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झारखंड दौरे पर खूंटी पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, कहा- प्रदेश ने 22 सालों में उम्मीद के मुताबिक तरक्की नहीं की, सोचना चाहिए क्यों

झारखंड दौरे पर खूंटी पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिलाओं को संबोधित किया और उन्हें अपनी लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी किया. इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि अगर 22 सालों में झारखंड उम्मीद के मुताबिक तरक्की नहीं कर पाया तो इसके पीछे क्या कारण है वह सोचना चाहिए.

Draupadi Murmu in Jharkhand
Draupadi Murmu in Jharkhand
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Published : May 25, 2023, 2:11 PM IST

Updated : May 26, 2023, 12:26 PM IST

द्रौपदी मुर्मू, राष्ट्रपति

खूंटी: झारखंड दौरे के दूसरे दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू खूंटी पहुंची जहां उन्होंने महिला सम्मेलन में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को संबोधित किया और उनका उत्साह बढ़ाया. यहां उन्होंने अपने पुराने दिनों को भी याद किया साथ ही उन्होंने झारखंड के विकास पर भी अपनी बातें लोगों के रखीं. यहां उन्होंने ये भी कहा कि भले ही वे ओडिशा की हैं लेकिन उनके रगों में जो खून बह रहा है वह झारखंड का है.

ये भी पढ़ें: सिर्फ कागजों पर चल रही हैं आदिवासियों से जुड़ी योजनाएंः हेमंत सोरेन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने झारखंड दौरे के दूसरे दिन जब खूंटी पहुंची तो उनका भव्य स्वागत किया गया. महिला सम्मेलन में स्वयं सहायता समूह को संबोधित किया उनके मंच पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, सीएम हेमंत सोरेन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, महिला कल्याण मंत्री जोबा मांझी भी मौजूद रहीं. यहां राष्ट्रपति महिलाओं से मिली और उनके उत्पाद को भी देखा. वहीं मंच से उन्होंने महिलाओं का उत्साह भी बढ़ाया.

राष्ट्रपति ने झारखंड में सही तरीके से विकास नहीं होने पर निराशा भी जताई. उन्होंने कहा कि झारखंड को अलग हुए 22 साल हो चुके हैं, इस दौरान एक को छोड़ कर सभी मुख्यमंत्री आदिवासी हुए हैं. 28 से अधिक विधायक आदिवासी हैं, फिर ही झारखंड को जितनी तरक्की करनी चाहिए थी वह नहीं कर पाया. यहां उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर सरकार 100 कदम चलती है को लोगों को भी 10 कदम चलना चाहिए.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड अपनी पुरानी यादों को साझा करते हुए कहा एक ऐसा भी समय था जब जंगलों में जो भी प्रोडक्ट आते हैं उसका मूल्य नहीं होता था. तब भी रात को दो ढाई बजे उनकी दादी उन्हें महुआ चुनने के लिए उठा देती थीं. तब वे उसे महुआ चुनकर लाती थी और उसे सुखाती थीं. उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि उनके घर में कभी कभी खान नहीं हुआ करता था तब वे महुआ को उबालकर उसे ही खा लेते थे. लेकिन आज चीजें बदल रहीं हैं. आज महुआ के कई प्रोडक्ट बन रहे हैं. महुआ से केक बन रहा है और उसके अच्छे दाम महिलाओं को मिल रहा है. महिलाएं केवल धान की खेती पर निर्भर नहीं हैं. सरकार ने जो महिला स्वयं सहायता समूह बनाए हैं वह विकास की एक नई दिशा कही जा सकती है. बहुत दिनों के बाद ही सही लेकिन झारखंड में महिला समूहों के नाते झारखंड के महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान आया है, यह बड़ी बात है. उन्होंने कहा झारखंड में आदिवासी 26 फ़ीसदी हैं जो आबादी का लगभग एक करोड़ होगा लेकिन झारखंड की 50 फ़ीसदी महिलाएं भी हैं जो झारखंड के विकास के लिए काम कर रही हैं.

द्रौपदी मुर्मू, राष्ट्रपति

खूंटी: झारखंड दौरे के दूसरे दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू खूंटी पहुंची जहां उन्होंने महिला सम्मेलन में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को संबोधित किया और उनका उत्साह बढ़ाया. यहां उन्होंने अपने पुराने दिनों को भी याद किया साथ ही उन्होंने झारखंड के विकास पर भी अपनी बातें लोगों के रखीं. यहां उन्होंने ये भी कहा कि भले ही वे ओडिशा की हैं लेकिन उनके रगों में जो खून बह रहा है वह झारखंड का है.

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने झारखंड दौरे के दूसरे दिन जब खूंटी पहुंची तो उनका भव्य स्वागत किया गया. महिला सम्मेलन में स्वयं सहायता समूह को संबोधित किया उनके मंच पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, सीएम हेमंत सोरेन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, महिला कल्याण मंत्री जोबा मांझी भी मौजूद रहीं. यहां राष्ट्रपति महिलाओं से मिली और उनके उत्पाद को भी देखा. वहीं मंच से उन्होंने महिलाओं का उत्साह भी बढ़ाया.

राष्ट्रपति ने झारखंड में सही तरीके से विकास नहीं होने पर निराशा भी जताई. उन्होंने कहा कि झारखंड को अलग हुए 22 साल हो चुके हैं, इस दौरान एक को छोड़ कर सभी मुख्यमंत्री आदिवासी हुए हैं. 28 से अधिक विधायक आदिवासी हैं, फिर ही झारखंड को जितनी तरक्की करनी चाहिए थी वह नहीं कर पाया. यहां उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर सरकार 100 कदम चलती है को लोगों को भी 10 कदम चलना चाहिए.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड अपनी पुरानी यादों को साझा करते हुए कहा एक ऐसा भी समय था जब जंगलों में जो भी प्रोडक्ट आते हैं उसका मूल्य नहीं होता था. तब भी रात को दो ढाई बजे उनकी दादी उन्हें महुआ चुनने के लिए उठा देती थीं. तब वे उसे महुआ चुनकर लाती थी और उसे सुखाती थीं. उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि उनके घर में कभी कभी खान नहीं हुआ करता था तब वे महुआ को उबालकर उसे ही खा लेते थे. लेकिन आज चीजें बदल रहीं हैं. आज महुआ के कई प्रोडक्ट बन रहे हैं. महुआ से केक बन रहा है और उसके अच्छे दाम महिलाओं को मिल रहा है. महिलाएं केवल धान की खेती पर निर्भर नहीं हैं. सरकार ने जो महिला स्वयं सहायता समूह बनाए हैं वह विकास की एक नई दिशा कही जा सकती है. बहुत दिनों के बाद ही सही लेकिन झारखंड में महिला समूहों के नाते झारखंड के महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान आया है, यह बड़ी बात है. उन्होंने कहा झारखंड में आदिवासी 26 फ़ीसदी हैं जो आबादी का लगभग एक करोड़ होगा लेकिन झारखंड की 50 फ़ीसदी महिलाएं भी हैं जो झारखंड के विकास के लिए काम कर रही हैं.

Last Updated : May 26, 2023, 12:26 PM IST
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