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तोरपा एसडीपीओ को मिलेगा पुलिस वीरता पदक, राष्ट्रपति करेंगे सम्मानित - पुलिस विरता पदक

राष्ट्रपति के हाथों तोरपा एसडीपीओ ओमप्रकाश तिवारी को पुलिस वीरता पदक से नवाजा जाएगा. इसके लिए बुधवार को एसडीपीओ के नाम का चयन हुआ है. ओमप्रकाश तिवारी को मुठभेड़ के दौरान जवानों को सकुशल जंगलों से निकालने और अदभ्य साहस के लिए वीरता पुरस्कार के लिए चयन किया गया है.

Torpa SDPO will get Police Bravery Medal
एसडीपीओ ओमप्रकाश तिवारी
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Published : Jan 29, 2020, 9:58 PM IST

खूंटी: तोरपा में पदस्थापित अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ओमप्रकाश तिवारी का चयन पुलिस वीरता पदक के लिए किया गया है. माओवादियों से लोहा लेने वाले ओमप्रकाश तिवारी को जल्द ही राष्ट्रपति के हाथों वीरता पदक से नवाजा जाएगा.

एसडीपीओ ओमप्रकाश तिवारी

तोरपा एसडीपीओ ओमप्रकाश तिवारी के अदम्य साहस, वीरता और बेहतर क्षमता को देखते हुए जल्द ही राष्ट्रपति के हाथों वीरता अवार्ड से नवाजा जाएगा. ओमप्रकाश तिवारी ने माओवादियों से लातेहार के बीहड़ों में हुई मुठभेड़ के दौरान पुलिस टीम का नेतृत्व किया था. मुठभेड़ के दौरान एसडीपीओ ने घायल माओवादी की जान बचाने का प्रयास, उनकी अद्भुत निर्माण निर्णय क्षमता और टीम को अपनी रणनीति से बीहड़ जंगलों से सुरक्षित निकालने की क्षमता के कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें वीरता पुरस्कार के लिए चयनित किया है.

एसडीपीओ ने सुनाई मुठभेड़ की पूरी कहानी

पुरस्कार के लिए नाम चयनित होने के बाद एसडीपीओ ओमप्रकाश तिवारी ने मुठभेड़ घटना के संबंध में बताया कि 1 फरवरी 2018 को वे अपनी पूरी टीम के साथ अभियान पर निकले थे. लातेहार के महुआडाड़ में स्थित पंडरा गांव के घनघोर जंगल में अभियान के दौरान वे दो पहाड़ियों के बीच पंडरा नाला की पगडंडी में चल रहे थे. इतने में नदी की धारा के उस पार की पहाड़ी में कुछ हलचल दिखी, कोई कुछ समझ पाता कि दोनों ओर से फायरिंग शुरू हो गई. देर तक चली मुठभेड़ के दौरान उनकी टीम ने एक माओवादी को मार गिराया और उस माओवादी को 3 गोली लगी थी. जिसके बाद माओवादी अपने बाकी सदस्यों के साथ ही भाग निकले थे. मुठभेड़ के बाद सुरक्षित निकलना खतरे से खाली नहीं था.

मुठभेड़ में गोलीबारी शांत होने के बाद चले सर्च अभियान में पुलिस ने घायल वर्दीधारी माओवादी दिखा और पुलिसिया पूछताछ में उसने संगठन का सब-जोनल कमांडर बीरबल उरांव बताया. साथ ही गिरफ्तार माओवादी ने बताया कि पुलिस की भिड़ंत रघु राव के दस्ते के साथ हुई थी. घंटों चले सर्च अभियान के दौरान पुलिस ने 3 रेगुलर राइफल, तीन जिंदा आईडी बम, माओवादी साहित्य, भारी मात्रा में गोली बारूद बरामद किया गया था, लेकिन चुनौती पुलिस के लिए मुठभेड़ के बाद अपनी टीम को सुरक्षित निकालने और माओवादी को बचाने का प्रयास भी था. एसडीपीओ जैसे ही अपनी टीम और गिरफ्तार नक्सली को लेकर मुठभेड़ स्थल से निकले तो गांव पहुंचते ही माओवादियों ने फिर से हमला कर दिया. लेकिन इस बार भी उन्होंने अपनी टीम को कोई नुकसान होने नहीं दिया और बाहर निकाल दिया.

इसे भी पढ़ें- सरायकेला में सरस्वती पूजा की धूम, चंद्रयान-2 मॉडल पर आधारित पूजा पंडाल बना आकर्षण का केंद्र

खूंटी को नक्सल मुक्त बनाने का संकल्प

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए एसडीपीओ ने बताया कि इस बार फिर नक्सलियों के गढ़ में पोस्टिंग हुई है और यहां भी नक्सलियों का सफाया करेंगे. साथ ही बेहतर सूचना संकलन के लिए ग्रामीणों के साथ बेहतर तालमेल स्थापित किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि इलाके को नक्सल मुक्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. बता दें कि पुरस्कार के लिए इस अभियान में शामिल एसडीपीओ ओपी तिवारी के साथ झारखंड जगुआर के रविंद्र सिंह, आलोक दुबे, बॉडीगार्ड प्रमोद यादव और हवलदार मनोज कुमार का भी नाम चयन किया गया है.

खूंटी: तोरपा में पदस्थापित अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ओमप्रकाश तिवारी का चयन पुलिस वीरता पदक के लिए किया गया है. माओवादियों से लोहा लेने वाले ओमप्रकाश तिवारी को जल्द ही राष्ट्रपति के हाथों वीरता पदक से नवाजा जाएगा.

एसडीपीओ ओमप्रकाश तिवारी

तोरपा एसडीपीओ ओमप्रकाश तिवारी के अदम्य साहस, वीरता और बेहतर क्षमता को देखते हुए जल्द ही राष्ट्रपति के हाथों वीरता अवार्ड से नवाजा जाएगा. ओमप्रकाश तिवारी ने माओवादियों से लातेहार के बीहड़ों में हुई मुठभेड़ के दौरान पुलिस टीम का नेतृत्व किया था. मुठभेड़ के दौरान एसडीपीओ ने घायल माओवादी की जान बचाने का प्रयास, उनकी अद्भुत निर्माण निर्णय क्षमता और टीम को अपनी रणनीति से बीहड़ जंगलों से सुरक्षित निकालने की क्षमता के कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें वीरता पुरस्कार के लिए चयनित किया है.

एसडीपीओ ने सुनाई मुठभेड़ की पूरी कहानी

पुरस्कार के लिए नाम चयनित होने के बाद एसडीपीओ ओमप्रकाश तिवारी ने मुठभेड़ घटना के संबंध में बताया कि 1 फरवरी 2018 को वे अपनी पूरी टीम के साथ अभियान पर निकले थे. लातेहार के महुआडाड़ में स्थित पंडरा गांव के घनघोर जंगल में अभियान के दौरान वे दो पहाड़ियों के बीच पंडरा नाला की पगडंडी में चल रहे थे. इतने में नदी की धारा के उस पार की पहाड़ी में कुछ हलचल दिखी, कोई कुछ समझ पाता कि दोनों ओर से फायरिंग शुरू हो गई. देर तक चली मुठभेड़ के दौरान उनकी टीम ने एक माओवादी को मार गिराया और उस माओवादी को 3 गोली लगी थी. जिसके बाद माओवादी अपने बाकी सदस्यों के साथ ही भाग निकले थे. मुठभेड़ के बाद सुरक्षित निकलना खतरे से खाली नहीं था.

मुठभेड़ में गोलीबारी शांत होने के बाद चले सर्च अभियान में पुलिस ने घायल वर्दीधारी माओवादी दिखा और पुलिसिया पूछताछ में उसने संगठन का सब-जोनल कमांडर बीरबल उरांव बताया. साथ ही गिरफ्तार माओवादी ने बताया कि पुलिस की भिड़ंत रघु राव के दस्ते के साथ हुई थी. घंटों चले सर्च अभियान के दौरान पुलिस ने 3 रेगुलर राइफल, तीन जिंदा आईडी बम, माओवादी साहित्य, भारी मात्रा में गोली बारूद बरामद किया गया था, लेकिन चुनौती पुलिस के लिए मुठभेड़ के बाद अपनी टीम को सुरक्षित निकालने और माओवादी को बचाने का प्रयास भी था. एसडीपीओ जैसे ही अपनी टीम और गिरफ्तार नक्सली को लेकर मुठभेड़ स्थल से निकले तो गांव पहुंचते ही माओवादियों ने फिर से हमला कर दिया. लेकिन इस बार भी उन्होंने अपनी टीम को कोई नुकसान होने नहीं दिया और बाहर निकाल दिया.

इसे भी पढ़ें- सरायकेला में सरस्वती पूजा की धूम, चंद्रयान-2 मॉडल पर आधारित पूजा पंडाल बना आकर्षण का केंद्र

खूंटी को नक्सल मुक्त बनाने का संकल्प

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए एसडीपीओ ने बताया कि इस बार फिर नक्सलियों के गढ़ में पोस्टिंग हुई है और यहां भी नक्सलियों का सफाया करेंगे. साथ ही बेहतर सूचना संकलन के लिए ग्रामीणों के साथ बेहतर तालमेल स्थापित किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि इलाके को नक्सल मुक्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. बता दें कि पुरस्कार के लिए इस अभियान में शामिल एसडीपीओ ओपी तिवारी के साथ झारखंड जगुआर के रविंद्र सिंह, आलोक दुबे, बॉडीगार्ड प्रमोद यादव और हवलदार मनोज कुमार का भी नाम चयन किया गया है.

Intro:खूंटी - तोरपा में पदस्थापित अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ओमप्रकाश तिवारी पुलिस वीरता पदक के लिए चयनित किए गए हैं। उनके अदम्य साहस वीरता व बेहतर क्षमता को देखते हुए जल्द ही उन्हें राष्ट्रपति के द्वारा अवार्ड से नवाजा जाएगा। माओवादियों से लातेहार के बीहड़ों में हुई मुठभेड़ के दौरान उनके नेतृत्व क्षमता व घायल माओवादी की जान बचाने का प्रयास उनकी अद्भुत निर्माण निर्णय क्षमता व टीम को अपनी रणनीति से बीहड़ जंगलों से सुरक्षित निकालने की क्षमता के कारण ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें पुरस्कार के लिए चयनित किया है। पुरस्कार के लिए नाम आने के बाद एसडीपीओ तिवारी ने मुठभेड़ घटना के संबंध में बताया कि 1 फरवरी 2018 को वे अपनी पूरी टीम के साथ अभियान पर निकले थे। महुआटांड़ लातेहार के भीतर पंडरा गांव के घनघोर जंगल में अभियान के दौरान वे दो पहाड़ियों के बीच पंडरा नाला की पगडंडी में चल रहे थे। इतने में नदी की धारा के उस पार की पहाड़ी में कुछ हलचल दिखी,कोई कुछ समझ पाता कि दोनों ओर से फायरिंग शुरू हो गई। देर तक चली मुठभेड़ के दौरान उनकी टीम ने एक माओवादी को मार गिराया और उस माओवादी को 3 गोली लगी। उसके बाद माओवादी अपने बाकी सदस्यों के साथ ही भाग खड़े हुए। मुठभेड़ के बाद सुरक्षित निकलना खतरे से खाली नहीं था।गोलीबारी शांत होने के बाद चले सर्च अभियान में पुलिस ने घायल वर्दीधारी माओवादी दिखा और पुलिसिया पूछताछ में उसने संगठन का सब-जोनल कमांडर बीरबल उरांव बताया। साथ ही गिरफ्तार माओवादी ने बताया कि पुलिस की भिड़ंत रघु राव के दस्ते के साथ हुई थी। घंटों चले सर्च अभियान के दौरान पुलिस ने 3 रेगुलर राइफल,तीन जिंदा आईडी बम,माओवादी साहित्य,भारी मात्रा में गोली बारूद बरामद किया गया था। लेकिन चुनौती पुलिस के लिए मुठभेड़ के बाद अपनी टीम को सुरक्षित निकालने और माओवादी को बचाने का प्रयास भी था। एसडीपीओ जैसे ही अपनी टीम और गिरफ्तार नक्सली को लेकर मुठभेड़ स्थल से निकले तो गांव पहुंचते ही माओवादियों ने फिर से हमला कर दिया। परंतु इस बार भी उन्होंने अपनी टीम को कोई नुकसान होने नहीं दिया और बाहर निकाल दिया।
ईटीवी से बातचीत करते हुए एसडीपीओ ने बताया कि इस बार फिर नक्सलियों के गढ़ में पोस्टिंग हुई है और यहां भी नक्सलियों का सफाया किया जाएगा।साथ ही बेहतर सूचना संकलन के लिए ग्रामीणों के साथ बेहतर तालमेल स्थापित किया जा रहा है।उन्होंने दावा किया है कि इलाके को नक्सल मुक्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। बता दें कि पुरस्कार के लिए इस अभियान में शामिल एसडीपीओ ओपी तिवारी के साथ झारखंड जगुआर के रविंद्र सिंह,आलोक दुबे,बॉडीगार्ड प्रमोद यादव और हवलदार मनोज कुमार का भी नाम चयन किया गया है ।Body:AConclusion:Z
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