ETV Bharat / state

अलविदा 2022: 'उलुंग' जाकर साल 2023 को बना सकते हैं यादगार, पहाड़ियों के बीच बहती नदी मोह लेगी मन - नए साल का स्वागत

नए साल के स्वागत के लिए पहले दिन लोग घूमने के लिए निकलते हैं. कई लोग ऐसी जगह जाना पसंद करते हैं जहां प्रकृति ने अपना जादू बिखेरा हो. कुछ ऐसी ही जगह है रांची से करीब 65 किलोमीटर दूर खूंटी का उलुंग गांव (Khunti Ulung Village). यहां की खूबसूरती आपको स्वीटजरलैंड से कम नहीं लगेगी.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Dec 30, 2022, 4:25 PM IST

Updated : Dec 30, 2022, 5:12 PM IST

देखें वीडियो

रांची/खूंटी: साल 2022 का सफर अंतिम पड़ाव पर है. दूसरी तरफ साल 2023 उम्मीदों और खुशियों की नई किरण बिखेरने की तैयारी में है. अगर आप इस पल को यादगार बनाना चाहते हैं तो एक बार उलुंग जरूर हो आएं. खूंटी का एक छोटा सा गांव है उलुंग (Khunti Ulung Village) जो आपको रूपहले पर्दे पर दिखने वाले स्वीटजरलैंड की अनुभूति कराएगा.

ये भी पढ़ें: Year Ender 2022: शाहरुख से आमिर तक सोशल मीडिया यूजर्स के हत्थे चढ़े ये स्टार्स, ये रही वजह

राजधानी रांची के पास खूंटी जिले के इस गांव पर प्रकृति ने असीम कृपा बरसाई है. चारों तरफ पहाड़ियों से घिरे मुंडा आदिवासी बहुल गांव के एक छोर पर कोयल नदी गुजरती मिलेगी. चट्टानों पर पानी के धार की चित्रकारी, पाउडर की तरह रेत और कल-कल बहते पानी के नीचे चमकते पत्थर मन मोह लेंगे. यहां पहुंचने के लिए एक एडवेंचरस सफर तय करना पड़ेगा. रांची से इस जगह की दूरी करीब 65 किलोमीटर है.

Khunti Ulung Village
खूंटी का उलुंग गांव

खूंटी जिला के तोरपा अनुमंडल में चाईबासा के मनोहरपुर की तरफ जाने वाले रास्ते में दाहिनी ओर एक सड़क जुड़ती है जो जंगलों के बीच से होते हुए आपको उलुंग गांव ले जाएगी. पिछले दिनों राज्यपाल रमेश बैस इस जगह पर गये थे. वहां की खासियत को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम जब उलुंग पहुंची तो वहां की खूबसूरती देखकर अवाक रह गई. खूबसूरती ऐसी कि शब्दों में बयां करना मुश्किल है. गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क है. लेकिन गांव से नदी के मुहाने तक पहुंचे के लिए कच्चे रास्ते से गुजरना पड़ता है.

Khunti Ulung Village
खूंटी का उलुंग गांव

आपको जानकर हैरानी होगी कि गांव के घरों की घेराबंदी में मिट्टी या पत्थर का नहीं बल्कि सखुआ यानी साल के बोटे का इस्तेमाल किया हुआ मिलेगा. जंगल और पहाड़ से लगे नदी तट के आसपास के क्षेत्र को आने-जाने के लिए सुगम बनाने की कवायद चल रही है. आसपास के गांव के नौजवान पत्थरों को हटाते नजर आए. कैमरे पर बात करने में संकोच की लेकिन ऑफ कैमरा बताया कि पिछले दिनों रांची से महामहिम आए थे. उनके आने से अब हमारे गांव को लोग जानने लगे हैं, उन्हें उम्मीद है कि अब बड़ी संख्या में पर्यटक आएंगे. उन्हें कोई दिक्कत न हो, इसलिए रास्ते से पत्थरों को हटा रहे हैं. उलुंग गांव के आसपास लोआ खेरोगड़ा, पेसाम, समारलेटा, पुरनापानी, बोंगतेल और रनिया गांव है. यह इलाका कभी माओवादियों का गढ़ कहा जाता था. बाद में पीएलएफआई ने यहां अपना डेरा जमाया लेकिन पुलिस और सीआरपीएएप के ऑपरेशन की वजह से नक्सली भाग चुके हैं. यहां अब शांति है और सुकून है. बस इंतजार है तो पर्यटकों का.

देखें वीडियो

रांची/खूंटी: साल 2022 का सफर अंतिम पड़ाव पर है. दूसरी तरफ साल 2023 उम्मीदों और खुशियों की नई किरण बिखेरने की तैयारी में है. अगर आप इस पल को यादगार बनाना चाहते हैं तो एक बार उलुंग जरूर हो आएं. खूंटी का एक छोटा सा गांव है उलुंग (Khunti Ulung Village) जो आपको रूपहले पर्दे पर दिखने वाले स्वीटजरलैंड की अनुभूति कराएगा.

ये भी पढ़ें: Year Ender 2022: शाहरुख से आमिर तक सोशल मीडिया यूजर्स के हत्थे चढ़े ये स्टार्स, ये रही वजह

राजधानी रांची के पास खूंटी जिले के इस गांव पर प्रकृति ने असीम कृपा बरसाई है. चारों तरफ पहाड़ियों से घिरे मुंडा आदिवासी बहुल गांव के एक छोर पर कोयल नदी गुजरती मिलेगी. चट्टानों पर पानी के धार की चित्रकारी, पाउडर की तरह रेत और कल-कल बहते पानी के नीचे चमकते पत्थर मन मोह लेंगे. यहां पहुंचने के लिए एक एडवेंचरस सफर तय करना पड़ेगा. रांची से इस जगह की दूरी करीब 65 किलोमीटर है.

Khunti Ulung Village
खूंटी का उलुंग गांव

खूंटी जिला के तोरपा अनुमंडल में चाईबासा के मनोहरपुर की तरफ जाने वाले रास्ते में दाहिनी ओर एक सड़क जुड़ती है जो जंगलों के बीच से होते हुए आपको उलुंग गांव ले जाएगी. पिछले दिनों राज्यपाल रमेश बैस इस जगह पर गये थे. वहां की खासियत को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम जब उलुंग पहुंची तो वहां की खूबसूरती देखकर अवाक रह गई. खूबसूरती ऐसी कि शब्दों में बयां करना मुश्किल है. गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क है. लेकिन गांव से नदी के मुहाने तक पहुंचे के लिए कच्चे रास्ते से गुजरना पड़ता है.

Khunti Ulung Village
खूंटी का उलुंग गांव

आपको जानकर हैरानी होगी कि गांव के घरों की घेराबंदी में मिट्टी या पत्थर का नहीं बल्कि सखुआ यानी साल के बोटे का इस्तेमाल किया हुआ मिलेगा. जंगल और पहाड़ से लगे नदी तट के आसपास के क्षेत्र को आने-जाने के लिए सुगम बनाने की कवायद चल रही है. आसपास के गांव के नौजवान पत्थरों को हटाते नजर आए. कैमरे पर बात करने में संकोच की लेकिन ऑफ कैमरा बताया कि पिछले दिनों रांची से महामहिम आए थे. उनके आने से अब हमारे गांव को लोग जानने लगे हैं, उन्हें उम्मीद है कि अब बड़ी संख्या में पर्यटक आएंगे. उन्हें कोई दिक्कत न हो, इसलिए रास्ते से पत्थरों को हटा रहे हैं. उलुंग गांव के आसपास लोआ खेरोगड़ा, पेसाम, समारलेटा, पुरनापानी, बोंगतेल और रनिया गांव है. यह इलाका कभी माओवादियों का गढ़ कहा जाता था. बाद में पीएलएफआई ने यहां अपना डेरा जमाया लेकिन पुलिस और सीआरपीएएप के ऑपरेशन की वजह से नक्सली भाग चुके हैं. यहां अब शांति है और सुकून है. बस इंतजार है तो पर्यटकों का.

Last Updated : Dec 30, 2022, 5:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.