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शांति सभा को लेकर ग्रामीणों की तैयारियां पूरी, जनप्रतिनिधियों ने बताया गैर कानूनी

खूंटी में 7 जनवरी को शांति सभा का आयोजन किया जा रहा है. इसके लिए ग्रामीणों ने पूरा तैयारी कर ली है. यह सभा मारंगहदा इलाके में होगी.

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शांति सभा
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Published : Jan 6, 2021, 11:23 AM IST

खूंटी: जिला लगातार सुर्खियों में रहता आया है. कभी पत्थलगड़ी के नाम पर, कभी नक्सली गतिविधियों, कभी आपराधिक गतिविधियों तो कभी अफीम की बड़े पैमाने पर खेती को लेकर और इसी बीच अब शांति सभा की मीटिंग को लेकर बड़ी तैयारी की जा रही है. जिसका आयोजन जिले के मारंगहदा इलाके से हो रहा है.

देखें पूरी खबर

7 जनवरी को शांति सभा

शांति सभा ग्रामीणों की आम सभा है जो गांव में शांति बहाल करने के लिए किया गया जाता है. शांति सभा के माध्यम से पूरे क्षेत्र, पंचायत और आसपास के इलाकों में चलने वाले आपराधिक गतिविधियों पर शांति सभा के सदस्यों की नजर रहती है. पूर्व में भी शांति सभा की कई बैठकें आयोजित की गई लेकिन शुरुआती शांति सभा बाद में पूरी तरह अपने राह से भटक गई और शांति सभा में शामिल हर व्यक्ति पारंपरिक हथियार से लैस होकर बैठक में आने लगा.

शांति सभा पर क्यों लगी रोक

लगातार कई बैठकों के दौर के बाद जब शांति सभा ने नक्सलियों और उग्रवादियों को भी चुन-चुन कर शांति सभा के माध्यम से सजा सुनाने का फरमान जारी किया तो खुंटी पुलिस और खुफिया तंत्र के कान खड़े हो गए और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर शांति सभा पर रोक लगाने की पहल की गई. अब इतने वर्ष बीतने के बाद शांति सभा अचानक फिर 7 जनवरी को बुलाकर अपने किस एजेंडे को प्रसारित करेगी यह देखने वाली बात होगी.


शांति सभा का दुरुपयोग करना है गलत
इस मसले पर स्थानीय जनप्रतिनिधि मानते हैं कि शांति सभा नाम के मुताबिक शांति बहाल करने का माध्यम होना चाहिए, लेकिन शांति सभा के नाम पर उसका दुरुपयोग करना गलत है. कोई भी शांति सभा कानून को अपने हाथ में कैसे ले सकता है. शांति सभा गांव में अमन, चैन, शांति के लिए बैठक आयोजित कर सकती है. इसे जनप्रतिनिधियों ने सही माना लेकिन वहीं शांति सभा में किसी भी व्यक्ति को अपराधी ठहराना या उसे सजा दिलवाना यह कानून को अपने हाथ में लेने जैसा है.

ये भी पढ़े- अपराध पर राजनीतिः JMM बुधवार को फूंकेगा भाजपा का पुतला, राजभवन के सामने BJP का धरना

कानून को अपने हाथ में लेकर शांति सभा फिर एक बार सुर्खियों में आना चाहती है. इसके पीछे की सामाजिक राजनीतिक कारण चाहे जो हो लेकिन 2021 में शुरू किया जाने वाला शांति सभा किस दिशा में अपनी रणनीति तैयार करेगी. पूर्व की तरह शांति सभा यदि किसी को सजा दिलाने या किसी को दोषी ठहराने का फैसला सुनाती है तो निश्चित ही यह पुलिस के समानांतर अपनी सभा को खड़ा करने जैसा होगा. शांति सभा के माध्यम से यदि फिर खुंटी में भय का वातावरण बनेगा तो निश्चित ही कानून के रखवाले हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठेंगे और शांति सभा फिर खुंटी जिले को सुर्खियों में ले आएगी.

खूंटी: जिला लगातार सुर्खियों में रहता आया है. कभी पत्थलगड़ी के नाम पर, कभी नक्सली गतिविधियों, कभी आपराधिक गतिविधियों तो कभी अफीम की बड़े पैमाने पर खेती को लेकर और इसी बीच अब शांति सभा की मीटिंग को लेकर बड़ी तैयारी की जा रही है. जिसका आयोजन जिले के मारंगहदा इलाके से हो रहा है.

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7 जनवरी को शांति सभा

शांति सभा ग्रामीणों की आम सभा है जो गांव में शांति बहाल करने के लिए किया गया जाता है. शांति सभा के माध्यम से पूरे क्षेत्र, पंचायत और आसपास के इलाकों में चलने वाले आपराधिक गतिविधियों पर शांति सभा के सदस्यों की नजर रहती है. पूर्व में भी शांति सभा की कई बैठकें आयोजित की गई लेकिन शुरुआती शांति सभा बाद में पूरी तरह अपने राह से भटक गई और शांति सभा में शामिल हर व्यक्ति पारंपरिक हथियार से लैस होकर बैठक में आने लगा.

शांति सभा पर क्यों लगी रोक

लगातार कई बैठकों के दौर के बाद जब शांति सभा ने नक्सलियों और उग्रवादियों को भी चुन-चुन कर शांति सभा के माध्यम से सजा सुनाने का फरमान जारी किया तो खुंटी पुलिस और खुफिया तंत्र के कान खड़े हो गए और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर शांति सभा पर रोक लगाने की पहल की गई. अब इतने वर्ष बीतने के बाद शांति सभा अचानक फिर 7 जनवरी को बुलाकर अपने किस एजेंडे को प्रसारित करेगी यह देखने वाली बात होगी.


शांति सभा का दुरुपयोग करना है गलत
इस मसले पर स्थानीय जनप्रतिनिधि मानते हैं कि शांति सभा नाम के मुताबिक शांति बहाल करने का माध्यम होना चाहिए, लेकिन शांति सभा के नाम पर उसका दुरुपयोग करना गलत है. कोई भी शांति सभा कानून को अपने हाथ में कैसे ले सकता है. शांति सभा गांव में अमन, चैन, शांति के लिए बैठक आयोजित कर सकती है. इसे जनप्रतिनिधियों ने सही माना लेकिन वहीं शांति सभा में किसी भी व्यक्ति को अपराधी ठहराना या उसे सजा दिलवाना यह कानून को अपने हाथ में लेने जैसा है.

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कानून को अपने हाथ में लेकर शांति सभा फिर एक बार सुर्खियों में आना चाहती है. इसके पीछे की सामाजिक राजनीतिक कारण चाहे जो हो लेकिन 2021 में शुरू किया जाने वाला शांति सभा किस दिशा में अपनी रणनीति तैयार करेगी. पूर्व की तरह शांति सभा यदि किसी को सजा दिलाने या किसी को दोषी ठहराने का फैसला सुनाती है तो निश्चित ही यह पुलिस के समानांतर अपनी सभा को खड़ा करने जैसा होगा. शांति सभा के माध्यम से यदि फिर खुंटी में भय का वातावरण बनेगा तो निश्चित ही कानून के रखवाले हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठेंगे और शांति सभा फिर खुंटी जिले को सुर्खियों में ले आएगी.

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