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10 जून से 15 अक्टूबर तक बालू उठाव पर रोक, खूंटी में धड़ल्ले से हो रहा अवैध खनन

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली के आदेश के बाद राज्य के सभी बालू घाटों पर खनन और बालू उठाव पर पूर्णतया रोक लगाई गई है. इसके बावजूद खनन माफिया पर कोई असर नहीं हुआ है. खूंटी के रनिया प्रखंड क्षेत्र के सोदे नदी तोरपा प्रखंड क्षेत्र से कारो नदी, अड़की प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कांची नदी का करीब आधा भाग से बालू माफिया बेखौफ होकर दिनदहाड़े बालू का खनन कर रहे हैं.

Illegal mining of sand in khunti
बालू उठाव
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Published : Jun 15, 2020, 1:40 PM IST

खूंटी: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 10 जून से 15 अक्टूबर तक राज्य के सभी नदियों से बालू उठाव पर रोक लगाई है. इसके बावजूद झारखंड के खूंटी जिले में बालू माफियाओं का अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है. इसको लेकर जिला प्रशासन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है.

देखें पूरी खबर

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली के आदेश के बाद राज्य के सभी बालू घाटों पर खनन और बालू उठाव पर पूर्णतया रोक लगाई गई है. इसके बावजूद खनन माफिया पर कोई असर नहीं हुआ है. खूंटी के रनिया प्रखंड क्षेत्र के सोदे नदी तोरपा प्रखंड क्षेत्र से कारो नदी, अड़की प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कांची नदी का करीब आधा भाग से बालू माफिया बेखौफ होकर दिनदहाड़े बालू का खनन कर रहे हैं. इसके साथ ही सरकार और प्रशासन को भी चुनौती दे रहे हैं, लेकिन प्रशासन इनपर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है.

सिर्फ खानापूर्ति कर रहा विभाग

खूंटी में जितने भी बालू घाट है, उसकी बंदोबस्ती नहीं हुई है. बंदोबस्ती के पहले से ही खनन माफिया नदियों से बालू का उठाव करते रहे है और रोक के बाद भी खनन कर रहे हैं. अवैध खनन की शिकायत विभाग के आला अधिकारीयों को भी है, लेकिन खानापूर्ति कर कार्रवाई बंद हो जाती है, जिससे माफियाओं का मनोबल बढ़ा हुआ है. इसका फायदा माफिया उठा रहे हैं. इस तरह के कार्रवाई से विभाग की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता. जिला प्रशासन के कार्रवाई के उस दावे का खंडन करने जब ईटीवी भारत की टीम जब कांची नदी पहुंची तो उस दौरान भी बालू उठाव धड़ल्ले से जारी था. मजदूर ट्रैक्टर पर बालू लोड कर नदी से कुछ ही दूरी पर ले जाकर डंप करते है, जहां से खनन माफिया बालू खपाते हैं.

प्रसाशन पर खड़े हो रहे सवाल

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल हर साल बालू उठाव पर पाबंदियां लगाता है, लेकिन पाबंदियां सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह जाता है. सवाल सरकार या प्रशासन से नहीं है, क्योंकि ग्राउंड पर कुछ और दिखता है, जबकि आदेशों में कुछ और होता है. बालू माफिया जिला प्रशासन को चुनौती देकर खुलेआम खनन कर मालामाल हो रहे हैं. बता दें कि एनजीटी नदी संरक्षण और मानसून को लेकर बालू उठाव पर रोक लगता रहा है. खूंटी एसडीओ तो कार्रवाई का दावा कर रहे हैं और उनका साफ कहना है कि सूचना के अनुसार विभिन्न स्थलों पर छापेमारी की जा रही है. प्रयास है कि जितने भी अवैध खनन के स्थल हैं वहां पर सूचना के बदा कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ें-कंस्ट्रक्शन कंपनी का मालिक बताकर अपराधी ने की लाखों की ठगी, अरगोड़ा थाने में मामला दर्ज

जिला अधिकारी ने कही कार्रवाई की बात

इधर, अवैध खनन पर तोरपा माफिया मनोज केशरी के खिलाफ कांड कर्ज करवाया गया है. एसडीओ ने दावा किया है कि जितने भी बालू माफिया हैं उनको चिंहित कर गिरफ्तार किया जाएगा. इसके साथ ही अवैध खनन के खिलाफ हुए कार्रवाई पर एसडीओ हेमंत सती ने बताया कि अब तक दर्जनों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है और आधा दर्जन वाहनों को जब्त किया जा चुका है. डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट-54, झारखंड माइनिंग मिनिरल एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है और अगर इसके वावजूद भी माफिया नहीं चेते तो माफियाओं के खिलाफ और कठोर कार्रवाई की जाएगी.

खूंटी: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 10 जून से 15 अक्टूबर तक राज्य के सभी नदियों से बालू उठाव पर रोक लगाई है. इसके बावजूद झारखंड के खूंटी जिले में बालू माफियाओं का अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है. इसको लेकर जिला प्रशासन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है.

देखें पूरी खबर

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली के आदेश के बाद राज्य के सभी बालू घाटों पर खनन और बालू उठाव पर पूर्णतया रोक लगाई गई है. इसके बावजूद खनन माफिया पर कोई असर नहीं हुआ है. खूंटी के रनिया प्रखंड क्षेत्र के सोदे नदी तोरपा प्रखंड क्षेत्र से कारो नदी, अड़की प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कांची नदी का करीब आधा भाग से बालू माफिया बेखौफ होकर दिनदहाड़े बालू का खनन कर रहे हैं. इसके साथ ही सरकार और प्रशासन को भी चुनौती दे रहे हैं, लेकिन प्रशासन इनपर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है.

सिर्फ खानापूर्ति कर रहा विभाग

खूंटी में जितने भी बालू घाट है, उसकी बंदोबस्ती नहीं हुई है. बंदोबस्ती के पहले से ही खनन माफिया नदियों से बालू का उठाव करते रहे है और रोक के बाद भी खनन कर रहे हैं. अवैध खनन की शिकायत विभाग के आला अधिकारीयों को भी है, लेकिन खानापूर्ति कर कार्रवाई बंद हो जाती है, जिससे माफियाओं का मनोबल बढ़ा हुआ है. इसका फायदा माफिया उठा रहे हैं. इस तरह के कार्रवाई से विभाग की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता. जिला प्रशासन के कार्रवाई के उस दावे का खंडन करने जब ईटीवी भारत की टीम जब कांची नदी पहुंची तो उस दौरान भी बालू उठाव धड़ल्ले से जारी था. मजदूर ट्रैक्टर पर बालू लोड कर नदी से कुछ ही दूरी पर ले जाकर डंप करते है, जहां से खनन माफिया बालू खपाते हैं.

प्रसाशन पर खड़े हो रहे सवाल

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल हर साल बालू उठाव पर पाबंदियां लगाता है, लेकिन पाबंदियां सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह जाता है. सवाल सरकार या प्रशासन से नहीं है, क्योंकि ग्राउंड पर कुछ और दिखता है, जबकि आदेशों में कुछ और होता है. बालू माफिया जिला प्रशासन को चुनौती देकर खुलेआम खनन कर मालामाल हो रहे हैं. बता दें कि एनजीटी नदी संरक्षण और मानसून को लेकर बालू उठाव पर रोक लगता रहा है. खूंटी एसडीओ तो कार्रवाई का दावा कर रहे हैं और उनका साफ कहना है कि सूचना के अनुसार विभिन्न स्थलों पर छापेमारी की जा रही है. प्रयास है कि जितने भी अवैध खनन के स्थल हैं वहां पर सूचना के बदा कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ें-कंस्ट्रक्शन कंपनी का मालिक बताकर अपराधी ने की लाखों की ठगी, अरगोड़ा थाने में मामला दर्ज

जिला अधिकारी ने कही कार्रवाई की बात

इधर, अवैध खनन पर तोरपा माफिया मनोज केशरी के खिलाफ कांड कर्ज करवाया गया है. एसडीओ ने दावा किया है कि जितने भी बालू माफिया हैं उनको चिंहित कर गिरफ्तार किया जाएगा. इसके साथ ही अवैध खनन के खिलाफ हुए कार्रवाई पर एसडीओ हेमंत सती ने बताया कि अब तक दर्जनों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है और आधा दर्जन वाहनों को जब्त किया जा चुका है. डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट-54, झारखंड माइनिंग मिनिरल एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है और अगर इसके वावजूद भी माफिया नहीं चेते तो माफियाओं के खिलाफ और कठोर कार्रवाई की जाएगी.

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