ETV Bharat / state

बेड़ाडीह गांव बदहालः भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली से सटे इलाकों की किसी ने नहीं ली सुध

9 जून को भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि (Death Anniversary of Lord Birsa Munda) मनाई जाएगी. लेकिन खूंटी के अड़की प्रखंड अंतर्गत भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली (Birsa Munda birthplace in Khunti) उलीहातू के उत्तर में बेड़ाडीह गांव बदहाल स्थिति में है. इसकी सुध लेने वाला आज तक कोई नहीं आया.

dilapidated-condition-of-beradih-village-near-lord-birsa-munda-birthplace-in-khunti
खूंटी
author img

By

Published : Jun 7, 2022, 7:41 PM IST

खूंटीः जंग-ए-आजादी के जिस महानायक के नाम से झारखंड को जाना जाता है, उसका पड़ोसी गांव के लोग अंधकार में जीने को मजबूर हैं. 9 जून को भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि मनाई जाएगी. इस मौके पर केंद्र एवं राज्य के कई बड़े राजनेता उलीहातू पहुंचेंगे और श्रद्धासुमन अर्पित कर लौट जाएंगे. लेकिन उसके पास के इलाकों के क्या हालात हैं, ये सच्चाई जानने की शायद ही कोशिश करेंगे कि भगवान बिरसा मुंडा के जन्मस्थली के पास गांव के हालात हैं.

खूंटी के अड़की प्रखंड में हड़ामसेरेंग का बेड़ाडीह गांव, भगवान बिरसा मुंडा जन्मस्थली उलिहातू से मात्र 2 किलोमीटर दूर स्थित है. यह गांव आजादी के 75 वर्ष के बाद भी ग्रामीण पगडंडी के सहारे डेढ़ किमी पैदल चलकर गांव की दूरी तय करते हैं. रास्ता ऐसा कि इसमें सीधे चलना भी दूभर है. उबड़खाबड़ और पथरीले रास्तों पर सिर्फ पैदल ही चला जा सकता है. यहां के शिक्षक और गांव के लोग अपनी बाइक तलहटी में लगा देते हैं तो कई ग्रामीण अपनी साइकिल को कंधे पर ढोकर गांव आते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट


गांव के लोगों ने बताया कि उनके पास सिर्फ राशन कार्ड और आधार कार्ड बना है, प्रत्येक माह मिलने वाला राशन भी बरसात के दिनों में पूरी तरह ठप्प हो जाता है. क्योंकि बारिश में राशन लेने के लिए उलीहातू तक आना जाना ग्रामीणों के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है. बारिश के तीन से चार माह बेड़ाडीह गांव टापू पूरी तरह बन जाता है. इसलिए बारिश के मौसम में बेड़ाडीह के ग्रामीण कई बार भूखे ही रहने को मजबूर हो जाते हैं. स्वास्थ्य सुविधाएं भी ऐसी कि मरीजों को खाट से मुख्य सड़क या कभी-कभी अस्पताल तक भी ले जाया जाता है.

ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में कभी कोई सरकारी पदाधिकारी नहीं पहुंचे, अब तक कोई विधायक सांसद भी गांव की सुध नहीं लिए. ग्रामीणों ने कई बार सड़क बिजली के लिए आवेदन दिया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. यहां के बच्चे भी किसी तरह माता पिता के साथ गरीबी में गुजर बसर करने को मजबूर हैं. इस गांव की 200 की आबादी में कुछ लोग ही पढ़े लिखे हैं. क्योंकि एक तो गरीबी और शासस-प्रशासन की अनदेखी. पहले तो सरकारी स्कूल भी नहीं था अब सरकारी स्कूल है लेकिन बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.

खूंटीः जंग-ए-आजादी के जिस महानायक के नाम से झारखंड को जाना जाता है, उसका पड़ोसी गांव के लोग अंधकार में जीने को मजबूर हैं. 9 जून को भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि मनाई जाएगी. इस मौके पर केंद्र एवं राज्य के कई बड़े राजनेता उलीहातू पहुंचेंगे और श्रद्धासुमन अर्पित कर लौट जाएंगे. लेकिन उसके पास के इलाकों के क्या हालात हैं, ये सच्चाई जानने की शायद ही कोशिश करेंगे कि भगवान बिरसा मुंडा के जन्मस्थली के पास गांव के हालात हैं.

खूंटी के अड़की प्रखंड में हड़ामसेरेंग का बेड़ाडीह गांव, भगवान बिरसा मुंडा जन्मस्थली उलिहातू से मात्र 2 किलोमीटर दूर स्थित है. यह गांव आजादी के 75 वर्ष के बाद भी ग्रामीण पगडंडी के सहारे डेढ़ किमी पैदल चलकर गांव की दूरी तय करते हैं. रास्ता ऐसा कि इसमें सीधे चलना भी दूभर है. उबड़खाबड़ और पथरीले रास्तों पर सिर्फ पैदल ही चला जा सकता है. यहां के शिक्षक और गांव के लोग अपनी बाइक तलहटी में लगा देते हैं तो कई ग्रामीण अपनी साइकिल को कंधे पर ढोकर गांव आते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट


गांव के लोगों ने बताया कि उनके पास सिर्फ राशन कार्ड और आधार कार्ड बना है, प्रत्येक माह मिलने वाला राशन भी बरसात के दिनों में पूरी तरह ठप्प हो जाता है. क्योंकि बारिश में राशन लेने के लिए उलीहातू तक आना जाना ग्रामीणों के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है. बारिश के तीन से चार माह बेड़ाडीह गांव टापू पूरी तरह बन जाता है. इसलिए बारिश के मौसम में बेड़ाडीह के ग्रामीण कई बार भूखे ही रहने को मजबूर हो जाते हैं. स्वास्थ्य सुविधाएं भी ऐसी कि मरीजों को खाट से मुख्य सड़क या कभी-कभी अस्पताल तक भी ले जाया जाता है.

ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में कभी कोई सरकारी पदाधिकारी नहीं पहुंचे, अब तक कोई विधायक सांसद भी गांव की सुध नहीं लिए. ग्रामीणों ने कई बार सड़क बिजली के लिए आवेदन दिया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. यहां के बच्चे भी किसी तरह माता पिता के साथ गरीबी में गुजर बसर करने को मजबूर हैं. इस गांव की 200 की आबादी में कुछ लोग ही पढ़े लिखे हैं. क्योंकि एक तो गरीबी और शासस-प्रशासन की अनदेखी. पहले तो सरकारी स्कूल भी नहीं था अब सरकारी स्कूल है लेकिन बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.