खूंटीः जिला में बिरहोर परिवार भगवान भरोसे जीने को मजबूर है. बिरहोर परिवार में आज 46 लोग ही बचे हैं जिसमें 2 की मौत कुछ दिन पहले गंभीर बीमारी के कारण हो गई थी. बिरहोर बताते हैं कि उनके गांव तक अधिकारी कभी पहुंचते ही नहीं है. इस वजह वो Ignorance and Llliteracy की वजह से बीमारियों का शिकार होकर असमय मौत के मुंह में समाते जा रहे हैं.
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खूंटी जिला के अड़की प्रखंड के सुदूरवर्ती और सीमावर्ती जंगल पहाड़ों के बीच Birhor Colony सरगेया पंचायत के तेलंगाडीह में बसा है. मात्र 20 परिवार में महिला बच्चों समेत कुल 44 बिरहोर सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर गुजर बसर कर रहे हैं. लेकिन अशिक्षा, अज्ञानता और पोषण की कमी के कारण बिरहोर एनीमिया, किडनी, लिवर, हार्ट समेत अन्य कई बीमारियों से ग्रसित हैं. हाल के दिनों में खूंटी जिला प्रशासन के कुछ पदाधिकारी बिरहोर कॉलोनी तेलंगाडीह पहुंचकर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली. जिसमें 18 बिरहोर स्वास्थ्य जांच में अस्वस्थ पाए गए. कुल 18 बीमार बिरहोरों में 4 महिला बिरहोर गंभीर रूप से बीमार पायी गईं, जिन्हें Khunti Sadar Hospital में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. सदर अस्पताल के डॉक्टर्स की देखरेख में अस्वस्थ बिरहोर महिलाओं का इलाज चल रहा है.
बीमार बिरहोर महिलाओं में शांति देवी, चिलबिलिया देवी, दुखनी देवी और मंजू देवी शामिल है. बिरहोर महिलाओं का इलाज कर रहे डॉक्टर ने बताया कि महिलाओं की हालत में सुधार है, लेकिन एक महिला गंभीर रूप से बीमार है. डॉक्टर के अनुसार पोषक तत्वों की कमी और अज्ञानता के कारण बिरहोर गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. कई बिरहोर लिवर, किडनी, हार्ट समेत खून की कमी से तरह तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं.
एक तरफ जिला प्रशासन आदिम जनजातियों को हर सरकारी सुविधा देने की बात कर रहे हैं तो ऐसे में लगातार बीमार चल रहे बिरहोरों को बचाना सरकार और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है. लुप्तप्राय Primitive Tribe Birhor के विकास के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं संचालित हैं. डाकुआ योजना के तहत बिरहोरों के जीवन यापन के लिए राशन समेत आवश्यक सरकारी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं. लुप्तप्राय आदिम जनजातियों के संरक्षण के लिए सरकार संवेदनशील होकर भी बिरहोरों को स्वस्थ जीवन देने में असफल साबित हो रही है.