खूंटीः सीडब्ल्यूसी ने तोरपा पुलिस पर संवेदनहीनता का गंभीर आरोप लगाया है. एक घटना का जिक्र करते हुए सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष तनुश्री सरदार ने तोरपा थाना प्रभारी मुन्ना सिंह पर पांच साल की मासूम से रेप मामले को दबाने का भी आरोप लगाया है. सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष ने कहा कि पांच साल की मासूम से रेप के बाद थाने पहुंची बच्ची को पूरे दिन मेडिकल कराने के नाम पर एक जगह बैठा कर रखा गया है. सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष ने कहा कि थाना प्रभारी ने पॉक्सो एक्ट का उल्लंघन किया है.
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बताते चलें कि शनिवार को एक पांच साल की मासूम बच्ची से 12 साल के किशोर ने एक दुकान में रेप किया था. तोरपा पुलिस से जब शिकायत की गई तो तोरपा पुलिस के माध्यम से सीडब्ल्यूसी को जानकारी हुई. उसके बाद जब सीडब्ल्यूसी ने बच्ची का हाल पूछा तो थाना प्रभारी सीडब्ल्यूसी को इग्नोर करते हुए उसे मेडिकल के लिए अस्पताल ले गए जो कॉक्सो एक्ट का उल्लंघन है. बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष ने कहा कि बच्ची दर्द से कराह रही थी लेकिन तोरपा पुलिस को बच्ची का दर्द सुनाई नहीं दिया. तोरपा पुलिस ने मेडिकल कराना बेहतर समझा, न कि उसका इलाज. उन्होंने कहा कि नियमानुसार बच्ची का मेडिकल नहीं होता है.
यह है घटनाः गौरतलब है कि जिले के तोरपा प्रखण्ड क्षेत्र में एक सप्ताह के भीतर मासूम बच्चियों से दुष्कर्म की दो घटनाएं हुई हैं. पहली घटना तपकारा क्षेत्र की है जहां छह नाबालिग बच्चों ने मिलकर 10 साल की मासूम से गैंगरेप किया जबकि दूसरी घटना तोरपा थाना क्षेत्र की है जहां पांच साल की बच्ची से 12 साल के नाबालिग ने रेप किया. घटनाक्रम के मुताबिक पांच साल की मासूम फ्रूटी लेने राशन दुकान गई थी लेकिन दुकानदार ने फ्रूटी देने के बजाय उसे अंदर बुलाया और उसके साथ कुकर्म किया. बच्ची दर्द से रोती बिलखती अपने घर गई जहां उसके परिवार वालों ने देखा कि बच्ची के साथ गलत हुआ है.
सीडब्ल्यूसी ने बताया कि जिस तरीके से तोरपा पुलिस का रैवया है उससे लगता है कि दुष्कर्म पीडिताओं को इंसाफ नहीं मिलेगा. हाल के दिनों में लगातार घटित दुष्कर्म मामले में पीड़िता भी नाबालिग और दुष्कर्म में शामिल दरिंदा भी नाबालिग निकला. ऐसे में दुष्कर्म की घटनाओं में न्यायिक प्रक्रिया बगैर सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के आधी अधूरी ही रहेगी.
ये हैं पॉक्सो एक्ट के प्रावधानः पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक संबंधित थाने में मामला पहुंचते ही बाल कल्याण समिति के समक्ष 24 घंटे के अंदर पीड़िता को संबंधियों के साथ प्रस्तुत करने का प्रावधान है. लेकिन जब सीडब्ल्यूसी ने संबंधित थाना प्रभारी से टेलीफोन पर बात की तो कहा गया कि सीडब्ल्यूसी के पास नाबालिग पीड़िता को प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं है, लेकिन फिर बाद में अचानक फोन पर सूचना दी जाती है कि रात 8 बजे पीड़िता को लेकर आ रहे हैं. अब ऐसे में सीडब्ल्यूसी ने सवाल उठाया है कि रात आठ बजे तोरपा थाने की पुलिस पीड़िता को प्रस्तुत करने के लिए क्यों लाती है. सीडब्ल्यूसी ने सवाल उठाया है कि आखिर पूरे दिन और रात 8 बजे तक पीड़िता को कहां रखा गया था और अचानक रात में आने का क्या मतलब हे.
थाना प्रभारी पर आरोपः बाल कल्याण समिति के पूर्व सदस्य वैद्यनाथ कुमार ने बताया कि बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) में दर्ज आंकड़ों के अनुसार खूंटी जिले में प्रतिमाह दस मामले पॉक्सो एक्ट के सामने आए हैं, जिसमे अधिकतर मामले मासूम बच्चों से जुड़े हैं. उन्होंने तोरपा पुलिस के कार्यशैली पर भी गंभीर आरोप लगाया. वैद्यनाथ ने ईटीवी को फोन पर बताया कि तोरपा थाना प्रभारी मुन्ना सिंह के पास कोई रेप या गैंगरेप से संबंधित मामला पहुंचता है तो वो उस मामले को दबाने की कोशिश करते हैं लेकिन जब मामला सीडब्ल्यूसी के पास आता है तो हरकत में आ जाती है और ऐसा ही हुआ पांच साल के बच्ची के साथ.