खूंटीः जिले में इन दिनों हर चीज पर राजनीति होती दिख रही है. कभी कोविड तो कभी स्वास्थ्य व्यवस्था पर राजनीति की जा रही है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर पक्ष-विपक्ष आमने सामने आते रहे हैं. वहीं अब जिले में पेयजल पर भी राजनीति शुरू है. पेयजल समस्या पर राजनीतिक पार्टी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे है.
इसे भी पढ़ें- खूंटी जिले में गहराया पेजयल संकट, टैंकर के भरोसे लोग
खूंटी नगर पंचायत इलाके में पेयजल संकट
विगत एक हफ्ते से खूंटी नगर पंचायत इलाके में पेयजल संकट का अलग-अलग तरीके से समाधान ढूढ़ने की कोशिश की जा रही है. एक तरफ वर्तमान विधायक सह पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा शहरी इलाके में टैंकर से गली मोहल्लों में जलापूर्ति करने में जुटे हैं. दूसरी ओर सत्ता पक्ष का कहना है कि जब वर्तमान विधायक मंत्री थे तो पेयजल की समस्या का स्थायी समाधान नहीं ढूंढा और अब गली-गली टैंकर से लोगों को पानी पिलाने में जुटे हैं.
पेयजल को लेकर पक्ष विपक्ष आमने सामने
वहीं, लोगों का कहना है कि यह जनता को भ्रम में रखने का जरिया बन गया है. सांसद प्रतिनिधि मनोज कुमार ने भी पूर्व मंत्री सह खूंटी विधायक को शहरी जलापूर्ति योजना पूर्ण नहीं होने पर जिम्मेदार माना है. जबकि विधायक प्रतिनिधि काशीनाथ महतो ने झारखंड सरकार को लापरवाह बताया. वहीं झामुमो के जिलाध्यक्ष जुबेर अहमद ने सीधे पूर्व की रघुवर सरकार को जिम्मेदार माना.
इसे भी पढ़ें- खूंटीः तजना बीयर में पानी खत्म, 1200 घरों में जलापूर्ति ठप
पानी को लेकर घमासान
शहरी जलापूर्ति योजना विगत 2 वर्षों से बन रही है, जो कोरोना काल की भेंट चढ़ गई. 2018 से निर्माणाधीन शहरी जलापूर्ति योजना कब तक पूर्ण होगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन खूंटी में पानी को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने हो गए हैं. पानी को लेकर खूंटी में राजनीति इन दिनों गर्म है.
शहर के गली मोहल्लों में पानी की व्यवस्था को लेकर सत्ता पक्ष व विपक्ष में घमासान है. पानी पर राजनीति करने से यदि खूंटी की जनता को स्थायी पेयजलापूर्ति का लाभ मिलता है तो राजनीति अच्छी है लेकिन पानी पर राजनीति करते-करते जनता को पानी ही न मिले, सिर्फ कागजों पर जलापूर्ति योजना पूर्ण ही जाए तो यह खूंटी के लिए विडंबना ही मानी जाएगी.
शहरवासी झेल रहे पानी की किल्लत
तजना बीयर पर पिछले पांच दिनों से 20 साल पुराने गाद को हटाने के लिए पूरा प्रशासनिक तंत्र लगा है. लाखों करोड़ों की राशि खर्च कर पानी जुटाने की जद्दोजहद की जा रही. ऐसे में पानी के लिए राजनीति सिर्फ राजनीति न बन जाए ये तो गलत बात है. तजना बीयर से लेकर फिल्टर प्लांट तक सफाई की जा रही है.
फिल्टर प्लांट में वर्षों से जमे गाद को हटाने के लिए नगर पंचायत दिन रात सफाई करने में जुटा है. शहरी जलापूर्ति योजना न बनने से शहरवासी पानी की किल्लत झेल रहे है. शहरी जलापूर्ति योजना को पूर्ण करवाने में न ही जिला प्रशासन को कोई दिलचस्पी है और न ही जिले के माननीयों को. अगर थोड़ा भी प्रयास किया होते तो शायद शहरी जलापूर्ति योजना बनकर तैयार हो जाती.