खूंटी: जिला में जहां कभी नक्सलियों का बोलबाला था. नक्सल और सुदूर इलाकों के ग्रामीणों को अफीम माफिया बहला फुसलाकर लंबे समय से अफीम की खेती करवाते रहे हैं, लेकिन मुनाफा नहीं होने से किसान अब अफीम की खेती से धीरे धीरे बाहर निकलने लगे हैं. इलाके में आज दीदियां गेंदा फूल की खेती कर आत्मनिर्भर बन रही हैं.
गेंदा फूल से लाखों की कमाई
किसानों को अफीम की खेती करने के दौरान उसे लगभग छह महीने तक सींचना पड़ता था, उसके वावजूद उन्हें उतना मुनाफा नहीं मिल पाता था, लेकिन गेंदा फूल से तीन महीने के अंदर किसानों को लाखों की कमाई हो जाती है. गेंदा फूल की खेती करने से न किसानों को पुलिस का डर और न ही खरीदने वालों को किसी चीज का डर रहता है. किसान बेखौफ होकर गेंदा की खेती कर रहे हैं. दीदियों को देख अफीम की खेती करने वाले किसान भी इनसे प्रेरणा लेकर गेंदा की खेती कर रहे हैं. अफीम उगाने वाली दीदियां कैमरे पर पहले की बातें बताने से कतरा रही हैं, लेकिन अब उन्होंने अफीम की खेती को बाय बाय कर गेंदा की खेती शुरू कर दी है.
लगाए गए 16 लाख गेंदा फूल के पौधे
खूंटी जिले में इस बार दिवाली और छठ को ध्यान में रखकर 800 महिला किसानों ने प्रधान के सहयोग से गेंदा फूल की खेती की है. पहले खूंटी जिले में त्योहार के समय में पश्चिम बंगाल से गेंदा फूल का माला मंगाए जाता था, लेकिन अब स्थानीय महिला किसानों ने बड़े पैमाने पर गेंदा की खेती कर शुरू कर दी है, जिससे पश्चिम बंगाल से आने वाले गेंदा फूल माला पर रोक लग गई है. जिले में इस बार 16 लाख गेंदा फूल के पौधे महिला समूह की किसानों ने लगाए हैं. खूंटी ,मुरहू, तोरपा और अड़की के नक्सल प्रभावित सुदूरवर्ती इलाकों में गेंदा फूल लहलहा रहा है. दूर से ही गेंदा फूल के चटख रंग लोगों को आकर्षित कर रहा है. बाजारों में छठ पर्व को लेकर गेंदा फूल का बाजार सजने लगा है. यहीं से गेंदा का फूल अब राजधानी रांची में भी पहुंचने लगा है.
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बंजर भूमि में गेंदा फूल की खेती
महिला किसानों का कहना है कि जिन खेतों में सिर्फ घास और झाड़ियां उगी होती थी, उन्हीं खेतों में अब सिर्फ तीन महीने में गेंदा का फूल तैयार हो जाता है, जिसे रांची, लोहरदगा समेत अन्य जिलों में पहुंचाया जा रहा है. महिला किसान गेंदा फूल की खेती से 40-50 हजार से लेकर एक लाख तक की आमदनी करने लगी हैं. जिले के अधिकारियों ने भी महिला किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है. अक्टूबर-नवंबर में पर्व होने वाले त्योहार में महिलाओं ने बड़ी संख्या में गेंदा फूल की मार्केटिंग की है. महिलाओं ने बताया कि फूल की खेती से उनके घरों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है. अब उन्हें घर के छोटे बड़े जरूरत की चीजों के लिए कहीं से भी ऋण नहीं लेना पड़ता है. महिलाएं गेंदा फूल की खेती कर बेहद खुश हैं.