खूंटी: झारखंड के अतिनक्सल प्रभावित खूंटी के छात्र अभिषेक महतो ने इंडो बडी एप बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार किया है. छात्र अभिषेक महतो की ओर से बनाया गया इंडो बडी एप सोशल मीडिया के इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और फेसबुक को टक्कर देगा. अभिषेक महतो के अनुसार इंडो बडी एप्प दूसरेे सोशल मीडिया एप की तुलना में ज्यादा कारगर साबित होगा.
इंडो बडी एप के माध्यम से यूजर अपने डाटा ज्यादा सुरक्षित रख सकते हैं. इसके साथ ही अपने आस-पास रहने वाले दोस्तों के ऑनलाइन या ऑफलाइन स्थिति का भी पता जीपीएस के जरिए लगा सकते हैं. अभिषेक महतो के इस सफर में डीएवी स्कूल के अटल टिंकरिंग लैब के शिक्षक धर्मवीर ने उनकी काफी मदद की. साथ ही अभिषेक महतो के दोस्त अनुराग से भी इंडो-बडी एप बनाने में सहयोग मिला.
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डीएवी स्कूल खूंटी में पढ़ाई कर चुके अभिषेक अटल टिंकरिंग लैब को एप के निर्माण में सहयोगी मानता है. भारत सरकार के नीति आयोग की ओर से अटल टिंकरिंग लैब विद्यालय में स्थापित की गई है. इस लैब के जरिए डीएवी के विद्यार्थी लगातार इन्नोवेटिव आईडिया के तहत प्रोजेक्ट बनाते हैं. अटल टिंकरिंग लैब के माध्यम से डीएवी के छोटे से लेकर बड़े विद्यार्थी तक रोबोटिक्स, प्रोग्रामिंग, कोडिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, एप डेवलपमेंट समेत कई डिजिटल बारीकियां सीखते हैं.
कंप्यूटर शिक्षक धर्मवीर बताते हैं कि उन्होंने एप डेवलपमेंट की ऑनलाइन क्लास की है. इसका फायदा डीएवी के बच्चों को मिलने लगा है. अभिषेक के एप डेवलपमेंट से डीएवी के प्रिंसिपल समेत अन्य शिक्षक भी बेहद खुश हैं. एप डेवलपमेंट को लेकर अभिषेक लगातार शिक्षक के साथ अपने दोस्त अनुराग से सलाह लेता रहता था. लगातार अभिषेक अपने दोस्त के साथ एप डिवेलप करने के बारे सोचता रहता था. फिर सोशल मीडिया को कैसे और बेहतर बनाया जाए, जो सुविधाएं व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक में नहीं मिलती हैं उन सुविधाओं को अभिषेक महतो ने इंडो-बडी एप में लोड किया.
अभिषेक के दोस्त अनुराग कंप्यूटर ग्राफिक्स में माहिर हैं. ऐसे में अभिषेक और उसके दोस्त ने मिलकर वेबसाइट के माध्यम से इंडो-बडी एप का निर्माण कर डाला. इंडो-बडी एप के निर्माण से विद्यालय के शिक्षक खुश हैं. उन्होंने अपने छात्रों को आशीर्वाद भी दिया है कि आगे बढ़ो और अच्छा करो. प्रधानमंत्री के सपने को साकार करो. अभिषेक महतो की मम्मी शैलेश्वरी देवी बताती हैं कि शुरुआत में काफी परेशानी हुई. इंडो-बडी एप निर्माण में बहुत पैसे भी खर्च होते हैं. ऐसे में घर से भी उन्हें आर्थिक सहयोग किया गया, लेकिन अभिषेक लगातार ऑनलाइन बिजनेस के माध्यम से पैसे का जुगाड़ भी खुद ही करने लगा. मिलजुल कर सोशल मीडिया को टक्कर देने वाला इंडो-बडी एप का निर्माण कर डाला.