खूंटी: अफीम की खेती के विकल्प को लेकर जिला प्रशासन ग्रामीणों के बीच लेमन ग्रास की खेती करने को लेकर जागरूक कर रही है, लेकिन पूर्व से लेमन ग्रास की खेती करने वाले अपने को ठगे महसूस कर रहे हैं. खेती से पहले किसानों को कई प्रकार के सब्जबाग दिखाए गये थे. किसानों ने भरपूर खेती भी की पर लेमन ग्रास की तेल की बिक्री के लिए मार्केटिंग पॉलिसी नहीं बनने के कारण किसान मायूस नजर आ रहे हैं. इस वर्ष भी जिले में एक सौ एकड़ भूमि में लेमन ग्रास की खेती करने की योजना बनाई गई है.
खूंटी में एक आसवन केंद्र
इस बार खूंटी में बड़े पैमाने पर लेमन ग्रास की खेती होगी, लेकिन तेल निकालने का जिला में मात्र एक ही आसवन केंद्र है. जिसकी क्षमता एक दिन में मात्र पांच सौ किलोग्राम है. आसवन केंद्र की क्षमता कम होने के कारण ससमय तेल नहीं निकल पा रहा है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. आसवन केंद्र में पुल्ली नहीं लगा है, जिसके कारण दिन में सिर्फ एक ही बार तेल निकल पाता है.
कई महीनों से बंद पड़ा आसवन केंद्र
अनिगड़ा स्थित लेमनग्रास आसवन केंद्र की स्थापना 30 अप्रैल 2018 को काफी तामझाम के साथ की गई थी. लेमन ग्रास की खेती और आसवन केंद्र के लिए सरकार द्वारा 15 लाख रुपए भी आवंटित किए गए थे. उद्घाटन के अवसर पर किसानों को बाजार उपलब्ध कराने का वायदा भी किया गया था, लेकिन 2 साल से अधिक बीत जाने के बावजूद अब तक लेमन ग्रास तेल की मार्केटिंग की व्यवस्था नहीं की गई है. जिला प्रशासन की असहयोगात्मक नीति से किसान परेशान हैं. पिछले कई महीनों से लेमन ग्रास आसवन केंद्र भी बंद पड़ा है.
लेमन ग्रास तेल के मार्केटिंग की व्यवस्था नहीं
ग्रामीण सेवा केंद्र अलीगढ़ की ललिता देवी ने बताया कि 30 अप्रैल 2018 से अब तक लगभग 180 लीटर लेमन ग्रास तेल निकाला गया है, लेकिन जिला प्रशासन के स्तर से इसकी मार्केटिंग की व्यवस्था नहीं की गई है, जिसके कारण समिति को लेमन ग्रास से लाभ नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में समिति द्वारा लेमन ग्रास तेल निकाला गया है, लेकिन जिला प्रशासन के स्तर से इसकी मार्केटिंग की व्यवस्था नहीं की गई है. इसके कारण समिति को लेमन ग्रास से लाभ नहीं हो पा रहा है.
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केवल प्रोडक्शन पर दिया जा रहा ध्यान
पूर्व सांसद कड़िया मुंडा ने कहा कि वैकल्पिक खेती के रूप में लेमन ग्रास की खेती अच्छी साबित हो सकती है, लेकिन सिर्फ प्रोडक्शन पर ध्यान दिया जा रहा है. मार्केटिंग की व्यवस्था जब तक नहीं होगी तब तक कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती. सरकार योजनाएं ग्रामीणों को लाभ पहुंचाने के लिए लाती है, लेकिन प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं लेती, जिसके कारण लोगों को लाभ नहीं मिल पाता.
इधर, विभागीय अधिकारी (डीपीएम, जेएसएलपीएस) भी मानते हैं कि जिले में मार्केटिंग नहीं होने से इसका लाभ नहीं मिलता है, लेकिन उन्होंने कहा कि जल्द ही जिले में मार्केटिंग की व्यवस्था की जाएगी और इससे जुड़े लोगों को लाभ मिलने लगेगा.