खूंटी: जिला इन दिनों अफीम और गांजा की खेती को लेकर सुखियों में है. कुछ साल पहले तक सिर्फ खूंटी के अड़की प्रखंड में ही अफीम की खेती होती थी, लेकिन अब इसका दायरा बढ़कर जिले के सभी प्रखंडों तक पहुंच गया है.
धंधेबाज मस्त होकर करते हैं नशे का धंधा
खूंटी जिले के अड़की, मारंगहादा, सायको, तोरपा, खूंटी और मुरहू प्रखंड के पहाड़ी इलाकों में नजर डाले तो हर खेतों में गुलाबी, लाल और सफेद रंग की लहलहाती फुल देख कर लगेगा की कहीं यहां फूलों की घाटी तो नहीं है, लेकिन लोग जानते है कि यह नशे का खेती है, जहां धंधेबाज मस्त होकर नशे का धंधा करते हैं. जानकरों का कहना है कि पहले झारखंड में सिर्फ चतरा जिले में अफीम कि खेती होती थी, लेकिन तस्करों की नजर खूंटी जिले के सीधे-साधे आदिवासीयों पर पड़ गई और इसकी आमदनी को देखकर खूंटी में अफीम खेती शुरू हो गई.
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300 एकड़ में लगी फसल नष्ट
पहली बार 2017 में अफीम की खेती के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई शुरू की थी. इस दौरान पुलिस ने लगभग डेढ़ हजार एकड़ से अधिक खेत में लगी अफीम की खेती को नष्ट किया था. 2018 में 1 हजार 144 एकड़ क्षेत्रफल में लगी फसल नष्ट की गई थी. 2019 में भी 711 एकड़ की अफीम फसल को पुलिस ने नष्ट दिया था, जबकि इस साल अभी तक पुलिस ने लगभग 300 एकड़ में लगी फसल नष्ट कर चुकी है. इसके बाद भी पहाड़ी और जंगली इलाकों में अफीम की खेती की जा रही है, जिसका अनुमान लगा पाना शायद मुमकिन नहीं.
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239 किलो अफीम बरामद
इलाका देखने से लगता है कि यहां अफीम के सिवा कुछ उगता ही नहीं है. इस वजह से अब तक 148 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, साथ ही 239 किलो अफीम बरामद किया जा चुका है. 2017 में 14, 2018 में 40, 2019 में 83 और 2020 के इस डेढ़ महीने में 7 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, साथ ही तस्करों के पास से अब तक 37 लाख 80 हजार रुपये नकद बरामद किये गए हैं. इसके अलावा दर्जनों कार, बाईक, ट्रक, टेम्पो और मोबाइल बरामद किये गए हैं.
इधर, पुलिस कप्तान आशुतोष शेखर ने कहा कि अफीम और गंजा की खेती और कारोबार के खिलाफ पुलिस का अभियान आगे भी जारी रहेगा. उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे नशे कि खेती से दूर रहे. नहीं तो उन्हें जेल जाना पड़ेगा.