खूंटी: जिले में नक्सल घटनाओं के बाद अफीम की खेती में भी काफी संख्या में ग्रामीण सलाखों के पीछे पहुंचे हैं. बड़े पैमाने पर अवैध अफीम की खेती ने एनडीपीएस एक्ट के विरुद्ध 200 से ज्यादा जनजातीय ग्रामीणों को सलाखों के पीछे पहुंचाया है. खूंटी कोर्ट में अब नक्सली गतिविधि, आपराधिक मामलों से ज्यादा अवैध अफीम के मामले पहुंच रहे हैं. अवैध अफीम के दुष्प्रभाव को लेकर खूंटी व्यवहार न्यायालय के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश और एनडीपीएस के स्पेशल जज श्री सत्यप्रकाश ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है.
यह भी पढ़ें: Khunti News: डोडा से अफीम निकालने का काम शुरू, तस्करी रोकना खूंटी पुलिस के लिए बनी चुनौती
बातचीत के दौरान न्यायाधीश श्री सत्यप्रकाश ने कहा कि प्रशासन के लिए ही नहीं यहां के नागरिकों के लिए भी अवैध अफीम की खेती एक बड़ा चैलेंज है. लगातर प्रशासन और न्यायालय सख्ती से कार्रवाई कर रही है. बावजूद इसका दायरा बढ़ता जा रहा है. अफीम माफियाओं और किसानों समेत उनके जब्त दर्जनों गाड़ियां सड़ रही हैं, लेकिन लोगों में सुधार नहीं आ रहा है. आदिवासी किसान जब तक अवैध अफीम की खेती खुद से बंद नहीं करेंगे, तब तक इस पर अंकुश लगा पाना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन है.
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बताया कि न्यायालय की तरफ से भी लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता रहा है, लेकिन यहां के आदिवासी किसान सुधरने वाले नहीं है. उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा की धरती पर उगाए जाने वाला जहर यहां के आदिवासी बच्चों में जहर घोल रहा है.
न्यायाधीश ने की लोगों से जहर ना फैलाने की अपील: प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने खूंटी के आदिवासियों से अपील की है कि बिरसा मुंडा की इस अमन, चैन वाली धरती में जहर मत फैलाइए. ये जहर आपके बच्चों के लिए ही जहर बनेगा. चंद पैसों के लिए लोग अपनी जीवन को नर्क में धकेल रहे हैं. खूंटी में बढ़ते एनडीपीएस एक्ट के केस जिला प्रशासन के लिए ही नहीं बल्कि यहां की जनता के लिए भी बड़ी चुनौती है. क्योंकि, अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले दिनों में जिला में यह बड़ा अपराध का रूप लेगा, जो यहां का माहौल बिगाड़ने के लिए काफी है.
अवैध अफीम के दुष्प्रभाव को रोकने की जरूरत: प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने खूंटी में अवैध अफीम के दुष्प्रभाव को लेकर कहा कि नशे की हालत में यहां के आदिवासी अपने रिश्तेदारों से लेकर अन्य ग्रामीणों की हत्या कर रहे हैं. लगातार हत्या का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. इस पर सख्ती से कुछ नहीं किया गया तो खूंटी जिले के लिए अफीम एक नासूर बन जायेगा.
एनडीपीएस एक्ट में 241 एफआईआर दर्ज: पुलिस के पांच सालों के आंकड़ो के अनुसार, जिले के विभिन थाना क्षेत्रों में एनडीपीएस एक्ट में 241 एफआईआर दर्ज हैं. खूंटी पुलिस ने 2019 से लेकर जून 2023 तक कुल 241 एफआईआर दर्ज की हैं, जिसमे कई दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. खूंटी पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के तहत 2019 में 45, 2020 में 52, 2021 में 52, 2022 में 52 और 2023 जून तक 40 एफआईआर जिले के विभिन्न थानों में दर्ज की है. एफआईआर के अनुसारं बड़ी संख्या में खूंटी के आदिवासी और किसान गिरफ्तार हुए हैं, जो आज सलाखों के पीछे हैं. जबकि न्यायालय में 200 आरोपी का ट्रायल में हैं.
खूंटी में 4500 केस लंबित: देश के न्यायालयों में करोड़ों केस पेंडिंग है. जिसका निपटारा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का गाइडलाइन भी है और न्यायालय इसके लिए लगातार प्रयास भी करती रहती है. खूंटी व्यवहार न्यायालय में भी कुल 4500 केस लंबित हैं. जिसमें 1000 केस सिविल लिटिगेशन के हैं और एक्सक्यूटिव मजिस्ट्रेट के यहां से आए 145 और 144 जैसे मामलों को मिलाकर ग्राफ अधिक हैं. क्रिमिनल केस भी 3500 पेंडिंग है. जिसमें 1500 केस मजिस्ट्रेट ट्रायल के हैं और 2500 केस सेशन ट्रायल में हैं. समय पर गवाही न होना और आरोपी का फरार हो जाना भी मुख्य कारण है जिसकी वजह से केस पेंडिंग है.