खूंटी: जिले के मारंगहादा स्थित राजकीय उच्च विद्यालय जहां 9वीं और 10वीे की पढ़ाई के लिए दूर-दराज से विद्यार्थी आते हैं. 1964 में बना यह विद्यालय अब जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है. सुदूरवर्ती इलाके में एकमात्र उच्च विद्यालय होने के कारण जनजातीय इलाकों के विद्यार्थी यहां पढ़ाई कर रहे हैं. विद्यालय में मात्र 5 शिक्षक हैं.
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विद्यार्थी डर के साये में कर रहें है पढ़ाई
स्कूल का भवन इतना जर्जर हो चुका है कि स्कूल का मेन गेट पूरी तरह बंद कर दिया गया है. ग्रिलनुमा गेट के ऊपर का छज्जा और दीवार टूट-टूट कर गिरने लगा है. इस कारण एहतियातन शिक्षकों ने ग्रिलनुमा गेट को सील कर दिया है. साथ ही क्लास रूम की छत जब तब टूट-टूट कर गिरती रहती है.
एक विद्यार्थी ने बताया कि क्लास में पढ़ाई के वक्त छत का कुछ हिस्सा टूटकर उसके ऊपर गिरा. स्थिति ऐसी है कि विद्यार्थियों का ध्यान पढ़ाई के वक्त ब्लैक बोर्ड और किताब कॉपी पर कम और छत पर ज्यादा रहता है. इस संबंध में कई बार शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया है, लेकिन अब तक कोई सार्थक पहल नहीं की गई.
विद्यालय में एकमात्र शौचालय
स्कूल के विद्यार्थियों ने बताया कि स्कूल में पेयजल की व्यवस्था भी नही है. साथ ही विद्यालय में एकमात्र शौचालय होने के कारण शिक्षकों और छात्राओं को दिक्कत का सामना करना पड़ता है. स्कूल में छात्र-छात्राएं दोनों पढ़ते हैं. ऐसे में छात्र स्कूल के बाउंड्री को ही शौचालय के रूप में इस्तेमाल करते हैं. स्वच्छ भारत अभियान विद्यार्थी केवल किताबों में पढ़ते हैं. स्कूल में अव्यवस्था का आलम यह है कि शिक्षकों का स्टाफ रूम भी जर्जर हो चुका है. विद्यार्थी और शिक्षक दोनों डर के साये में अपना हर दिन का रूटीन पूरी करते हैं.