वार्डो में लगभग 121 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाना है, जिसपर आज भी काम जारी है. इसके साथ ही जलमीनार भी बनाये जा रहे हैं. इस योजना के तहत एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, तीन पानी टंकी सहित अन्य कार्य किया जाना है. इसको लेकर जुडको ने श्रीराम ईपीसी एजेंसी को चयनित किया. लेकिन चयनित एजेंसी लगातर काम में लापरवाही करती रही. डीसी ने कई बार संवेदक को ब्लैक लिस्ट करने की अनुसंसा किया. लेकिन ठेकेदार ने सरकार से एक्टेंशन लेकर काम जारी रखा.

स्थानीय लोगों ने बताया कि वर्तमान सरकार में विकास कार्य धीमी गति से चल रही है. यही वजह है कि खूंटी के लोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं. सांसद प्रतिनिधि मनोज कुमार ने कहा कि जलापूर्ति योजना की निगरानी के लिए सरकार अपनी एजेंसी लगायी हुई है. इस एजेंसी की वजह से योजना लटकी हुई है.

क्या कहते हैं स्थानीय और डीसी

खूंटीः नगर पंचायत क्षेत्र में रहने वाले लोग पीने के पानी की समस्या (Drinking water problem in khunti) को लेकर दिन-रात परेशान होते हैं. इस परेशानी को देखते हुए पांच साल पहले शहरी जलापूर्ति योजना बनाई गई, जिसे 60 करोड़ की लागत से पूरा करना है. लेकिन पांच साल बीत जाने के बावजूद अब तक 70 प्रतिशत भी काम पूरा हो सका है. स्थिति यह है कि शहरी क्षेत्र के अधिकतर इलाके के लोग पीने के पानी को लेकर इधर-उधर भटकने के लिए मजबूर हैं.

यह भी पढ़ेंः खूंटी में नहीं दूर हो रही पेयजल की समस्या, विशाल जलमीनार भी नहीं बुझा पा रहा लोगों की प्यास

इस योजना की निगरानी जुडको और सूडा कर रही है. हाल के दिनों में सूडा के निदेशक योजना की समीक्षा को लेकर खूंटी पहुंचे थे. इसके बावजूद अब तक जलापूर्ति योजना का कार्य पूर्ण नहीं हो सका है. हालांकि, डीसी का दावा है कि जनवरी 2023 तक जलापूर्ति योजना पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद शहरवासियों को स्वच्छ पीने के पानी मिलेगा.

बता दें कि खूंटी ड्राई जोन में आता है. शहरी क्षेत्रों में भूमिगत जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है. स्थिति यह है कि कई बोरिंग फेल हो चुके हैं. डीप बोरिंग के बावजूद नगर पंचायत क्षेत्र में पेयजल संकट बना हुआ है. इस संकट के स्थायी निदान को लेकर 60 करोड़ की लागत से तजना जलाशय में शहरी जलापूर्ति योजना को लेकर आधारभूत संरचना विकसित की जा रही है, जो पांच वर्षों से निर्माणाधीन है. जिला प्रशासन का मानना है कि कोविड के कारण दो साल निर्माण प्रक्रिया बाधित रही. लेकिन जनवरी 2023 तक जलापूर्ति योजना पूर्ण कर ली जाएगी.

रघुवर सरकार ने खूंटीवासियों को बड़ी योजना दी थी. लेकिन सिस्टम की अनदेखी और लापरवाह ठेकेदारों ने इस योजना पर ग्रहण लगा दिया है. 25 जनवरी 2019 को तत्कालीन शहरी विकास मंत्री सीपी सिंह, ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, पूर्व सांसद कड़िया मुंडा आदि नेताओं ने इस योजना का शिलान्यास किया था. 60 करोड़ की लागत से बनने वाली योजना को जनवरी 2021 में ही बनकर तैयार होना था. लेकिन दिसंबर 2022 तक योजना निर्माणाधीन है.

जलापूर्ति योजना के तहत 19 वार्डो में लगभग 121 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाना है, जिसपर आज भी काम जारी है. इसके साथ ही जलमीनार भी बनाये जा रहे हैं. इस योजना के तहत एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, तीन पानी टंकी सहित अन्य कार्य किया जाना है. इसको लेकर जुडको ने श्रीराम ईपीसी एजेंसी को चयनित किया. लेकिन चयनित एजेंसी लगातर काम में लापरवाही करती रही. डीसी ने कई बार संवेदक को ब्लैक लिस्ट करने की अनुसंसा किया. लेकिन ठेकेदार ने सरकार से एक्टेंशन लेकर काम जारी रखा.

स्थानीय लोगों ने बताया कि वर्तमान सरकार में विकास कार्य धीमी गति से चल रही है. यही वजह है कि खूंटी के लोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं. सांसद प्रतिनिधि मनोज कुमार ने कहा कि जलापूर्ति योजना की निगरानी के लिए सरकार अपनी एजेंसी लगायी हुई है. इस एजेंसी की वजह से योजना लटकी हुई है.

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