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नक्सली से ज्यादा हाथियों के आतंक से परेशान हैं यहां के ग्रामीण, वन विभाग नहीं उठा रहा कोई ठोस कदम - Villagers of torpa are troubled by terror of elephants

खूंटी को नक्सल मुक्त करने की दिशा में भले ही लगातार अभियान चलाए जा रहे हो, लेकिन जिले के ग्रामीण नक्सलियों से अधिक हाथियों के आतंक से परेशान हैं. दिन में हाथियों का झुंड इलाके में नहीं आते हैं, लेकिन जैसे ही शाम होती है, वो इलाकों में भ्रमणशील हो जाते हैं. गजराज के बढ़ते आतंक के वावजूद वन विभाग कुछ मुआवजा देकर अपना पल्ला झाड़ निकल लेता है, जिससे ग्रामीणों में रोष है.

हाथियों के आतंक से परेशान हैं यहां के ग्रामीण
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Published : Jan 1, 2021, 10:20 PM IST

Updated : Jan 2, 2021, 10:45 PM IST

खूंटी: झारखंड के खूंटी जिले में इन दिनों लगातार जंगली हाथियों का आतंक बना हुआ है. जिले के वन क्षेत्रों में 70 से ज्यादा हाथियों का दल क्षेत्र में दहशत का कारण है. तोरपा प्रखंड क्षेत्र के उकड़ीमाड़ी, गिड़ुम समेत कई इलाकों में हाथियों में भारी संख्या में धान समेत रबी फसलों को बर्बाद किया है. पिछले हफ्ते कुंआ में हाथी गिर गया था और उसका रेस्क्यू कर उसे बाहर निकाला गया, लेकिन गजराज महाराज कुंआ से निकलते ही एक अधेड़ और एक बच्चे को भी अपनी चपेट में ले लिए थे.

देखें स्पेशल खबर

हाथियों के आतंक से परेशान है ग्रामीण

खूंटी को नक्सल मुक्त करने की दिशा में भले ही लगातार अभियान चलाए जा रहे हो, लेकिन जिले के ग्रामीण नक्सलियों से अधिक हाथियों के आतंक से परेशान हैं. 30 सालों से जिले में आतंक मचाने वाले गजराज को भगाने का विकल्प वन विभाग के पास नहीं है. यही कारण है कि पिछले दो वर्षो के भीतर खूंटी में 16 ग्रामीणों की मौत, 26 घायल, 175 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, जबकि हाथियों ने 519 लोगों के फसल और 185 किसानों का अनाज बर्बाद किया है. ये सिलसिला अभी भी जारी है. गजराज के बढ़ते आतंक के वावजूद वन विभाग सिर्फ मुआवजा देकर अपना पल्ला झाड़ निकल लेते हैं.

ये भी पढ़ें-करोड़ों के चिटफंड घोटाले में सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर, कंपनी के डायरेक्टर सहित कई कर्मचारियों पर केस

बड़ी संख्या में फसलों को किया बर्बाद

हाथियों के आतंक से परेशान ग्रामीण, वन विभाग और अंचल कार्यालय से भी नाराज हैं. वन विभाग के तत्काल हाथियों की ओर से नष्ट किए गए फसलों का ऑन द स्पॉट जांच नहीं करने से ग्रामीण खासे नाराज हैं. इन इलाकों में कई किसानों ने बड़ी संख्या में ईख की खेती भी की थी. एक किसान के खेत में लगे लगभग दो लाख मूल्य की ईख की खेती को हाथियों में नष्ट कर दिया. वन विभाग ने बड़ी संख्या में फसलों को बर्बाद किए जाने के बावजूद मात्र पांच से दस हजार का ही मुआवजा किसानों को दिया. यही नहीं हाथियों की चपेट में आ जाने से किसी व्यक्ति की अगर जान भी चली जाती है तो वन विभाग लंबे समय के अंतराल में भी पूरा मुआवजा नहीं देता है. ऐसे में ग्रामीण वन विभाग और अंचल से नाराज हैं.

सिस्टम से उठने लगा है ग्रामीणों का भरोसा

ग्रामीणों ने बताया कि दिन में हाथियों का झुंड इलाके में नहीं आता है, लेकिन जैसे ही शाम होती है, हाथियों का झुंड इलाकों में भ्रमणशील रहते हैं और खेतों में धान के कटने के बाद अब घरों को तोड़कर अनाज ले जाने लगा है. वन विभाग के उदासीन रवैये से किसान इतने नाराज हैं कि वो अब खेतीबाड़ी छोड़ अन्य काम करने की योजना बना रहे हैं. इधर, मामले पर वन विभाग के डीएफओ कुलदीप मीणा के अनुसार, क्षेत्र में हाथियों के झुंड को भगाने का दावा हो या पीड़ित किसान या ग्रामीणों को मुआवजा देने का दावा यह जायज है, लेकिन परेशान ग्रामीणों की समस्या का समाधान वन विभाग नहीं कर पा रहा है, जिससे उनका सिस्टम से भी भरोसा उठने लगा है.

खूंटी: झारखंड के खूंटी जिले में इन दिनों लगातार जंगली हाथियों का आतंक बना हुआ है. जिले के वन क्षेत्रों में 70 से ज्यादा हाथियों का दल क्षेत्र में दहशत का कारण है. तोरपा प्रखंड क्षेत्र के उकड़ीमाड़ी, गिड़ुम समेत कई इलाकों में हाथियों में भारी संख्या में धान समेत रबी फसलों को बर्बाद किया है. पिछले हफ्ते कुंआ में हाथी गिर गया था और उसका रेस्क्यू कर उसे बाहर निकाला गया, लेकिन गजराज महाराज कुंआ से निकलते ही एक अधेड़ और एक बच्चे को भी अपनी चपेट में ले लिए थे.

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हाथियों के आतंक से परेशान है ग्रामीण

खूंटी को नक्सल मुक्त करने की दिशा में भले ही लगातार अभियान चलाए जा रहे हो, लेकिन जिले के ग्रामीण नक्सलियों से अधिक हाथियों के आतंक से परेशान हैं. 30 सालों से जिले में आतंक मचाने वाले गजराज को भगाने का विकल्प वन विभाग के पास नहीं है. यही कारण है कि पिछले दो वर्षो के भीतर खूंटी में 16 ग्रामीणों की मौत, 26 घायल, 175 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, जबकि हाथियों ने 519 लोगों के फसल और 185 किसानों का अनाज बर्बाद किया है. ये सिलसिला अभी भी जारी है. गजराज के बढ़ते आतंक के वावजूद वन विभाग सिर्फ मुआवजा देकर अपना पल्ला झाड़ निकल लेते हैं.

ये भी पढ़ें-करोड़ों के चिटफंड घोटाले में सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर, कंपनी के डायरेक्टर सहित कई कर्मचारियों पर केस

बड़ी संख्या में फसलों को किया बर्बाद

हाथियों के आतंक से परेशान ग्रामीण, वन विभाग और अंचल कार्यालय से भी नाराज हैं. वन विभाग के तत्काल हाथियों की ओर से नष्ट किए गए फसलों का ऑन द स्पॉट जांच नहीं करने से ग्रामीण खासे नाराज हैं. इन इलाकों में कई किसानों ने बड़ी संख्या में ईख की खेती भी की थी. एक किसान के खेत में लगे लगभग दो लाख मूल्य की ईख की खेती को हाथियों में नष्ट कर दिया. वन विभाग ने बड़ी संख्या में फसलों को बर्बाद किए जाने के बावजूद मात्र पांच से दस हजार का ही मुआवजा किसानों को दिया. यही नहीं हाथियों की चपेट में आ जाने से किसी व्यक्ति की अगर जान भी चली जाती है तो वन विभाग लंबे समय के अंतराल में भी पूरा मुआवजा नहीं देता है. ऐसे में ग्रामीण वन विभाग और अंचल से नाराज हैं.

सिस्टम से उठने लगा है ग्रामीणों का भरोसा

ग्रामीणों ने बताया कि दिन में हाथियों का झुंड इलाके में नहीं आता है, लेकिन जैसे ही शाम होती है, हाथियों का झुंड इलाकों में भ्रमणशील रहते हैं और खेतों में धान के कटने के बाद अब घरों को तोड़कर अनाज ले जाने लगा है. वन विभाग के उदासीन रवैये से किसान इतने नाराज हैं कि वो अब खेतीबाड़ी छोड़ अन्य काम करने की योजना बना रहे हैं. इधर, मामले पर वन विभाग के डीएफओ कुलदीप मीणा के अनुसार, क्षेत्र में हाथियों के झुंड को भगाने का दावा हो या पीड़ित किसान या ग्रामीणों को मुआवजा देने का दावा यह जायज है, लेकिन परेशान ग्रामीणों की समस्या का समाधान वन विभाग नहीं कर पा रहा है, जिससे उनका सिस्टम से भी भरोसा उठने लगा है.

Last Updated : Jan 2, 2021, 10:45 PM IST
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