खूंटी: झारखंड का खूंटी जिला इस वर्ष भी उड़ता खूंटी की तर्ज पर चल पड़ा है. भगवान बिरसा मुंडा की पावन धरती फिर से नशे की खेती तैयार कर रहा है, एक महीने के भीतर जिले से वृहद पैमाने पर अफीम की खेप बाजारों में पहुंचने को तैयार होने लगा था.
जिले के खूंटी, मारंगहदा, सायको, अड़की और मुरहू थाना क्षेत्र जबकि जिले से सटे तमाड़ के जंगली इलाकों में अफीम की फसल लगा दी गई है, जो लगभग तैयार होने की कगार पर है. फरवरी के आखिर से फसल में चीरा लगना शुरू हो जाएगा. उसके बाद माफिया और अफीम के कारोबार से जुड़े ग्रामीणों के सहयोग से अफीम खूंटी की सड़कों से होते हुए अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच जाएगा, लेकिन इस बार खूंटी पुलिस तस्करों को मात देने में लग गई है.
अफीम के खिलाफ पुलिस ने भी कार्रवाई शुरू करते हुए खेतों तक पहुंचकर अफीम की खेती को नष्ट करने का अभियान छेड़ दिया है. पुलिस की इस मुहिम से लगता है कि अफीम माफियाओं को बड़ा झटका लगेगा.
साल के शुरुआती महीने से ही पुलिस ने अफीम के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है. मारंगहदा और अड़की के जंगलों में पुलिस ने अफीम के खेतों तक पहुंचकर उसे नष्ट करने का काम शुरू कर दिया है. पहाड़ और नदियों को पार करते हुए पुलिस खेतों तक पहुंच रही है और अफीम की फसलों को नेस्तोनाबूद कर रही है, ताकि खेतों में अफीम का एक कतरा न रहे.
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पुलिसिया कार्रवाई पर भी सवाल उठते है कि जिले में पिछले चार वर्षो से अफीम की खेती में बढ़ोतरी हुई है तो क्या कहीं पुलिस तंत्र तो इसमें शामिल नहीं क्योंकि क्षेत्र में अफीम के खिलाफ हो रही कार्रवाई के बावजूद अफीम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती रही है और अफीम बाजारों तक पहुंचते रहे है. हालांकि पुलिस उनके खिलाफ अभियान भी चलाती रही है और 2019 में लगभग एक हजार एकड़ से अधिक की फसलों को नष्ट किया गया था, जबकि 150 किलो गीला अफीम और करोड़ों रुपए नकद तस्करों से बरामद हुए थे.
साथ ही 26 तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन तस्करों में न तो पुलिस का खौफ न ही जेल जाने का डर शायद यही कारण है कि जिले में साल दर साल अवैध अफीम की पैदावार में वृद्धि हुई है. खूंटी, अड़की और मुरहू प्रखंड क्षेत्र के जंगली इलाकों में नजर घुमाया जाए तो लगता है कि ये खूंटी नहीं बल्कि नशे का कारोबार करने वाला राज्य हो या नशे का देश.