खूंटीः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि आदिवासियों के लिए बनने वाली सभी योजनाएं आज भी कागजों पर चल रही है. केवल कागजों पर योजनाएं बन रही हैं और काम हो रहा है, जमीन पर इनकी कोई अवधारणा नहीं है. हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र की सहायता से राज्य में आदिवासियों का तेजी से विकास होगा.
उन्होंने कहा कि कहीं कार्यक्रम में जाने पर अधिकारी कुछ स्टॉल लगाकर के हमें दिखाते हैं कि हम यह उत्पाद देते हैं, वह उत्पाद देते हैं. लेकिन हकीकत यही है कि आज भी योजनाएं धरातल से काफी दूर हैं. जो चीजें दिखाई जाती हैं मैं उसे सामने से नहीं देखता. मैं उसके पीछे की हकीकत से रूबरू होना चाहता हूं कि आखिर इसकी जमीनी हकीकत क्या है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि अर्जुन मुंडा जब से इस विभाग के मंत्री बने हैं तब से यहां पर थोड़ी सक्रियता दिखी है और मैं उम्मीद करता हूं कि जब तक यह मंत्री रहेंगे झारखंड इनकी सक्रियता बनी रहेगी.
राज्य में सिद्धो-कान्हो वन उपज समिति का गठन किया गया है. इस महासंघ को सक्रिय करने में हम बहुत तेजी से लगे हुए हैं. लगभग सभी पंचायत की समितियों को, यूनियन को इससे जोड़ा गया है. इसे तेज गति मिले इसके लिए हम लोगों ने राशि भी उपलब्ध करा दी है. बड़े पैमाने पर महिला समूह का गठन किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि एमएसपी एक चिंता का विषय है. लाह हमारे यहाँ डेढ़ सौ रुपए में बिकता है, जबकि बाजार में ग्यारह सौ से 1200 में बिकता है. शहद की एमएसपी 200-220 में खरीद बिक्री होती है और बाजार में साढे 400 से 500 में बिकता है. झारखंड सरकार ने यह निर्णय लिया है कि आदिवासी समाज अपने अलायंस पैक्स के माध्यम से जो भी उत्पाद करेंगे उसे बाजार दर पर खरीदा जाएगा और यह लाभ उन्हें उपलब्ध कराएगा. स्वयं सहायता समूह का जो भी उत्पाद होगा उसे झारखंड सरकार बाजार दर पर खरीदेगी.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यहां पर महामहिम राष्ट्रपति बैठी हुई हैं, उनसे अनुरोध है कि 'हो' समाज को आठवीं अनुसूची में शामिल कराया जाए साथ ही सरना धर्म कोड को लागू कराने के लिए भी प्रयास किया जाए, हम लोगों ने केंद्र सरकार को भेजा है ताकि यहां पर विकास को गति दिया जा सके.