खूंटी: 3 जनवरी 1903 जिले के टकरा गांव में जन्मे मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की आज जयंती है. इस मौके पर टकरा में जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और स्थानीय विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने उनके समाधिस्थल पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनको श्रद्धांजलि दी. जयपाल सिंह मुंडा की जयंती के मौके पर हॉकी मैच की शुरुआत और कई योजनाओं का शिलान्यास भी किया गया.
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क्या बोले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा
मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की 119 वीं जयंती पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने जयपाल सिंह मुंडा को स्मरण करते हुए कहा कि कोई समाज तभी विकास कर सकता है जब वह अपने अतीत को याद रखता है. उन्होंने कहा कि आजादी के पहले और आजादी के बाद हमारे कई जनजातीय नेताओं ने हमारे समाज के लिए चिंतन किया. उन्होंने कहा आज हम खूंटी के बहुमुखी प्रतिभा के धनी मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की जयंती पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
गुमनाम शहीदों पर शोध की जरूरत
अर्जुन मुंडा ने कहा कि आज इस बात की जरूरत है कि हमारे युवा आगे बढ़े और जनजातीय मंत्रालय के सहयोग से गुमनाम शहीदों पर शोध करें. ताकि उन्हें भी याद किया जा सके और सम्मान दिया जा सके. केंद्रीय मंत्री ने कहा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है. यह हमारे देश के साढ़े 10 करोड़ जनजातीय समाज के लिए बहुत बड़ा सम्मान है. कार्यक्रम में शामिल विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने भी जयपाल सिंह मुंडा को याद किया और कहा कि अलग झारखंड प्रांत उनके ही दूरदर्शिता का परिचायक है.
आदिवासियों की आवाज जयपाल सिंह मुंडा के गांव को आदर्श नहीं बना सकी सरकार, केंद्रीय मंत्री ने हेमंत सरकार पर फोड़ा ठीकरा
खूंटीः आदिवासियों की आवाज, हॉकी खिलाड़ी जयपाल सिंह मुंडा के गांव टकरा को राज्य सरकार आदर्श नहीं बना सकीं. ऐसा नहीं है कि योजनाएं नहीं बनीं, योजनाएं बनीं वाहवाही लूटी गई फिर वैसे ही अगले साल तक के लिए भुला दिया गया, जैसे झारखंड की माटी के इस सपूत को. तीन जनवरी को जयपाल सिंह मुंडा की जयंती पर केंद्रीय मंत्री ने इसके लिए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर ठीकरा फोड़ा. केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि जयपाल सिंह मुंडा के गांव को आदर्श बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार उचित सहयोग नहीं दे रही है. केंद्र की दो योजनाओं के प्राक्कलन को राज्य स्तर के अधिकारी अभी तक तकनीकी स्वीकृति तक नहीं दे पाए हैं. स्वीकृति मिलते ही इस पर काम आगे बढ़ा दिया जाएगा.
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बता दें कि झारखंड की पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के दौरान केंद्र सरकार की ओर से मरांग गोमके जयपाल सिंह मुण्डा के गांव को आदर्श गांव बनाने की योजना बनाई गई थी. लेकिन रघुवर सरकार की विदाई के बाद टकरा को आदर्श गांव के रूप में विकसित करने की योजना पटरी से उतर गई. इसको लेकर सोमवार को केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर जमकर निशाना साधा. केंद्रीय मंत्री ने खूंटी में प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि कुछ योजनाएं जिनका पिछले वर्ष शिलान्यास किया गया था, उनमें से कुछ योजनाएं पूर्ण हो गईं लेकिन अब भी दो योजनाओं को पूरा नहीं किया जा सका है.
प्राक्कलन को राज्य सरकार को स्वीकृति देना हैः अर्जुन मुंडा
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि कई योजनाओं का प्राक्कलन तैयार कर लिया गया है, उसके प्राक्कलन की तकनीकी स्वीकृति राज्य सरकार को देना है, लेकिन उसे इसके लिए अभी फुर्सत नहीं मिली है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि इस मसले पर राज्य सरकार से विमर्श कर तकनीकी स्वीकृति दिलाई जाएगी और योजनाएं पूरी की जाएंगी. उन्होंने कहा कि शहीदों के गांवों को आदर्श गांव के रूप में चिन्हित कर विकास की योजनाओं को धरातल पर लाने की कवायद की जा रही है.
2021 की नई योजनाएं शुरू तक नहीं हो सकीं
इसके अलावा 3 जनवरी 2021 को भी टकरा में कई नई योजनाओं का शिलान्यास किया गया था, जिसमें से कई योजनाएं शुरू तक नहीं हो सकीं. इस मामले पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि पहले क्या हुआ, 70 सालों में क्या हुआ वो नहीं जानना, अब क्या हो रहा है वो देखें. वहीं स्थानीय विधायक नीलकंठ सिंह मुण्डा ने कहा कि 70 साल से टकरा गांव की तस्वीर नहीं बदली थी लेकिन राज्य गठन के बाद गांव में पेयजल सुविधा, सड़क और पुस्तकालय बनाया गया है. गांव में और विकास कार्य कराने की जरूरत है, धीरे धीरे कार्य मे तेजी आएगी और गांव का विकास होगा.
कौन हैं जयपाल सिंह मुंडा
जयपाल सिंह मुंडा भारतीय हॉकी टीम में बतौर मिड फिल्डर खेलते थे. 1928 एम्सटर्डम ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली हॉकी टीम के भी ये सदस्य थे. इनका जन्म तीन जनवरी 1903 को रांची के टकरा पाहनटोली गांव में हुआ था. बाद में इन्होंने राजनीति में भी अपनी भूमिका निभाई और बिहार राज्य से अलग झारखंड बनाने के लिए हुए झारखंड आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की.20 मार्च 1970 को 67 साल की उम्र में इनका निधन हो गया.