ETV Bharat / state

मां नकटी देवी की कृपा से खूंटी में बनते हैं सांसद और विधायक, माता के दरबार से कोई नहीं लौटता खाली हाथ!

खूंटी में मां नकटी देवी का मंदिर लोगों के लिए आस्था का केंद्र है. ऐसी मान्यता है कि माता की कृपा से ही खूंटी में सांसद और विधायक बनते हैं. हर किसी की मनोकामना पूर्ण करने वाली मां नकटी देवी की महिमा जानिए, ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से. Significance of Maa Nakti Devi temple in Khunti.

Maa Nakti Devi temple center of faith for people in Khunti
खूंटी में मां नकटी देवी का मंदिर
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 12, 2023, 7:37 PM IST

खूंटी में मां नकटी देवी मंदिर की जानकारी देते संवाददाता सोनू अंसारी

खूंटीः मां नकटी देवी सबकी मुरादों को पूरी करती हैं. यही नहीं जिले में विधायक और सांसद भी माता की कृपा से बनते हैं. मां नकटी देवी से श्रद्धालुओं को उम्मीदें रहती हैं कि यहां उनकी मनोकामना पूरी होंगी. इसी उम्मीद से झारखंड सहित पड़ोसी राज्य के हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.

इसे भी पढ़ें- लोगों के आस्था का केंद्र है खूंटी का सोनमेर मंदिर, जानिए कैसी है माता की महिमा

खूंटी के तोरपा प्रखंड में जरिया पंचायत के सोनपुरगढ़ गांव में मां नकटी देवी का मंदिर स्थित है. यह मंदिर तोरपा मुरहू पथ के अलावा खूंटी भाया मुरहु और मुरहु भाया तोरपा पथ के किनारे अवस्थित है. यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. चैत्र और शारदीय नवरात्र के दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. नवरात्र में सोनपुरगढ़ स्थित माता नकटी देवी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के मौके माता नकटी देवी मंदिर में मांगी गई सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. प्रसिद्ध सोनपुरगढ़ स्थित माता नकटी देवी माता का जो भी भक्त सच्चे मन से आराधना करते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती हैं. लोगों का ऐसा विश्वास है कि माता के दरबार में जिसने भी हाजिरी लगाई उन्हें मां ने कभी निराश नहीं किया.

माता को क्यों कहा जाता है नकटी देवीः मंदिर के पुजारी पंडित सुधीर मिश्रा बताते हैं कि इस स्थान पर विराजमान अष्टभुजी मां की नाक कटी हुई है. इस कारण से माता को नकटी देवी कहा जाता है. पहले सोनपुरगढ़ राजा का गढ़ हुआ करता था, यहां के राजा इस मंदिर के माता को अपना कुलदेवी मानते थे और सेवा कर पूजा-अर्चना करते थे. इसी बीच राजा के पुत्र की हत्या इसी मंदिर के पास हो गई तब राजा माता के दरबार में आकर पूजा की और पुत्र को जीवित करने की प्रार्थना माता से की लेकिन राजा का बेटा जीवित नहीं हुआ. इससे क्रोधित होकर राजा अपने परिजनों को लेकर किसी दूसरे स्थान पर चले गए. इसके बाद से इस मंदिर में पूजा-अर्चना भी बंद हो गई. काफी समय बीतने के बाद गांव में महामारी व कई तरह की बीमारियां फैल गईं. किसी ने सुझाव दिया कि मंदिर में पूजा नहीं होने के कारण गांव में इस तरह की महामारी फैल रही है. आखिर में एक पुरोहित को बुलाकर मंदिर में पूजा-अर्चना कराई गई. इसके बाद ही सभी बीमारियां खत्म हो गईं और तब से माता के प्रति लोगों की आस्था बढ़ गयी.

मंदिर के पुजारियों ने बताया कि यहां पर राजनेताओं की मन्नतें भी पूरी होती हैं, जिस कारण खूंटी के जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं. केंद्रीय मंत्री भी चुनाव से समय यहां आकर माता से मन्नत मांगी और वो आज केंद्रीय मंत्री बनें. स्थनीय लोगों ने बताया कि इससे पूर्व कड़िया मुंडा लगातार मां नकटी देवी के दरबार में हाजिरी लगाने आते थे. स्थानीय विधायक कोचे मुंडा के अलावा खूंटी विधायक लगातार माता रानी के यहां माथा टेकने जरूर आते हैं.

मां नकटी देवी के मंदिर का इतिहासः जानकारों की मानें तो सोनपुरगढ़ स्थित मां नकटी देवी के इस मंदिर के निर्माण को लेकर कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है. मंदिर कब बना और किसने इसका निर्माण कराया, इसको लेकर शिलालेख या कोई कागजात नहीं है. इस कारण मंदिर के निर्माण की सही तिथि और निर्माता के बारे में प्रमाणिक जानकारी नहीं मिली है. विशिष्ट स्थापत्य और शैलीगत विशेषताओं के कारण मंदिर का निर्माण आदिकाल के शासकों द्वारा कराए जाने का अनुमान लगाया जाता रहा है.

राज परिवार से मंदिर का संबंधः इस मंदिर का सीधा संबंध जरियागढ़ के राज परिवार से है. इस बारे में जरियागढ़ के राजपुरोहित व मंदिर के पुजारी सुधीर मिश्रा ने बताया कि मंदिर 1664 ईसा पूर्व की है. जहां पहले राजा का गढ़ हुआ करता था. जब राजा के पुत्र की हत्या हुई थी उस वक्त राजा ठाकुर गोविंद नाथ शाहदेव का शासन था. उस घटना के बाद राजा अपने परिजनों को लेकर दूसरे स्थान पर चले गए. जहां राजा ने अपना डेरा डाला था, उस स्थान का नाम गोविंदपुर है और गोविंदपुर कर्रा प्रखंड में है.

खूंटी में मां नकटी देवी मंदिर की जानकारी देते संवाददाता सोनू अंसारी

खूंटीः मां नकटी देवी सबकी मुरादों को पूरी करती हैं. यही नहीं जिले में विधायक और सांसद भी माता की कृपा से बनते हैं. मां नकटी देवी से श्रद्धालुओं को उम्मीदें रहती हैं कि यहां उनकी मनोकामना पूरी होंगी. इसी उम्मीद से झारखंड सहित पड़ोसी राज्य के हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.

इसे भी पढ़ें- लोगों के आस्था का केंद्र है खूंटी का सोनमेर मंदिर, जानिए कैसी है माता की महिमा

खूंटी के तोरपा प्रखंड में जरिया पंचायत के सोनपुरगढ़ गांव में मां नकटी देवी का मंदिर स्थित है. यह मंदिर तोरपा मुरहू पथ के अलावा खूंटी भाया मुरहु और मुरहु भाया तोरपा पथ के किनारे अवस्थित है. यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. चैत्र और शारदीय नवरात्र के दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. नवरात्र में सोनपुरगढ़ स्थित माता नकटी देवी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के मौके माता नकटी देवी मंदिर में मांगी गई सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. प्रसिद्ध सोनपुरगढ़ स्थित माता नकटी देवी माता का जो भी भक्त सच्चे मन से आराधना करते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती हैं. लोगों का ऐसा विश्वास है कि माता के दरबार में जिसने भी हाजिरी लगाई उन्हें मां ने कभी निराश नहीं किया.

माता को क्यों कहा जाता है नकटी देवीः मंदिर के पुजारी पंडित सुधीर मिश्रा बताते हैं कि इस स्थान पर विराजमान अष्टभुजी मां की नाक कटी हुई है. इस कारण से माता को नकटी देवी कहा जाता है. पहले सोनपुरगढ़ राजा का गढ़ हुआ करता था, यहां के राजा इस मंदिर के माता को अपना कुलदेवी मानते थे और सेवा कर पूजा-अर्चना करते थे. इसी बीच राजा के पुत्र की हत्या इसी मंदिर के पास हो गई तब राजा माता के दरबार में आकर पूजा की और पुत्र को जीवित करने की प्रार्थना माता से की लेकिन राजा का बेटा जीवित नहीं हुआ. इससे क्रोधित होकर राजा अपने परिजनों को लेकर किसी दूसरे स्थान पर चले गए. इसके बाद से इस मंदिर में पूजा-अर्चना भी बंद हो गई. काफी समय बीतने के बाद गांव में महामारी व कई तरह की बीमारियां फैल गईं. किसी ने सुझाव दिया कि मंदिर में पूजा नहीं होने के कारण गांव में इस तरह की महामारी फैल रही है. आखिर में एक पुरोहित को बुलाकर मंदिर में पूजा-अर्चना कराई गई. इसके बाद ही सभी बीमारियां खत्म हो गईं और तब से माता के प्रति लोगों की आस्था बढ़ गयी.

मंदिर के पुजारियों ने बताया कि यहां पर राजनेताओं की मन्नतें भी पूरी होती हैं, जिस कारण खूंटी के जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं. केंद्रीय मंत्री भी चुनाव से समय यहां आकर माता से मन्नत मांगी और वो आज केंद्रीय मंत्री बनें. स्थनीय लोगों ने बताया कि इससे पूर्व कड़िया मुंडा लगातार मां नकटी देवी के दरबार में हाजिरी लगाने आते थे. स्थानीय विधायक कोचे मुंडा के अलावा खूंटी विधायक लगातार माता रानी के यहां माथा टेकने जरूर आते हैं.

मां नकटी देवी के मंदिर का इतिहासः जानकारों की मानें तो सोनपुरगढ़ स्थित मां नकटी देवी के इस मंदिर के निर्माण को लेकर कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है. मंदिर कब बना और किसने इसका निर्माण कराया, इसको लेकर शिलालेख या कोई कागजात नहीं है. इस कारण मंदिर के निर्माण की सही तिथि और निर्माता के बारे में प्रमाणिक जानकारी नहीं मिली है. विशिष्ट स्थापत्य और शैलीगत विशेषताओं के कारण मंदिर का निर्माण आदिकाल के शासकों द्वारा कराए जाने का अनुमान लगाया जाता रहा है.

राज परिवार से मंदिर का संबंधः इस मंदिर का सीधा संबंध जरियागढ़ के राज परिवार से है. इस बारे में जरियागढ़ के राजपुरोहित व मंदिर के पुजारी सुधीर मिश्रा ने बताया कि मंदिर 1664 ईसा पूर्व की है. जहां पहले राजा का गढ़ हुआ करता था. जब राजा के पुत्र की हत्या हुई थी उस वक्त राजा ठाकुर गोविंद नाथ शाहदेव का शासन था. उस घटना के बाद राजा अपने परिजनों को लेकर दूसरे स्थान पर चले गए. जहां राजा ने अपना डेरा डाला था, उस स्थान का नाम गोविंदपुर है और गोविंदपुर कर्रा प्रखंड में है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.