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खूंटीः दुष्कर्म पीड़िता के परिवार का साथ अभद्र व्यवहार करने वाला तोरपा थानेदार सस्पेंड

खूंटी में 5 साल की नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के परिवार के साथ अभद्र व्यवहार करने पर एसपी ने थाना प्रभारी को सस्पेंड कर दिया. मामले को लेकर बाल कल्याण समिति ने भी थाना प्रभारी पर कई आरोप लगाए हैं. थानेदार को सस्पेंड करने के बाद मामले की जांच मुख्यालय डीएसपी जयदीप लकड़ा को सौंप दी गई है.

Khunti Torpa Police station in-charge suspended
Khunti Torpa Police station in-charge suspended
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Published : May 2, 2022, 8:52 AM IST

Updated : May 2, 2022, 11:35 AM IST

खूंटी: पांच साल की नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के परिवार के साथ गाली-गलौज के साथ बदसलूकी करने वाले थानेदार को एसपी ने सस्पेंड कर दिया है. दरअसल, पांच साल की नाबालिग बच्ची दर्द से कराहती हुई तोरपा थाना पहुंची लेकिन उसे न तो इलाज के लिए भेज गया और न ही एफआईआर दर्ज की गई. ढ़ाई घंटे बाद थानेदार ने पीड़िता की सुध ली, लेकिन इलाज नहीं करवाया बल्कि मेडिकल करवाना बेहतर समझा. ईटीवी भारत ने बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म की घटना और थाना प्रभारी के दुर्व्यवहार को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. ईटीवी भारत पर लगी खबर पर तोरपा थाना प्रभारी ने सवाल उठाए थे, लेकिन ईटीवी की खबर सही साबित हुई और मामले पर एसपी ने संज्ञान लेते हुए थाना प्रभारी मुन्ना सिंह को सस्पेंड कर दिया.

इसे भी पढ़ें: सीडब्ल्यूसी का खूंटी पुलिस पर गंभीर आरोप-पांच साल की मासूम रेप के बाद कराहती रही, पुलिस ने इलाज के बजाय मेडिकल पर किया फोकस


डीएसपी को सौंपा गया केस: मामले में नाबालिग पीड़िता की मां ने थाना प्रभारी मुन्ना कुमार सिंह के खिलाफ एसपी अमन कुमार को ज्ञापन सौंपा. जिसके बाद एसपी ने उन्हें तत्काल सस्पेंड कर दिया. इससे पहले भी तोरपा थाना प्रभारी के ऊपर जिला बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष तनुश्री सरदार के ने जानकारी ना देने और फोन काटने और फोन रिसीव ना करने का आरोप लगाया था. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी अमन कुमार ने तत्काल मुन्ना कुमार सिंह को उनके पद से सस्पेंड कर दिया है और जांच में किसी प्रकार का संशय ना रहे इसलिए मामले को मुख्यालय डीएसपी जयदीप लकड़ा को सौंप दिया है.

क्या है मामला: 23 अप्रैल 2022 को दोपहर लगभग 02.00 बजे 5 साल की बच्ची पड़ोस के दुकान में फ्रूटी लेने गई थी. उस समय दुकान में लगभग 12-13 साल का बच्चा था, जिसने नाबालिग को अंदर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया. पीड़िता की मां ने शिकायत में बताया था कि थोड़ी देर बाद बच्ची रोती हुई घर आई और जोर से रोने लगी. उससे रोने का कारण पूछने पर बच्ची ने दुकान में हुई घटना को बारे में बताया. उस समय उनकी बच्ची दर्द से कराह रही थी, तब महिला अपने पति, सास और कुछ अन्य लोगों के साथ बच्ची को लेकर करीब 02.30 बजे तोरपा थाना गई और तोरपा थाना प्रभारी मुन्ना कुमार सिंह से मिलकर उनको घटना की जानकारी दी लेकिन थाना प्रभारी जोर-जोर से उनलोगों पर चिल्लाने लगे और और गाली-गलौज के साथ कहने लगे- "फालतू-फालतू केस थाना में लेकर आती हो, तुमलोग थाना में ड्रामा करने आते हो, जाओ भागो यहां से" लेकिन, वे लोग करीब 2 घंटे तक थाना में ही रहे. इस बीच उनकी नाबालिग बच्ची दर्द से रोने और चिल्लाने लगी लेकिन इनकी बच्ची को कोई देखने वाला कोई नहीं आया और न ही तुरंत इलाज का भी प्रबंध किया गया.

एसपी क्या कहते हैं: एसपी अमन कुमार ने कहा कि एक बच्ची के साथ ऐसी घृणित घटना घटित होना और इसकी शिकायत लेकर थाना लाने से इस तरह का दुर्व्यवहार करना काफी निंदनीय है. उन्होंने कहा इससे पहले सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष तनुश्री सरदार ने ईटीवी भारत (मीडिया) के समक्ष तोरपा थाना प्रभारी मुन्ना कुमार सिंह पर आरोप लगाया था कि शनिवार 23.04.2022 को एक पांच साल की मासूम बच्ची से 12 साल के नाबालिग ने एक दुकान में दुष्कर्म किया था. सीडब्ल्यूसी के इस बारे में पूछने पर थाना प्रभारी ने उन्हें इग्नोर करते हुए बात करने से मना कर दिया. बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष ने कहा कि पोक्सो एक्ट एवं माननीय न्यायालय के अनुसार दुष्कर्म की घटना को साबित करने के लिए सभी मामलों में मेडिकल जांच कराया जाना आवश्यक नहीं है लेकिन, तोरपा पुलिस ने बच्ची का मेडिकल करवाने पर ध्यान दिया. बच्ची के हेल्थ पर ध्यान नहीं दिया गया. थानेदार के खिलाफ इस तरह के शिकायत पर एसपी ने तोरपा थाना प्रभारी मुन्ना कुमार सिंह तोरपा को सस्पेंड कर दिया. निलंबन अवधि में इन्हें जीवन यापन भत्ता देय होगा और इनका मुख्यालय पुलिस केंद्र खूंटी रहेगा.

बाल कल्याण समिति का आरोप: सीडब्ल्यूसी (Child Welfare Committee CWC) की ओर से कहा गया कि पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक संबंधित थाने में मामला पहुंचते ही बाल कल्याण समिति के समक्ष पीड़िता को संबंधियों के साथ प्रस्तुत किया जाना था ताकि, बच्ची के मानसिक स्थिति का आंकलन कर आवश्यक कार्रवाई की जा सके लेकिन, थाना प्रभारी को इस संबंध में बातचीत करने का प्रयास किया गया. सीडब्ल्यूसी का आरोप है कि थाना प्रभारी ने उन्हें बिल्कुल इग्नोर कर दिया, फिर बाद में दूसरे नंबर से करीब 08.00 बजे फोन कर बताया गया कि बच्ची को सीडब्लूसी लाया गया है. ऐसे में सीडब्ल्यूसी ने सवाल उठाया है कि रात 08.00 बजे तोरपा थाने की पुलिस पीड़िता को प्रस्तुत करने के लिए क्यों लाती है. रात को कौन सा सरकारी कार्यालय या कोर्ट खुला रहता है. उन्होंने कहा कि थाना की ओर केवल बच्ची का बयान कराने के लिए लाया गया था बल्कि सीडब्लूसी की ओर रसे बच्ची का शारीरिक एवं मानसिक स्थिति की समीक्षा किया जाता है और उसी के अनुसार कार्य किया जाता है. थाना प्रभारी ने इसमें कोई सहयोग नहीं किया.

खूंटी: पांच साल की नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के परिवार के साथ गाली-गलौज के साथ बदसलूकी करने वाले थानेदार को एसपी ने सस्पेंड कर दिया है. दरअसल, पांच साल की नाबालिग बच्ची दर्द से कराहती हुई तोरपा थाना पहुंची लेकिन उसे न तो इलाज के लिए भेज गया और न ही एफआईआर दर्ज की गई. ढ़ाई घंटे बाद थानेदार ने पीड़िता की सुध ली, लेकिन इलाज नहीं करवाया बल्कि मेडिकल करवाना बेहतर समझा. ईटीवी भारत ने बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म की घटना और थाना प्रभारी के दुर्व्यवहार को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. ईटीवी भारत पर लगी खबर पर तोरपा थाना प्रभारी ने सवाल उठाए थे, लेकिन ईटीवी की खबर सही साबित हुई और मामले पर एसपी ने संज्ञान लेते हुए थाना प्रभारी मुन्ना सिंह को सस्पेंड कर दिया.

इसे भी पढ़ें: सीडब्ल्यूसी का खूंटी पुलिस पर गंभीर आरोप-पांच साल की मासूम रेप के बाद कराहती रही, पुलिस ने इलाज के बजाय मेडिकल पर किया फोकस


डीएसपी को सौंपा गया केस: मामले में नाबालिग पीड़िता की मां ने थाना प्रभारी मुन्ना कुमार सिंह के खिलाफ एसपी अमन कुमार को ज्ञापन सौंपा. जिसके बाद एसपी ने उन्हें तत्काल सस्पेंड कर दिया. इससे पहले भी तोरपा थाना प्रभारी के ऊपर जिला बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष तनुश्री सरदार के ने जानकारी ना देने और फोन काटने और फोन रिसीव ना करने का आरोप लगाया था. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी अमन कुमार ने तत्काल मुन्ना कुमार सिंह को उनके पद से सस्पेंड कर दिया है और जांच में किसी प्रकार का संशय ना रहे इसलिए मामले को मुख्यालय डीएसपी जयदीप लकड़ा को सौंप दिया है.

क्या है मामला: 23 अप्रैल 2022 को दोपहर लगभग 02.00 बजे 5 साल की बच्ची पड़ोस के दुकान में फ्रूटी लेने गई थी. उस समय दुकान में लगभग 12-13 साल का बच्चा था, जिसने नाबालिग को अंदर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया. पीड़िता की मां ने शिकायत में बताया था कि थोड़ी देर बाद बच्ची रोती हुई घर आई और जोर से रोने लगी. उससे रोने का कारण पूछने पर बच्ची ने दुकान में हुई घटना को बारे में बताया. उस समय उनकी बच्ची दर्द से कराह रही थी, तब महिला अपने पति, सास और कुछ अन्य लोगों के साथ बच्ची को लेकर करीब 02.30 बजे तोरपा थाना गई और तोरपा थाना प्रभारी मुन्ना कुमार सिंह से मिलकर उनको घटना की जानकारी दी लेकिन थाना प्रभारी जोर-जोर से उनलोगों पर चिल्लाने लगे और और गाली-गलौज के साथ कहने लगे- "फालतू-फालतू केस थाना में लेकर आती हो, तुमलोग थाना में ड्रामा करने आते हो, जाओ भागो यहां से" लेकिन, वे लोग करीब 2 घंटे तक थाना में ही रहे. इस बीच उनकी नाबालिग बच्ची दर्द से रोने और चिल्लाने लगी लेकिन इनकी बच्ची को कोई देखने वाला कोई नहीं आया और न ही तुरंत इलाज का भी प्रबंध किया गया.

एसपी क्या कहते हैं: एसपी अमन कुमार ने कहा कि एक बच्ची के साथ ऐसी घृणित घटना घटित होना और इसकी शिकायत लेकर थाना लाने से इस तरह का दुर्व्यवहार करना काफी निंदनीय है. उन्होंने कहा इससे पहले सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष तनुश्री सरदार ने ईटीवी भारत (मीडिया) के समक्ष तोरपा थाना प्रभारी मुन्ना कुमार सिंह पर आरोप लगाया था कि शनिवार 23.04.2022 को एक पांच साल की मासूम बच्ची से 12 साल के नाबालिग ने एक दुकान में दुष्कर्म किया था. सीडब्ल्यूसी के इस बारे में पूछने पर थाना प्रभारी ने उन्हें इग्नोर करते हुए बात करने से मना कर दिया. बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष ने कहा कि पोक्सो एक्ट एवं माननीय न्यायालय के अनुसार दुष्कर्म की घटना को साबित करने के लिए सभी मामलों में मेडिकल जांच कराया जाना आवश्यक नहीं है लेकिन, तोरपा पुलिस ने बच्ची का मेडिकल करवाने पर ध्यान दिया. बच्ची के हेल्थ पर ध्यान नहीं दिया गया. थानेदार के खिलाफ इस तरह के शिकायत पर एसपी ने तोरपा थाना प्रभारी मुन्ना कुमार सिंह तोरपा को सस्पेंड कर दिया. निलंबन अवधि में इन्हें जीवन यापन भत्ता देय होगा और इनका मुख्यालय पुलिस केंद्र खूंटी रहेगा.

बाल कल्याण समिति का आरोप: सीडब्ल्यूसी (Child Welfare Committee CWC) की ओर से कहा गया कि पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक संबंधित थाने में मामला पहुंचते ही बाल कल्याण समिति के समक्ष पीड़िता को संबंधियों के साथ प्रस्तुत किया जाना था ताकि, बच्ची के मानसिक स्थिति का आंकलन कर आवश्यक कार्रवाई की जा सके लेकिन, थाना प्रभारी को इस संबंध में बातचीत करने का प्रयास किया गया. सीडब्ल्यूसी का आरोप है कि थाना प्रभारी ने उन्हें बिल्कुल इग्नोर कर दिया, फिर बाद में दूसरे नंबर से करीब 08.00 बजे फोन कर बताया गया कि बच्ची को सीडब्लूसी लाया गया है. ऐसे में सीडब्ल्यूसी ने सवाल उठाया है कि रात 08.00 बजे तोरपा थाने की पुलिस पीड़िता को प्रस्तुत करने के लिए क्यों लाती है. रात को कौन सा सरकारी कार्यालय या कोर्ट खुला रहता है. उन्होंने कहा कि थाना की ओर केवल बच्ची का बयान कराने के लिए लाया गया था बल्कि सीडब्लूसी की ओर रसे बच्ची का शारीरिक एवं मानसिक स्थिति की समीक्षा किया जाता है और उसी के अनुसार कार्य किया जाता है. थाना प्रभारी ने इसमें कोई सहयोग नहीं किया.

Last Updated : May 2, 2022, 11:35 AM IST
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