खूंटीः नदियों में अवैध बालू खनन ( Illegal Sand Mining in Khunti) से पुल पुलिया जर्जर हो रहे हैं. यही वजह है कि पिछले एक सप्ताह में 6 करोड़ रुपये की लागत से बने दो पुल टूट गए हैं. इन पुलों के टूटने से जिला प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगे हैं. पेश है गिडुम बालू घाट से ग्राउंड रिपोर्ट...
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खूंटी जिला मुख्यालय से 50 किमी दूरी तोरपा प्रखंड के उरमी गोविंदपुर पथ पर है गिडुम गांव. इस गांव से गुजरने वाली कारो नदी पर बने पुल शुक्रवार की रात क्षतिग्रस्त हो गया. पुल के दो स्पेन नीचे झुक गए हैं और दो भागों में टूटकर अलग हो गया है. स्थिति यह है कि पुल कभी भी जमींदोज हो सकता है. ग्रामीणों ने बताया कि शुक्रवार की देर रात बालू लदा एक हाइवा गुजर रहा था. इसी दौरान पुल का एक हिस्सा नीचे झुक गया. इसके साथ ही पुल के पिलरों में भी दरारें पड़ गई है.
ग्रामीण कहते हैं कि भारी वाहनों के दबाव से यह पुल कभी भी ध्वस्त हो सकता है. छोटे वाहनों का आना-जाना भी खतरे से खाली नहीं है. उन्होंने कहा कि कारो नदी पर पुल का निर्माण कार्य 2012 में शुरू हुआ था. छह करोड़ की लागत से बना पुल साल 2014 में तैयार हो गया था. उन्होंने कहा कि अवैध बालू खनन की वजह से आठ साल में ही पुल क्षतिग्रस्त हो गया.
जिले में लगातार हो रहे अवैध बालू खनन के कारण और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में की गई अनदेखी की वजह से पुल पुलिया क्षतिग्रस्त हो रहे हैं. हाल के दिनों में अरगोड़ी, उंगरा, कालामाटी रोड में एक पुलिया, कारो के बमरजा में नहर पुल, डोडमा से लापुंग पथ पर डोडमा और कुदरी के बीच बना पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं. इससे दर्जनों गांवों के संपर्ट टूट गया है और लोग परेशान हो रहे हैं. हालांकि, जिला प्रशासन की ओर से अवैध खनन रोकने के लिए टास्क फोर्स गठित किया है. इसके बावजूद धड़ल्ले से बालू का अवैध खनन जारी है.