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खूंटी के इन क्षेत्रों में हो रहा अवैध ईंट भट्ठों का संचालन, सरकार को लग रहा करोड़ों का चूना - ईटीवी भारत

खूंटी का अड़की प्रखंड अवैध उत्खनन का अड्डा बना हुआ है. अवैध बालू और मिट्टी का खनन कर माफिया राज्य सरकार को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं. जिला प्रशासन ने अभी तक इस मसले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया है. स्थानीय लोगों ने गैर लाइसेंसी ईंट भट्ठों को बंद करवाने की मांग की है.

Operating unlicensed brick kilns in khunti
खूंटी में गैर लाइसेंसी ईंट भट्ठों का संचालन
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Published : Mar 20, 2021, 9:07 PM IST

खूंटी: अड़की प्रखंड वैसे तो आमतौर पर अफीम की खेती के लिए प्रचलित है. लेकिन इन दिनों प्रखंड क्षेत्रों में अवैध उत्खनन का भी खेल धड़ल्ले से जारी है. बिना लाइसेंस के ईंट भट्ठों का संचालन किया जा रहा है, जिससे सरकार के राजस्व को करोड़ों का नुकसान हो रहा है. हैरानी की बात ये है कि अवैध ईंट भट्ठों के इस संचालन के बारे में प्रखंड मुख्यालय कुछ नहीं जानता.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- गुमला में मॉब लिंचिंग, हत्या के आरोपी को ग्रामीणों ने पीट-पीट कर मार डाला

जिला प्रशासन मौन

खूंटी और रांची के सीमावर्ती इलाका होने के कारण मिट्टी और बालू के उत्खनन पर जिला प्रशासन मौन है. मिट्टी के बालू के उत्खनन से अवैध रूप से 40 से ज्यादा संचालित ईंट भट्ठे बगैर लाइसेंस के अपनी दुकानदारी चलाने में व्यस्त हैं. ईटीवी भारत जब मामले की पड़ताल के लिए ग्राउंड जीरो पहुंचा, तो कई स्थानीय लोगों ने कहा कि प्रशासन को इसकी जांच करनी चाहिए. अड़की क्षेत्र में अवैध ईंट भट्ठे कितने हैं और कितने ठिकानों का निबंधन हुआ है, इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को भी नहीं है.

क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि?

अड़की प्रखंड अंचलाधिकारी सह विकास पदाधिकारी ने बताया कि जिला खनन विभाग में अड़की क्षेत्र में संचालित ईंट भट्ठों की सूची प्राप्त की जा सकती है. अगर अवैध रूप से ईंट भट्ठे संचालित हैं, तो उसका सत्यापन कराया जाएगा. स्थानीय जनप्रतिनिधि कहते हैं कि सरकार की कई योजनाएं चालू हैं. इन योजनाओं में स्थानीय ईंट भट्ठों से ही कच्चे माल की आपूर्ति कराई जाती है. सरकार को ऐसे भट्ठों का लाइसेंस दिया जाना चाहिए. इसके अलावा स्थानीय प्रशासन पर मिली भगत का आरोप भी लगाया है. स्थानीय प्रशासन पुलिस की अगर संलिप्तता नहीं होती, तो भारी संख्या में अवैध खनन नहीं होता. इन इलाकों में ईंट भट्ठों की संख्या इतनी ज्यादा है कि खनन विभाग को भी कोई जानकारी नहीं है.

ये भी पढ़ें- झारखंड पुलिस में पोस्टिंग के इंतजार में अफसर, सैलरी पर भी मंडरा रहा संकट

ईटीवी भारत की टीम ने जब खनन विभाग से उसका पक्ष लेना चाहा, तो उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया. हालांकि उन्होंने इतना जरूर कहा कि अगर अवैध ईंट भट्ठे संचालित हो रहे हैं, तो सबसे पहले ईंट भट्ठों को बंद करवाया जाएगा और संबंधित माफिया के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

सूची में ये माफिया हैं शामिल

खनन विभाग के ही एक अधिकारी ने अनौपचारिक सूची ईटीवी को दी है, जिसमें माफिया के कई नाम शामिल हैं. इस सूची से इलाके में अवैध खनन में विभाग की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है. सूची के मुताबिक मुकेश कुमार, मनीष साहू, सुरेंद्र साहू, राजेश साहू, रामायण पुराण, अजय साहू, मनोज साहू, शंकर साहू, नंदकिशोर साहू, कयूम अंसारी, कमलकांत सिंह मुंडा, बलिमद साहू, सुगेन साहू, शिवचरण मुंडा, प्रकाश साहू, करम सिंह मुंडा के अलावा कई अन्य माफिया शामिल हैं. ये सभी माफिया रांची और खूंटी जिले के रहने वाले हैं. अब सवाल ये उठता है कि गैर लाइसेंसी ईंट भट्ठों पर आखिरकार लगाम कैसे लगेगी.

खूंटी: अड़की प्रखंड वैसे तो आमतौर पर अफीम की खेती के लिए प्रचलित है. लेकिन इन दिनों प्रखंड क्षेत्रों में अवैध उत्खनन का भी खेल धड़ल्ले से जारी है. बिना लाइसेंस के ईंट भट्ठों का संचालन किया जा रहा है, जिससे सरकार के राजस्व को करोड़ों का नुकसान हो रहा है. हैरानी की बात ये है कि अवैध ईंट भट्ठों के इस संचालन के बारे में प्रखंड मुख्यालय कुछ नहीं जानता.

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जिला प्रशासन मौन

खूंटी और रांची के सीमावर्ती इलाका होने के कारण मिट्टी और बालू के उत्खनन पर जिला प्रशासन मौन है. मिट्टी के बालू के उत्खनन से अवैध रूप से 40 से ज्यादा संचालित ईंट भट्ठे बगैर लाइसेंस के अपनी दुकानदारी चलाने में व्यस्त हैं. ईटीवी भारत जब मामले की पड़ताल के लिए ग्राउंड जीरो पहुंचा, तो कई स्थानीय लोगों ने कहा कि प्रशासन को इसकी जांच करनी चाहिए. अड़की क्षेत्र में अवैध ईंट भट्ठे कितने हैं और कितने ठिकानों का निबंधन हुआ है, इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को भी नहीं है.

क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि?

अड़की प्रखंड अंचलाधिकारी सह विकास पदाधिकारी ने बताया कि जिला खनन विभाग में अड़की क्षेत्र में संचालित ईंट भट्ठों की सूची प्राप्त की जा सकती है. अगर अवैध रूप से ईंट भट्ठे संचालित हैं, तो उसका सत्यापन कराया जाएगा. स्थानीय जनप्रतिनिधि कहते हैं कि सरकार की कई योजनाएं चालू हैं. इन योजनाओं में स्थानीय ईंट भट्ठों से ही कच्चे माल की आपूर्ति कराई जाती है. सरकार को ऐसे भट्ठों का लाइसेंस दिया जाना चाहिए. इसके अलावा स्थानीय प्रशासन पर मिली भगत का आरोप भी लगाया है. स्थानीय प्रशासन पुलिस की अगर संलिप्तता नहीं होती, तो भारी संख्या में अवैध खनन नहीं होता. इन इलाकों में ईंट भट्ठों की संख्या इतनी ज्यादा है कि खनन विभाग को भी कोई जानकारी नहीं है.

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ईटीवी भारत की टीम ने जब खनन विभाग से उसका पक्ष लेना चाहा, तो उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया. हालांकि उन्होंने इतना जरूर कहा कि अगर अवैध ईंट भट्ठे संचालित हो रहे हैं, तो सबसे पहले ईंट भट्ठों को बंद करवाया जाएगा और संबंधित माफिया के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

सूची में ये माफिया हैं शामिल

खनन विभाग के ही एक अधिकारी ने अनौपचारिक सूची ईटीवी को दी है, जिसमें माफिया के कई नाम शामिल हैं. इस सूची से इलाके में अवैध खनन में विभाग की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है. सूची के मुताबिक मुकेश कुमार, मनीष साहू, सुरेंद्र साहू, राजेश साहू, रामायण पुराण, अजय साहू, मनोज साहू, शंकर साहू, नंदकिशोर साहू, कयूम अंसारी, कमलकांत सिंह मुंडा, बलिमद साहू, सुगेन साहू, शिवचरण मुंडा, प्रकाश साहू, करम सिंह मुंडा के अलावा कई अन्य माफिया शामिल हैं. ये सभी माफिया रांची और खूंटी जिले के रहने वाले हैं. अब सवाल ये उठता है कि गैर लाइसेंसी ईंट भट्ठों पर आखिरकार लगाम कैसे लगेगी.

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