खूंटीः धरती आबा भगवान बिरसा की धरती है खूंटी. लेकिन जिला नक्सली और अफीम की खेती (cultivation of opium)के लिए बदनाम भी है. आखिर जिले में अफीम की खेती में बढ़ोतरी कैसे हो रही है. इसे रोकने में सिस्टम पूरी तरह से कारगर क्यों नहीं है. नक्सलियों को रोका जा सकता है तो नशे की खेती और कारोबार(drug trade) को क्यों रोका नहीं जा सकता. अगर इसे समय रहते नही रोका गया तो इसके कितने बुरे परिणाम हो सकते हैं. इन सब मुद्दों पर खूंटी के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सत्यप्रकाश त्रिपाठी ने अपनी राय रखी.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान खूंटी व्यवहार न्यायालय के प्रधान एवं सत्र न्यायाधीश सत्यप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि जिले में नशे का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है. एनडीपीएस के विशेष न्यायाधीश होने के नाते कड़ी सजा देने का काम किया जा रहा है, लेकिन इसमें कमी नहीं आ रही. नशे के कारोबार(drug trade) को ध्वस्त करने के लिए पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई तेजी से हो रही है और न्यायिक मशीनरी भी त्वरित डिस्पोजल कर रही है. कोर्ट में हर महीने चार से पांच एनडीपीएस केसों का निष्पादन हो रहा है.
न्यायालय का मानना है कि पहले अफीम की खेती (cultivation of opium) को रोका जाए और राष्ट्र के मुख्यधारा से जोड़कर लोगों को रोजगार दिया जाना चाहिए. तभी जाकर नशे के कारोबार (drug trade) को रोका जा सकता है. नाबालिग हो या बालिग जल्द ही अमीर बनने की ख्वाहिश के कारण नशे के कारोबार(drug trade) से जुड़ रहे हैं और वो सिर्फ एक कुरियर का काम करते हैं, लेकिन सफेदपोश क्रिमिनल कोई और है. न्यायाधीश ने कहा कि जिले में नक्सल पर अंकुश लग गया लेकिन अवैध अफीम पर अंकुश कब लगेगा. धरती आबा की जमीन को आर्थिक लाभ के लिए जहरीला बनाया जा रहा है. एक दिन ऐसा होगा कि खूंटी उड़ता पंजाब बन जायेगा और इसे रोक पाना बहुत मुश्किल होगा.
उन्होंने बताया कि यहां के युवकों से अफीम खरीद कर सफेदपोश ले जाते हैं और उसकी प्रोसेसिंग कहीं और करते हैं. जिले में 300 केस पेंडिग हैं. जिले से सप्लाई हो रहे डोडा का इस्तेमाल लाइन होटलों के चाय कॉफी में किया जा रहा है. अफीम की खेती(cultivation of opium) गैरकानूनी है. इसे लेकर लगातार ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वो खुद जाकर लोगों से अपील कर रहे हैं कि इस धरती आबा के इस धरती को जहरीला न बनायें.
सरकार व प्रशासन जब तक ठोस पहल नहीं करेगी इस पर रोक नहीं लगाया जा सकता है. जिले में अफीम के साथ-साथ मानव तस्करी भी चरम पर है. डालसा के पदाधिकारी भी गांव देहात जाकर लोगों को नशे की खेती से दूर रहने व इस धंधे को छोड़ देने की अपील कर रहे हैं. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बताया कि धीरे धीरे तस्वीरें जरूर बदल रही हैं. लेकिन नहीं बदल रहे हैं तो सिर्फ नशे से जुड़े लोग. नशे के कारण हत्या समेत अन्य अपराध बढ़ रहे हैं. जिले में कई एफआईआर नशे के कारण उपजी हालातों के कारण होती है. नशे के अवैध कारोबार से जल्द खूंटी जिला को मुक्त नहीं किया गया तो आने वाले समय में इसको रोकना मुश्किल होगा.