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बिन बारिश सब सून! साल 2016-17 के बाद सुखाड़ की ओर खूंटी

झारखंड में मानसून के आगमन के एक महीने से भी ऊपर हो गया है. लेकिन बरखा रानी अब भी किसानों से रूठी हुई है. आलम ऐसा है कि बारिश ना होने या कम होने से (low railnfall in Monsoon) प्रदेश के कई जिले सुखाड़ की ओर अग्रसर हो रहे हैं. कम बारिश से खूंटी में सुखाड़ जैसे हालात बन गए हैं. 2016-2017 के बाद खूंटी जिला एक बार फिर से सुखाड़ (drought like conditions) की ओर बढ़ रहा है.

drought like conditions due to lack of rain in Khunti
खूंटी
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Published : Jul 24, 2022, 10:33 AM IST

Updated : Jul 24, 2022, 11:12 AM IST

खूंटीः झारखंड के अन्य जिलों की तरह खूंटी जिला भी सुखाड़ की ओर अग्रसर (drought due to lack of rain) हो रहा है. जिला में अबतक धान की खेती के लिए आवश्यक वर्षा नहीं हुई है. कई खेतों में अभी भी बिचड़े लगे हैं जबकि जुलाई माह के अंत तक किसान बिचड़ों को खेतों में रोपकर समाप्त कर देते हैं. वर्षा ना होने से (low railnfall in Monsoon) किसान काफी चिंतित और परेशान हैं.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में मानसून का विलेन कौन? जानिए, क्यों बिना बरसे ही आगे बढ़ जाते हैं बदरा

जिला में 10 प्रतिशत खेतों में भी रोपनी का कार्य नहीं किया गया है. गहरे और निचले खेतों में ही छिटपुट धान की बोआई की गई है. अभी भी किसान खेतों में हल चला रहे हैं, इसी उम्मीद में कि शायद बारिश हो जाए. लेकिन रुक-रुककर छिटपुट हो रही बारिश ने किसानों के माथा पर शिकन ला दी है. किसान चिंतित हैं कि इस वर्ष बगैर बारिश के (lack of rain in Khunti) धान की खेती कैसे होगी. धान के खेत जुलाई माह के आखिरी तक हरे भरे नजर आते थे. लेकिन मौसम की मार ने किसानों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर रोपा करें या ना करें. जब तक खेतों में लबालब बारिश का पानी एकत्रित नहीं हो जाता तो धान की खेती अच्छी नहीं होती.

जानकारी देते किसान

किसान उम्मीद लगाए हुए हैं कि शायद आज कल या आगामी दो-चार दिन में भारी बारिश हो जाए तो कुछ उम्मीद की जा सकती है. महिला किसानों ने भी बताया कि सूखे खेत में किसान हल चलाने को मजबूर हैं. धान के बिचड़े भी कम पानी मे बर्बाद हो जाएंगे. 2016-17 में खूंटी को सूखा जिला घोषित किया गया था. सरकार की तरफ से लगभग 9 करोड़ रुपया लाभुकों को देने के लिए आया था. लेकिन उसका लाभ भी बिचौलियों को मिला और किसान ठगे रह गए.

खूंटीः झारखंड के अन्य जिलों की तरह खूंटी जिला भी सुखाड़ की ओर अग्रसर (drought due to lack of rain) हो रहा है. जिला में अबतक धान की खेती के लिए आवश्यक वर्षा नहीं हुई है. कई खेतों में अभी भी बिचड़े लगे हैं जबकि जुलाई माह के अंत तक किसान बिचड़ों को खेतों में रोपकर समाप्त कर देते हैं. वर्षा ना होने से (low railnfall in Monsoon) किसान काफी चिंतित और परेशान हैं.

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जिला में 10 प्रतिशत खेतों में भी रोपनी का कार्य नहीं किया गया है. गहरे और निचले खेतों में ही छिटपुट धान की बोआई की गई है. अभी भी किसान खेतों में हल चला रहे हैं, इसी उम्मीद में कि शायद बारिश हो जाए. लेकिन रुक-रुककर छिटपुट हो रही बारिश ने किसानों के माथा पर शिकन ला दी है. किसान चिंतित हैं कि इस वर्ष बगैर बारिश के (lack of rain in Khunti) धान की खेती कैसे होगी. धान के खेत जुलाई माह के आखिरी तक हरे भरे नजर आते थे. लेकिन मौसम की मार ने किसानों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर रोपा करें या ना करें. जब तक खेतों में लबालब बारिश का पानी एकत्रित नहीं हो जाता तो धान की खेती अच्छी नहीं होती.

जानकारी देते किसान

किसान उम्मीद लगाए हुए हैं कि शायद आज कल या आगामी दो-चार दिन में भारी बारिश हो जाए तो कुछ उम्मीद की जा सकती है. महिला किसानों ने भी बताया कि सूखे खेत में किसान हल चलाने को मजबूर हैं. धान के बिचड़े भी कम पानी मे बर्बाद हो जाएंगे. 2016-17 में खूंटी को सूखा जिला घोषित किया गया था. सरकार की तरफ से लगभग 9 करोड़ रुपया लाभुकों को देने के लिए आया था. लेकिन उसका लाभ भी बिचौलियों को मिला और किसान ठगे रह गए.

Last Updated : Jul 24, 2022, 11:12 AM IST
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